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‘सुशासन तिहार’ समेत शासन के कार्यों में रुचि नहीं लेने पर 2 पंचायत सचिव निलंबित

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ShivApr 30, 20251 min read

अभनपुर। जिला पंचायत रायपुर के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जनपद…

स्कूल शिक्षा विभाग ने 2800 प्राचार्यों की जारी पदोन्नति सूची, देखें लिस्ट…

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ShivApr 30, 20251 min read

रायपुर। राज्य शासन ने बड़े पैमाने पर शिक्षा विभाग में…

बीएडधारी सहायक शिक्षकों के समायोजन को लेकर आदेश जारी, 5 बिंदुओं में जारी किए निर्देश…

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ShivApr 30, 20252 min read

रायपुर। साय कैबिनेट में आज बर्खास्त बीएडधारी शिक्षकों के समायोजन के…

4 आईएएस अफसरों का तबादला, रीना बाबा कंगाले की मंत्रालय में हुई वापसी, देखें तबादला आदेश…

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ShivApr 30, 20252 min read

रायपुर।  राज्य सरकार ने 4 आईएएस अधिकारियों का तबादला किया…

इस्कॉन की भूमिका वैश्विक है : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivApr 30, 20254 min read

भोपाल।    भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के संदेश और…

सामूहिक विवाह सामाजिक सुधार का है महत्वपूर्ण कदम – मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivApr 30, 20254 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने देश एवं प्रदेशवासियों को…

April 30, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

वेंटिलेटर पर खैरागढ़ के सिविल अस्पताल: टपकती छत, खराब उपकरण और जर्जर इमारत… जिला तो बन गया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास शून्य…

खैरागढ़। जिला मुख्यालय खैरागढ़ में स्थित एकमात्र सिविल अस्पताल आज खुद बीमार हो गया है. अंग्रेजों के शासनकाल में वर्ष 1936 में बना यह अस्पताल ही हजारों ग्रामीणों की उम्मीद है, लेकिन यहां न सुविधाएं हैं, न साफ-सफाई. इतना ही नहीं, अस्पताल की हालत इतनी जर-जर है कि यहां कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों की जान भी अब खतरे में हैं. खैरागढ़ जिला होते हुए भी यहां का एक मात्र शासकीय अस्पताल खुद इलाज का मोहताज हो गया है.

बता दें, अस्पताल की खस्ता हालत, संसाधनों की भारी कमी और स्टाफ की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को अक्सर निराश लौटना पड़ता है. 35 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज पहुंचते हैं, लेकिन न सफाई है, न पर्याप्त डॉक्टर और न ही जरूरी मेडिकल उपकरण. अधिकतर उपकरण खराब हो चुके हैं. गंभीर मरीजों को कई बार बेहतर इलाज के लिए अन्य स्थानों की ओर रुख करना पड़ता है.

मेडिकल उपकरणों की स्थिति भी दयनीय

आज भी पुरानी एक्सरे मशीन का इस्तेमाल हो रहा है और सोनोग्राफी जैसी बुनियादी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है. डॉक्टरों की गैरहाजिरी मरीजों के लिए और भी मुसीबत बन जाती है.

हाल ही में एक मामला तब सामने आया जब एक ग्रामीण अपनी गर्भवती पत्नी को इलाज के लिए यहां लाया, लेकिन सुविधाओं के अभाव में उसे पत्नी को लेकर छुईखदान के अस्पताल जाना पड़ा. यह स्थिति एक जिला अस्पताल के लिए बेहद चिंताजनक और शर्मनाक है.

अस्पताल की इमारत जगह-जगह से टूटी हुई है, दीवारों में दरारें और छतें टपकती हैं. स्टाफ नर्सें जोखिम उठाकर सेवाएं दे रही हैं, लेकिन भीतर सफाई की हालत इतनी खराब है कि अस्पताल परिसर में आवारा जानवर तक देखे जा सकते हैं.

जिले के दर्जे के बावजूद खैरागढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं अभी भी प्राथमिक स्तर पर अटकी हुई हैं, जो प्रशासनिक उदासीनता और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करती हैं. अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह उपेक्षा किसी बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है.

शासन को भेजा गया नए भवन का प्रस्ताव : CHMO

इस पूरे मामले में सीएचएमओ आशीष शर्मा ने बताया कि सिविल अस्पताल खैरागढ़ का भवन काफी पुराना हो चुका है. इसके लिए शासन को नए भवन हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया जा चुका है. नए भवन बनने तक पुराने भवन में सेवाएं और सुविधाएं संचालित करने के लिए फिलहाल स्थानीय प्रशासन और स्थानीय लोगों की मदद से रिपेरिंग आदि कार्य किये जा रहे हैं.