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कांग्रेस ने बोरे-बासी के नाम पर किया भ्रष्टाचार, मजदूर दिवस पर बीजेपी ने पोस्टर किया वायरल…

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ShivMay 1, 20251 min read

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May 1, 2025

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सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों की ठगी, दो आरोपी रायपुर और बलौदाबाजार से गिरफ्तार

खैरागढ़।  सरकारी नौकरी का सपना संजोए पांच लोगों को दो ठगों ने ऐसा फांस लिया कि न केवल उनका सपना चकनाचूर हो गया, बल्कि उनकी सालों की कमाई भी ठगों की जेब में चली गई। यह मामला खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र का है, जहां रायपुर और बलौदाबाजार से पकड़े गए दो आरोपियों ने शिक्षक, चपरासी और लेबर इंस्पेक्टर जैसे पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों से कुल ₹37 लाख 67 हजार 900 की ठगी की है।

यह मामला तब शुरू हुआ जब पांडातराई निवासी संतोष देवांगन, जो वर्ष 2022 में स्वास्थ्य विभाग के जीवन दीप समिति में कार्यरत थे और जीवन दीप कर्मचारी कल्याण संघ के कोषाध्यक्ष भी थे, रायपुर संगठन के पंजीयन कार्य से गए थे। वहीं उनकी मुलाकात बिशेसर ध्रुव नाम के व्यक्ति से हुई। बिशेसर ने खुद को मंत्रालय से जुड़े प्रभावशाली लोगों से संपर्क वाला बताते हुए दावा किया कि वह लोगों को सरकारी नौकरी दिलवा चुका है और संतोष की भी नौकरी लगवा सकता है। उसने लेबर इंस्पेक्टर की नौकरी के लिए ₹20 लाख, शिक्षक पद के लिए ₹15 लाख और चपरासी के लिए ₹8 लाख की मांग की।

संतोष देवांगन ने यह प्रस्ताव अपने परिवार और रिश्तेदारों से साझा किया। इस बातचीत के बाद उनकी बहन संजू देवांगन, रिश्तेदार विद्या, त्रिलोक और विवेक देवांगन भी इस योजना से प्रभावित हुए और नौकरी पाने की उम्मीद में बिशेसर ध्रुव के झांसे में आ गए। 25 दिसंबर 2022 को गंडई में संजू के घर सभी एकत्र हुए और बिशेसर ने सभी को छह महीने में नौकरी लगवा देने का पक्का भरोसा दिया। बात केवल वादों पर ही नहीं रुकी। इसके बाद अलग-अलग तारीखों में सभी ने मिलकर बिशेसर और उसके साथी रायपुर निवासी भुवनेश देवांगन को मिलाकर कुल ₹37 लाख 67 हजार 900 रुपये दे दिए। इस रकम में कुछ राशि ऑनलाइन ट्रांसफर की गई और कुछ नकद रूप में गंडई, रायपुर और धमधा में दी गई। संतोष देवांगन ने अकेले ₹11.67 लाख, संजू ने ₹4 लाख, विद्या ने ₹11.5 लाख, त्रिलोक ने ₹8.5 लाख और विवेक ने ₹2 लाख आरोपियों को दिए।

जब समय बीतने के बाद भी किसी की नौकरी नहीं लगी और टालमटोल होने लगी तब संदेह गहराया। संतोष ने जब पैसा वापस मांगा तो आरोपी बिशेसर ने उसे दो चेक थमा दिए , एक ₹10 लाख का और दूसरा ₹3.5 लाख का। इसी तरह भुवनेश देवांगन ने भी ₹2 लाख का एक चेक दिया, लेकिन ये चेक भी केवल धोखे का हिस्सा निकले, क्योंकि रकम वापस नहीं मिली और न ही कोई नियुक्ति पत्र आया।

आखिरकार 27 अप्रैल 2025 को संतोष देवांगन ने गंडई थाने में पूरे घटनाक्रम की शिकायत दर्ज कराई। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिला पुलिस अधीक्षक त्रिलोक बंसल ने थाना गंडई पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम गठित की। कार्रवाई करते हुए टीम ने रायपुर और बलौदाबाजार से दोनों आरोपियों को धरदबोचा। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में दोनों ने अपने अपराध को स्वीकार किया।

पहले भी ठगी के मामले में जेल जा चुका है आरोपी भुवनेश

जांच में यह भी सामने आया कि भुवनेश देवांगन पहले भी बीजापुर जिले के भैरमगढ़ थाने में ₹38 लाख की ठगी के एक मामले में गिरफ्तार हो चुका है और फिलहाल जमानत पर बाहर था। उस मामले में भी सरकारी नौकरी का झांसा देकर बड़ी रकम ऐंठी गई थी और उस पर धोखाधड़ी के साथ-साथ जालसाजी की गंभीर धाराएं भी दर्ज हैं। फिलहाल दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है। खैरागढ़ पुलिस अब इस पूरे रैकेट की गहराई से जांच कर रही है कि कहीं और कितने लोगों को इस तरह ठगा गया है।