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शराब घोटाला मामला : पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा भेजे गए जेल, लखमा ने कहा- मैं निर्दोष हूँ, मुझे फंसाया गया, न्यायपालिका पर भरोसा है

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाला मामले में गिरफ्तार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज कोर्ट में पेश किया। जहां से कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया है। अब लखमा को 5 फरवरी को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा।

पेशी के बाद लखमा ने कहा, “मैं पूरी तरह निर्दोष हूं। मुझे साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। मुझे न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है, और सच्चाई जल्द ही सामने आएगी।”

गौरतलब है कि शराब घोटाले की जांच में ED ने अब तक कई खुलासे किए हैं, जिसमें बड़े पैमाने पर पैसों के लेन-देन और अनियमितताओं की बात सामने आई है। लखमा की गिरफ्तारी से इस मामले ने और तूल पकड़ लिया है।

साल 2019 में उजागर हुआ था मामला

ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के शासनकाल के दौरान साल 2019 से 2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जाती थी, जिसके चलते छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। उस दौरान शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, ताकि वह किसी की पकड़ में न आ सके। इस होलोग्राम को बनाने के लिए घोटाले में संलिप्त लोगों ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली PHSE (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) कंपनी को टेंडर दिया था।

ईडी ने अपनी जांच के बाद यह बताया है कि यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर उसी कंपनी को दे दिया गया था। ईडी के टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से भारी कमीशन लिया गया था। यह जानकारी सामने आने के बाद जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने गिरफ्तार किया तो उसने कांग्रेस सरकार में CSMCL में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, बिजनेसमैन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया।

ED ने जब इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे होने लगे। इसके बाद साल 2024 के अंत में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया। सूत्रों के मुताबिक ED की जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलाता था।

28 दिसंबर को ED ने कवासी लखमा और बेटे हरीश के घर मारा छापा

बीते साल 28 दिसंबर को ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के रायपुर के धरमपुरा स्थित बंगले पर पहुंची थी। इस दौरान पूर्व मंत्री की कार को घर से बाहर निकालकर तलाशी ली गई। साथ ही, कवासी के करीबी सुशील ओझा के चौबे कॉलोनी स्थित घर और सुकमा जिले में लखमा के बेटे हरीश लखमा और नगर पालिका अध्यक्ष राजू साहू के घर पर भी दबिश दी गई। ईडी के छापे के बाद कवासी लखमा ने कहा था कि घोटाला हुआ है या फिर नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं अनपढ़ आदमी हूं, अधिकारी मुझे जहां साइन करने को कहते थे, मैं कर देता था।

ED को मिले थे अहम सबूत

पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के घर पर छापामार कार्रवाई के बाद ED ने 2 जनवरी को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी साझा करते हुए लिखा था कि, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया।

ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।

3 बार पूछताछ के बाद हुई लखमा की गिरफ्तारी

गौरतलब है कि ED ने 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था, लेकिन उससे पहले पहले दो बार 8-8 घंटे तक पूछताछ की थी, लखमा के साथ उनके बेटे हरीश लखमा से भी ED के अधिकारियों ने पूछताछ की थी।