भारत की पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक, आज देशभर में 259 स्थानों पर होगी मॉक ड्रिल, हमले से बचने के सिखाए जाएंगे तरीके

नई दिल्ली। भारतीय सैन्य बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 पाकिस्तानी आतंकी कैंपों को नष्ट कर दिया है. इसी बीच, आज (7 मई 2025) देशभर में मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य किसी संभावित ‘हमले’ या आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इस ड्रिल में हवाई हमले का सायरन, लोगों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास और अन्य आवश्यक कदम शामिल हैं. यह 1971 के बाद की पहली आपातकालीन ड्रिल है, जो 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आयोजित की जा रही है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी. 259 स्थानों पर मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी. इसके साथ ही, भारतीय वायुसेना पाकिस्तान की सीमा पर बुधवार और गुरुवार को युद्धाभ्यास करेगी. पिछले 14 दिनों में भारत ने इस स्थिति के लिए व्यापक तैयारी की है, और अब पाकिस्तान के खिलाफ अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है. इस संदर्भ में, भारत ने हवाई युद्धाभ्यास के लिए NOTAM भी जारी किया है.
भारतीय वायुसेना भारत-पाकिस्तान सीमा के रेगिस्तानी क्षेत्रों और आस-पास के इलाकों में अभ्यास करने जा रही है, जिसमें राफेल, मिराज 2000 और सुखोई-30 जैसे कई लड़ाकू विमान शामिल होंगे. नोटम, जिसका अर्थ ‘नोटिस टू एयरमैन’ है, के माध्यम से एयरस्पेस के बंद होने, रनवे की स्थिति या लाइटों में बदलाव की जानकारी तुरंत प्रदान की जाती है. इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि क्या यह अभ्यास उनकी तैयारियों की अंतिम जांच और परीक्षण का हिस्सा है?
मंगलवार को देश के कई शहरों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कई स्थानों पर ब्लैकआउट का अभ्यास किया गया और सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच की गई. देश के 259 जिलों में, जहां युद्ध का सायरन बजेगा, वे जिले शामिल हैं जो पाकिस्तान की सीमा से सटे हैं. इनमें महत्वपूर्ण रक्षा संस्थान, पावर ग्रिड, बंदरगाह, रिफाइनरी और अन्य आवश्यक उद्योग शामिल हैं. इसके अलावा, तटीय क्षेत्रों और घनी आबादी वाले शहरों में भी मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जहां दुश्मन के हमले से अधिक नुकसान हो सकता है.
क्या होती है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें वास्तविकता के समान हवाई हमले के सायरन बजाए जाते हैं, शहरों में अंधेरा किया जाता है, नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है और आपातकालीन टीमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हैं. इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और आपातकालीन स्थितियों में घबराहट, भ्रम और नुकसान को कम करना है.
सिविल डिफेंस जिले वे विशेष रूप से निर्धारित क्षेत्र होते हैं, जहां आपातकालीन स्थितियों जैसे आपदा या युद्ध के दौरान नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए विशेष प्रबंधन और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है. इन जिलों में सरकारी संस्थाओं, पुलिस, अर्धसैनिक बलों और नागरिक स्वयंसेवकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है.
इस मॉक ड्रिल में आपको करने होंगे ये 5 काम-
1. मॉक ड्रिल के दौरान स्थानीय प्रशासन, पुलिस या नागरिक सुरक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है. इससे किसी भी प्रकार की भ्रम और अव्यवस्था से बचा जा सकता है. एयर रेड सायरन के संकेतों का ध्यानपूर्वक पालन करें.
2. अपने साथ एक छोटा इमरजेंसी किट रखना महत्वपूर्ण है, जिसमें पानी की बोतल, आवश्यक दवाइयां, टॉर्च, रेडियो और मोबाइल पावर बैंक शामिल हों. इसके अलावा, घर में कुछ नकद राशि भी अवश्य रखें.
3. शांत रहें और घबराने से बचें: यह केवल एक अभ्यास है. डर या अफवाहों के कारण स्थिति और बिगड़ सकती है. शांत रहकर सहयोग करना आपकी और दूसरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा.
4. अफवाहों से दूर रहें और सरकारी स्रोतों से जानकारी प्राप्त करें: सोशल मीडिया या अनधिकृत स्रोतों पर भरोसा न करें. केवल सरकारी वेबसाइट, टीवी, रेडियो या प्रशासनिक घोषणाओं पर ध्यान केंद्रित करें.
5. सहयोग करें और दूसरों की सहायता करें: यदि आपके आस-पास कोई बुजुर्ग, बच्चा या असहाय व्यक्ति है, तो उनकी मदद करें. आपातकालीन सेवाओं के कार्य में बाधा न डालें, बल्कि उन्हें सहयोग प्रदान करें.
