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नशे में धुत कार चालक ने लोगों को रौंदा, 1 की मौके पर ही मौत, 3 की हालात गंभीर…

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ShivJun 7, 20251 min read

बिलासपुर। तोरवा थाना क्षेत्र के दर्रीघाट के पास एक नशे में…

जशपुर पुलिस ने 48 घंटे में किया मोटरसाइकिल चोर गिरोह का पर्दाफाश

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ShivJun 7, 20252 min read

जशपुर। जिले में हाल ही में लगातार हो रही मोटरसाइकिल…

खात्मे की ओर नक्सलवाद : नेशनल पार्क इलाके में 7 माओवादी ढेर, 2 बड़े नक्सली लीडर भी मारे गए

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ShivJun 7, 20252 min read

बीजापुर।  नेशनल पार्क इलाके में लगातार तीसरे दिन नक्सलियों के…

CM साय के क्षेत्र में यातायात नियम तोड़ना पुलिस वालों को पड़ा भारी, 12 अधिकारी-कर्मचारियों का कटा चालान…

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ShivJun 7, 20251 min read

जशपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के क्षेत्र जशपुर में यातायात नियमों…

आदिवासी कन्या छात्रावास लहरौद बना आत्मनिर्भरता और संस्कारों का केंद्र

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ShivJun 7, 20252 min read

महासमुंद। पिथौरा विकासखंड की ग्राम पंचायत लहरौद में स्थित आदिवासी…

June 7, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

संवेदनशील फिल्मकार अभिनेता चम्पक बैनर्जी द्वारा की गई”लाल पहाड़….बोस द मिसिंग फाईल्स’ की रचना

मुंबई।  “लाल पहाड़….बोस द मिसिंग फाईल्स” एक संवेदनशील कहानी और पटकथा पर चम्पक बैनर्जी, दादा साहेब फाल्के गोल्डन कैमरा अवार्ड, भारत सिने अवार्ड, ऋतुपोर्नो घोष मेमोरियल कोलकाता फिल्म फेस्टिवल अवार्ड विनर की फीचर फिल्म है जो शीघ्र ही बड़े पर्दे पर रिलीज होने वाली है जिसमें 70 साल से किसी न किसी वजह से जो फाईल्स नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मिसिंग थी तथा किसी भी सरकार ने वो फाईल्स दर्शकों तक आने नहीं दी । फिल्मकार चम्पक बैनर्जी ने ‘राईट टू इनफोर्मेशन एक्ट” के अंतर्गत संपूर्ण दिखा दी है, जिससे यह साबित हुआ है कि 18 अगस्त 1945 को कोई प्लेन क्रैश नहीं हुआ जिसमें नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को मृत घोषित किया गया था । इस फिल्म में चौकानें वाले वो फाईल्स हैं जो रशिया, जापान, सिंगापुर, जर्मनी से ओरिजनल प्रिंट के साथ दिखाई गई है। फिल्म निर्माण के दौरान अपना व्यक्तिगत अनुभव सुनाते हुये चम्पक बैनर्जी ने कहा कि, जब वो रशिया के बेलारूस्किया शहर में रिसर्च के दौरान दौरे पर थे, तब उन्हें एक रशियन दोभाषिये युवा-युवती जो भारत की स्वतंत्रा आंदोलन पर रिसर्च कर रही थी ने विस्तृत रूप से यह बताया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को रशिया में पॉलिटिक्ल सेल्टर के तौर पर लाया गया था। मैं इस रोमांचक अनुभव को कभी नहीं भूल सकता और मैंने सोचा कि रशिया के युवा लोगों को भी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में जब यह बातें पता है तो मेरा सवाल तात्कालिन भारत सरकार के उस वक्त के राजनैतिक लोगों से है कि उन्होंने इस तथ्य को पूर्णरूप से गायब क्यों किया। ऐसे कुछ चौकानें वाले तथ्य इस फिल्म में सामनें लाये गये हैं जहां यह पता चलता है कि, चरखा चलाकर देश कभी आजाद नहीं हुआ, बल्कि इंडियन नेशनल आर्मी के साठ हजार सैनिकों ने ब्रिटिशर्स सेना से लड़कर आजादी हासिल की। कलकत्ता के 2/38 एलिंग्टन रोड में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के घर पर जब चम्पक बैनर्जी शुटिंग के लिये गये थे तो करीब दस हजार लोगों ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस अमर रहे के नारे लगाये थे तथा यहाँ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संबंधित दस्तावेज वीडियों और भाषण संरक्षित रखे गये हैं ।

फिल्म की कहानी में तीन युवा नेताजी से संबंधित दस्तावेज लेकर जंगल की ओर भाग जाते हैं। अबूझमाड़ बस्तर, गढ़चिरौली, सुकमा, दंतेवाड़ा, झारखंड, बिहार, कलकत्ता, नागपुर विद्रर्भ क्षेत्र में पांच शेड्यूल में फिल्म एशिया के सेकेण्ड लॉर्जेस्ट फोरेस्ट घने जंगलों में एवं कुछ रिजर्व्ह फॉरेस्ट बेल्ट में इस फिल्म की शुटिंग कम्पलीट की गई है। जिसमें मिलिट्रि कमांडर विक्रांत चम्पक बैनर्जी के नेतृत्व में कुछ दिशाहीन भटके हुये कथित नक्सली आंदोलन से जुड़े 40 कलाकारों ने फिल्म में काम किया है। फिल्म चार खुबसूरत गानों से सजी एक लीक से अलग हटकर कहानी पर फिल्म बनी है, जिसे सात अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव जापान, जर्मनी, रशिया, सिंगापुर, फिनलैण्ड एवं विभिन्न भारतीय फिल्म महोत्सव में नॉमीनेशन मिला। चम्पक बैनर्जी फिल्मस मुंबई, फिल्म की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदशन के लिये बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ मिलकर प्रॉफीट शेयर बेसिस पर फिल्म को शीघ्र ही सेंसर के बाद प्रदर्शित करने की तैयारी कर रहे हैं साथ ही यह फिल्म अलग-अलग भाषाओं में भी डबिंग की जायेगी। आज फिल्म की शूटिंग के सुन्दर वन्य क्षेत्र के फोटोग्राफ्स एवं फिल्म का प्रोमो उन्होंने जारी की है तथा उन्होंने उम्मीद जाहिर की है कि छत्तीसगढ़ में इस फिल्म को युवा वर्ग अवश्य देखें । फिल्म की मार्केटिंग के लिये चम्पक बैनर्जी कुछ समय के लिये छत्तीसगढ़ रायपुर में प्रवासरत हैं।