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छुट्टी के दिन भी खुला विशेष कोर्ट, दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात की अनुमति की याचिका पर हुई सुनवाई

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ShivJan 1, 20252 min read

बिलासपुर।     हाईकोर्ट ने बिलासपुर की दुष्कर्म पीड़िता गर्भवती युवती…

मुख्यमंत्री ने संत पवन दीवान की जयंती पर उन्हें नमन किया

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ShivJan 1, 20251 min read

रायपुर।      मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय…

नव वर्ष सभी लोगों के जीवन में सुख,समृद्धि और खुशहाली लेकर आए: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivJan 1, 20251 min read

रायपुर।     मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को नववर्ष…

प्रो कबड्डी लीग की विजेता हरियाणा स्टीलर्स के खिलाड़ी संस्कार मिश्रा का गृह जिले में हुआ जोरदार स्वागत

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ShivDec 31, 20241 min read

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। मरवाही के छोटे से गांव भर्रीडांड़ के संस्कार मिश्रा…

January 1, 2025

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जग्गी हत्याकांड : सभी दोषियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी, दो अरोपियों ने किया सरेंडर

रायपुर- छत्तीसगढ़ का पहला और रायपुर का बहुचर्चित रामअवतार जग्गी हत्याकांड के दो दोषियो ने कोर्ट के सामने सरेंडर किया. बाकी बचे 25 दोषियों के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. 4 मई 2003 को अलसुबह मॉर्निंग वॉक दौरान मौदहापारा थाना के पीछे एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामअवतार जग्गी की गोली मारकर हत्या की गई थी. इस पूरे मामले में रामअवतार जग्गी के बेटे सतीश जग्गी ने अपने पिता की हत्या करवाने का आरोप लगाते हुए अजीत जोगी और अमित जोगी के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिसमें मौदहापारा थाना पुलिस ने हत्या का मामला दर्जकर जांच शुरू की थी लेकिन उस समय पुलिस ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए कई फर्जी आरोपियों को लाकर जेल भेजा दिया था.

भाजपा सरकार आने के बाद इस पूरे मामले को दिसबंर 2004 में सीबीआई को सौंपा गया था, जिसके बाद सीबीआई ने भी एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें अमित जोगी को मुख्य आरोपी बनाते हुए करीब 30 आरोपी बनाए गए थे. इसमें से दो आरोपी महंत उर्फ बुलटू पाठक और सुरेश सिंह सीबीआई के सरकारी गवाह बन गए थे, जिसके बाद सीबीआई ने अपनी चार्जशीट पेश की. इसमें अमित जोगी समेत कुल 30 आरोपियो के खिलाफ चार्जशीट दखिल की गई थी. इस मामले में कोर्ट ने 31 मई 2007 को दिए गए फैसले में रायपुर स्थित विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने अमित जोगी सहित विश्वनाथ राजभर, विनोद सिंह, श्यामसुंदर उर्फ आनंद, अविनाश उर्फ लल्लन सिंह, तथा जामवंत कश्यप को दोषमुक्त ठहराते हुए 19 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसमे शूटर चिमन सिंह और वर्तमान महापौर एजाज़ ढेबर के भाई याहया ढेबर शामिल थे. इस मामले में पुलिस अधिकारियों को भी पांच-पांच वर्ष की सजा सुनाई गई थी. लगभग सभी आरोपियों को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

इस फैसले के खिलाफ सभी आरोपियो ने निचली अदालत को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी लेकिन 21 साल बाद 4 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट बिलासपुर ने दिए फैसले में निचली अदालत के फैसले को यथावत रखते हुए सभी आरोपियो को कोर्ट में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे. इस मामले के दोषियो में से 2 आरोपियो बुलटू पाठक और विक्रम शर्मा की मौत हो चुकी है और एक अमित जोगी ने सुप्रीम कोर्ट से स्टे लिया हुआ है. इसके बाद सभी कुल 27 आरोपियों को आज कोर्ट में पेश होना था लेकिन 2 आरोपियो चिमन सिंह और विनोद सिंह राठौर ने विशेष न्यायाधीश एट्रोसीटीज की कोर्ट पहुंचकर सरेंडर किया है, बाकी बचे 25 दोषियो के खिलाफ कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिए है. बता दें कि इस मामले के 5 दोषियो ने सुप्रीम कोर्ट से सरेंडर करने की मोहलत मांगी थी, जिसको सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए पुलिस के पूर्व सीएसपी कोतवाली रहे अमरीक सिंह गिल, पूर्व मौदहापारा थाना प्रभारी वीके पांडे, पूर्व क्राइम ब्रांच प्रभारी राकेश चंद्र त्रिवेद्री, याह्या ढेबर और सूर्यकांत तिवारी को सरेंडर करने के लिए 3 हफ्ते की मोहलत दी है.