किस शहर में कहां और कितने बजे होगी मॉक ड्रिल
दिल्ली में आज शाम 4 बजे एक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हवाई हमले के सायरन बजाए जाएंगे. इसके बाद, शाम 7 बजे एक ब्लैकआउट अभ्यास होगा, जिसमें सभी लाइटें बंद की जाएंगी. गाजियाबाद में 10 स्कूलों में भी सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें छात्रों को आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी जाएगी।
मुंबई में भी शाम 4 बजे मॉक ड्रिल का आयोजन होगा, जिसमें शहर के विभिन्न स्थानों पर 60 सायरन बजाए जाएंगे. दक्षिण मुंबई के एक मैदान में लोगों को इकट्ठा कर युद्ध जैसी परिस्थितियों में बचाव के तरीकों के बारे में बताया जाएगा. ब्लैकआउट के संदर्भ में, सिविल डिफेंस के सूत्रों का कहना है कि पूरे मुंबई में ब्लैकआउट करने से आम नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए उपनगर के एक छोटे क्षेत्र में ब्लैकआउट करने की योजना बनाई जा रही है.
मिजोरम और नागालैंड में इस समय होगी मॉक ड्रिल
मिजोरम में आज शाम 4 बजे एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नागरिकों को आपातकालीन स्थितियों में सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी जाएगी. इसी समय, नागालैंड के 10 सिविल जिलों में भी मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी होगी. इसके अलावा, बिहार के विभिन्न जिलों में शाम 7:00 से 7:10 बजे तक ब्लैकआउट किया जाएगा, जिसके दौरान सभी लाइटें बंद की जाएंगी, ताकि वॉर लाइट सिचुएशन से बचने के लिए तैयारी की जा सके.
पटना में शाम 6:58 बजे सायरन बजाया जाएगा, जिसके दो मिनट बाद सभी लोग बत्तियाँ बंद कर देंगे. शहर के 80 स्थानों पर यह सायरन बजेगा. इसके अलावा, लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के 19 जोखिम वाले स्थानों को मॉक ड्रिल के लिए चिन्हित किया गया है.
श्रेणी-I : उच्च प्राथमिकता वाले स्थान
इन स्थानों को राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक महत्व, औद्योगिक केंद्रों, सैन्य ठिकानों और आर्थिक गतिविधियों के कारण उच्च प्राथमिकता दी गई है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर को विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि यह सामरिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण द्वीप है. आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम को चुना गया है, जो एक प्रमुख बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा है. अरुणाचल प्रदेश में आलो (पश्चिम सियांग), ईटानगर और तवांग को शामिल किया गया है, जो सीमावर्ती और सामरिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र हैं.
असम में हैयुलिंग, बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, धुबरी, गोलपारा, जोरहाट, शिवसागर, तिनसुकिया, तेजपुर, डिगबोई, डुलियाजन, गुवाहाटी (दिसपुर), रंगिया, नमरुप, नजीरा, नॉर्थ लखीमपुर, और नुमालिगढ़ जैसे कई महत्वपूर्ण स्थान हैं, जो औद्योगिक, सैन्य और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
बिहार में बरौनी, कटिहार, पटना, पूर्णिया और बेगूसराय को औद्योगिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थानों के रूप में चुना गया है. चंडीगढ़, एक केंद्र शासित प्रदेश और प्रशासनिक राजधानी होने के नाते, उच्च प्राथमिकता रखता है. छत्तीसगढ़ में दुर्ग (भिलाई) को इस्पात उद्योग और औद्योगिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में चयनित किया गया है.
दादरा और नगर हवेली के सिलवासा, तथा दमन और दीव के दमन को औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण विशेष आर्थिक क्षेत्रों के रूप में मान्यता दी गई है. देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली, जिसमें नई दिल्ली भी शामिल है, स्वाभाविक रूप से प्राथमिकता में है. इसके अलावा, गोवा के उत्तर में स्थित पणजी और दक्षिण गोवा के मुरमुगाओ, वास्को, और डाबोलिम जैसे स्थान सामरिक नौसैनिक ठिकानों और बंदरगाहों के लिए जाने जाते हैं.
गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, काकरापार, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, कांडला, नालिया, अंकलेश्वर, ओखा और वाडिनार जैसे स्थान औद्योगिक, बंदरगाह और परमाणु क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
हरियाणा, J-K, झारखंड के इन इलाकों में होगी मॉक ड्रिल
हरियाणा के अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर को औद्योगिक और सैन्य स्थलों के कारण सूची में शामिल किया गया है. इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला भी इस सूची में है.
जम्मू और कश्मीर (लद्दाख सहित) के अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम, बारामूला, डोडा, जम्मू, कारगिल, कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, अखनूर, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी और अवंतीपुर जैसे जिले सीमावर्ती और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
झारखंड के बोकारो, गोमिया, जमशेदपुर और रांची को औद्योगिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में शामिल किया गया है. कर्नाटक के बेंगलुरु (शहरी), मल्लेश्वरम और रायचूर को सूचना प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास में अग्रणी स्थान प्राप्त है. केरल के कोच्चि और तिरुवनंतपुरम को भी शामिल किया गया है, जहाँ नौसैनिक अड्डे और प्रशासनिक गतिविधियाँ संचालित होती हैं.
