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अंतिम व्यक्ति तक सुनिश्चित हो दवाइयों की पहुंच: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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ShivJun 5, 20252 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वास्थ्य विभाग के सभी प्रमुख…

लाल आतंक का अंत: नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है — मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivJun 5, 20252 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि छत्तीसगढ़…

नवा रायपुर में बनेगी राष्ट्रीय तीरंदाजी अकादमी, खेल प्रतिभाओं को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय मंच

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ShivJun 5, 20252 min read

रायपुर।  छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए खेलों में भविष्य गढ़ने…

युक्तियुक्तकरण- देवभोग में नहीं रहे शिक्षक विहिन स्कूल, मैनपुर में दूर हुई शिक्षकों की समस्या

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ShivJun 5, 20252 min read

गरियाबंद। जिले में युक्तियुक्तकरण के तहत 402 शिक्षकों का पदस्थापना…

संगठन सृजन हेतु AICC के बाद PCC ऑब्जर्वर नियुक्त, मध्यप्रदेश के दिग्गज नेताओं को दी गई जिम्मेदारी

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ShivJun 5, 20251 min read

भोपाल।   अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ऑब्जर्वर के साथ मध्य…

June 5, 2025

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5 दिन बाद पिंजरे में फंसा तेंदुआ, डोंगरगढ़ की सुदर्शन पहाड़ी पर दिखने से दहशत में थे लोग

डोंगरगढ़।  छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ की सुदर्शन पहाड़ी तेंदुएं की वजह से बीते कुछ दिनों से चर्चा का केंद्र रहा। तेंदुआ पहाड़ी की चोटी पर डटा था। लगातार पांच दिनों तक वह दिखाई देता रहा, सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें और वीडियो वायरल होते रहे और वन विभाग की टीम लगातार उसे पकड़ने की कोशिशों में लगी रही। आखिरकार बुधवार देर रात तेंदुए का सफल रेस्क्यू कर लिया गया, जिसके बाद अब शहर पूरी तरह से सुरक्षित है।

डोंगरगढ़ शहर से सटे सुदर्शन पहाड़ पर पांच दिन पहले अचानक एक तेंदुए के दिखाई देने से हड़कंप मच गया था। यह इलाका न सिर्फ शासकीय कर्मचारियों के क्वार्टरों से घिरा है, बल्कि आसपास कई रिहायशी कॉलोनियां भी स्थित हैं। ऐसे में तेंदुए की मौजूदगी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी थी। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम सक्रिय हुई और ऑपरेशन शुरू किया। बीते चार रातों तक पहाड़ी पर एक विशेष पिंजरा लगाया जाता रहा, जिसमें एक जीवित मेमना बांधा जाता था, ताकि तेंदुआ उसे देखकर पिंजरे में घुस जाए। तीन शिफ्टों में विभागीय कर्मी पहाड़ी पर लगातार निगरानी करते रहे, कड़ी धूप हो या सुनसान रात, सभी की निगाहें उस एक तेंदुए पर टिकी थीं।

तेंदुआ बेहद चालाक निकला। वह हर बार पिंजरे के पास आता, मेमने को सूंघता और आगे बढ़ जाता, मानो वह जानबूझकर रेस्क्यू टीम की परीक्षा ले रहा हो। पांच दिन गुजर गए, पिंजरा हर सुबह खाली मिलता, मेमना सहमा रहता और वनकर्मी थकते चले गए, लेकिन तेंदुआ अपनी मर्जी से पहाड़ पर घूमता रहा।आख़िरकार बुधवार की रात करीब 11 बजे तेंदुआ फिर पिंजरे के पास आया। इस बार वह भीतर चला गया और टीम ने तुरंत हरकत में आते हुए उसे सुरक्षित रूप से काबू में ले लिया। इसके कुछ ही घंटों बाद उसे जंगल में छोड़ दिया गया।

इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के साथ ही डोंगरगढ़ शहर ने राहत की सांस ली है। वन विभाग की सतर्कता और निरंतर प्रयासों से यह चुनौतीपूर्ण अभियान बिना किसी नुकसान के पूरा किया जा सका।