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विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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ShivJan 21, 20253 min read

रायपुर।     उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज राजधानी रायपुर के…

छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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ShivJan 21, 20251 min read

रायपुर।   छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण मिश्रा के…

अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया माल्यार्पण

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ShivJan 21, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन की…

January 22, 2025

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बस्तर दशहरा मनाने काछन देवी ने दी अनुमति, अब होगी विशेष रस्मों की अदायगी

बस्तर। विश्व में अनोखी और आकर्षक परंपराओं के लिए मशहूर बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत आज रात काछन देवी की अनुमति के बाद हो गयी है. बस्तर दशहरा पर्व शुरू करने के लिए अनुमति लेने की परंपरा अनूठी है. काछनगादी रस्म में एक नाबालिग कुंवारी कन्या बेल के कांटों के झूले पर लिटाया जाता है. बस्तर में करीब 700 वर्षों से चली आ रही परंपरा की मान्यता के अनुसार कांटों के झूले पर लेटी कन्या में साक्षात देवी आकर पर्व शुरू करने की अनुमति देती है. 75 दिनों तक मनाए जाने वाले दशहरा पर्व में निभाई जानेवाली 12 से ज्यादा रस्में अद्भुत और अनोखी होती हैं.

बता दें कि बस्तर का महापर्व दशहरा बिना किसी बाधा के संपन्न हो, इस मन्नत और आशीर्वाद के लिए काछन देवी की पूजा होती है. बुधवार रात काछन देवी के रूप में अनुसूचित जाति के एक विशेष परिवार की 8 वर्षीय कुंवारी कन्या पीहू दास ने कांटो के झूले पर लेटकर बस्तर राजपरिवार को दशहरा पर्व आरंभ करने की अनुमति दी. इससे पहले पिछले कुछ वर्षों से काछनगादी रस्म को पीहू की चचेरी बहन अनुराधा निभा रही थी.

मान्यता है कि इस महापर्व को निर्बाध संपन्न कराने के लिए काछन देवी की अनुमति आवश्यक है. जिस हेतु पनका जाति की कुंवारी कन्या को बेल के कांटो से बने झूले पर लेटाया जाता है और इस दौरान उसके अंदर खुद देवी आकर पर्व आरंभ करने की अनुमति देती है. हर वर्ष पितृमोक्ष अमावस्या को इस प्रमुख विधान को निभाकर राज परिवार यह अनुमति प्राप्त करता है. इस दौरान बस्तर का राजपरिवार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ हजारों की संख्या में लोग इस अनूठी परंपरा को देखने काछन गुड़ी पहुंचते हैं.