लक्षद्वीप में कवरत्ती को सामरिक महत्व के कारण प्राथमिकता दी गई है. मध्य प्रदेश में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और कटनी जैसे प्रमुख प्रशासनिक और औद्योगिक केंद्र स्थित हैं. वहीं, महाराष्ट्र में मुंबई, उरण, तारापुर, ठाणे, पुणे, नासिक, रोहन-धाटाो-नगोतने, मोनमाड, सिन्नर, थाल-वैशोट और पिंपरी-चिंचवड़ जैसे महत्वपूर्ण शहरी और औद्योगिक केंद्र मौजूद हैं.
मणिपुर में इम्फाल, चुराचांदपुर, उखरुल, मोरेह और निंगथौखोंग सीमावर्ती और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान हैं. इसी प्रकार, मेघालय के शिलांग, जवाई और तुरा भी रणनीतिक और जनजातीय संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में जाने जाते हैं.
मिजोरम से आइज़ॉल, नगालैंड से दीमापुर, कोहिमा, मोकोकचुंग, मोन, फेक, तुएनसांग, वोखा, जुन्हेबोटो, किफिरे, पेरेन जैसे सीमावर्ती जिले भी शामिल हैं. ओडिशा के तलचर, हिराकुंड, पारादीप, राउरकेला, बालासोर, कोरापुट, भुवनेश्वर, गोपालपुर महत्त्वपूर्ण औद्योगिक और बंदरगाह क्षेत्र हैं. पुदुचेरी को भी प्रशासनिक एवं रणनीतिक दृष्टि से प्राथमिकता दी गई है.
पंजाब, राजस्थान, बंगाल के ये क्षेत्र चिह्नित
पंजाब के अमृतसर, भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, रूपनगर, संगरूर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, आदमपुर, बरनाला, भाखड़ा-नंगल, हलवारा, कोटकपूरा, बटाला, मोहाली, अबोहर और फरीदपुर जैसे शहर रक्षा और औद्योगिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध हैं.
राजस्थान के विभिन्न जिले जैसे अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, फुलेरा, नागौर, जालोर, ब्यावर, हनुमानगढ़, जयपुर, लालगढ़, जैसलमेर, सवाई माधोपुर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नाल, सूरतगढ़, आबू रोड, नसीराबाद, भिवाड़ी, पाली, भीलवाड़ा, कोटा और रावतभाटा सैन्य, औद्योगिक और सीमावर्ती दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
सिक्किम का गंगटोक, तमिलनाडु के चेन्नई और कल्पक्कम, तेलंगाना के हैदराबाद, त्रिपुरा के अगरतला, और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों जैसे बुलंदशहर (नरोरा), आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, मुगलसराय, सरसावा, बागपत, और मुजफ्फरनगर को शामिल किया गया है.
उत्तराखंड का देहरादून और पश्चिम बंगाल के विभिन्न शहर जैसे कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, मालदा, सिलीगुड़ी, कोलकाता, दुर्गापुर, हल्दिया, हाशीमारा, खड़गपुर, बर्नपुर-आसनसोल, फरक्का-खेजुरीघाट, चित्तरंजन, बालुरघाट, अलीपुरद्वार, रायगंज, इस्लामपुर, दिनहाटा, मखलीगुंज, माथाभांगा, कालीमपोंग, जलढाका, कर्सियांग, कोलाघाट, बर्दवान, बीरभूम, मेदिनीपुर, हावड़ा, हुगली, और मुर्शिदाबाद, सभी विभिन्न दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
श्रेणी-II : मध्यम प्राथमिकता वाले स्थान
ये क्षेत्र अपेक्षाकृत कम संवेदनशील माने जाते हैं, लेकिन उनकी रणनीतिक, सामाजिक और औद्योगिक महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. असम के दर्रांग, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग, कोकराझार, गुजरात के भरूच, डांग्स, कच्छ, मेहसाणा, नर्मदा, नवसारी, हरियाणा के झज्जर, झारखंड के गोड्डा, साहिबगंज, महाराष्ट्र के औरंगाबाद, भुसावल, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, और ओडिशा के भद्रक, ढेंकानाल, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा जैसे स्थान मध्यम प्राथमिकता में आते हैं.
श्रेणी-III : निम्न प्राथमिकता वाले स्थान
यह श्रेणी उन क्षेत्रों के लिए निर्धारित की गई है जिन्हें अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला माना जाता है. अरुणाचल प्रदेश का बोंडिला क्षेत्र को निम्न प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि यह भौगोलिक दृष्टि से सीमावर्ती है, लेकिन वर्तमान में इसे अत्यधिक संवेदनशील नहीं समझा जाता है.