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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सेवा समाप्ति का आदेश किया निरस्त

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सेवा समाप्ति का आदेश किया निरस्त

ShivApr 19, 20252 min read

बिलासपुर।  न्यायधानी बिलासपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कथित…

April 19, 2025

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शराब घोटाला : एपी त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से मिली सशर्त जमानत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2000 करोड़ के शराब घोटाला मामले में आरोपी एपी त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिल गई है. एपी त्रिपाठी को अपना पासपोर्ट ED के अधिकारियों के पास जमा करना होगा और हर सप्ताह जांच एजेंसी के समक्ष पेश होना होगा. बता दें कि पूर्व आबकारी विभाग के विशेष सचिव एपी त्रिपाठी को मई 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था.

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला ?

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की थी. जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है. महापौर ऐजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर का भाई अवैध वसूली के खेल में शामिल है. जिसके बाद ईडी ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया. अबतक मामले में 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है.

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ. CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी मनपसंद डिस्टिलर की शराब को परमिट करते थे. देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, इस कमीशन की त्रिपाठी एक्सेलशीट तैयार कर अनवर ढेबर को भेजते थे . आरोप है कि अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब की बेधड़क बिक्री की. इससे राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ. आपराधिक सिंडिकेट के जरिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.