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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पूरी तरह से कवर नहीं करता कानून, अभी भी है गेप- जस्टिस गौतम भादुड़ी

बलौदाबाजार। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में जितना अधिक डाटा फीड करेंगे, उतनी ही जानकारी आएगी. अब तक जो भी कानून बने हैं, जो कुछ हद तक इसे छूते हैं, लेकिन अभी पूरी तरह से कवर नहीं करते हैं. अभी भी इसमें गेप है. यह बात बलौदा बाजार जिला अधिवक्ता संघ द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड लॉ पर आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि हाई कोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी ने कही.

जस्टिस गौतम भादुड़ी ने सेमिनार के दौरान मोबाइल के उपयोग और दुरुपयोग – दोनों की जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास एक फर्जी काल आया, जिसमें सामने वाले शख्स अपने को सीबीआई टीम का सदस्य बताते हुए बेटे की जांच में फंसने की बात कही पर पढ़े-लिखे होने और इस तरह की काल से लगातार जागरूकता से बच गए, लेकिन यह ग्रामीणों के लिए घातक है, सतर्क होने की आवश्यकता है.

कार्यक्रम में मौजूद जस्टिस रजनी दुबे ने कहा कि यह ऐसा विषय है जो समाज पर प्रभाव डाल रहा है. आज हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है, और वह हर बात उसमें डालता है, जो चोरी हो जाता है. हमसे ज्यादा, हमारे बारे में जानकारी कोई और रखता है, जिससे इसका दुरुपयोग हो रहा है. न्याय के सिद्धांत पर यह पूर्णतः खरा नहीं उतरता है. हमें घटना की स्थिति-परिस्थिति को देखकर व्यावहारिक चीजों को ध्यान में रखकर काम करना होता है, और न्याय करना होता है.

जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने कहा कि जस्टिस सिस्टम में यह फेल होगा, क्योंकि इसमें वह भावनाएं नहीं होती. मानवीय संवेदनाओं की कमी होती है. यह मेडिकल सपोर्ट में बहुत अच्छा है, पर न्याय के मामले में सही नहीं है. इससे जानकारी ली जा सकती है, पर इसके अनुसार निर्णय नहीं लिया जा सकता है. सेमिनार में वक्ता के रूप में हाइकोर्ट के अधिवक्ता गीतिका साहू, देवाशीष तिवारी, दिनेश तिवारी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड लॉ के रूल्स, लाइबिलिटी और रेगुलेशन पर बातें रखीं.

इसके पहले जस्टिस भादुड़ी के बलौदाबाजार पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. अधिवक्ता संघ के जिलाध्यक्ष शारीक खान सहित जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों ने आए हुए अतिथियों का स्वागत किया.