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ShivJun 15, 20252 min read

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June 15, 2025

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ब्रेन स्ट्रोक के बढते मामलों को देखते हुए भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन ने “ब्रेन स्ट्रोक: अब समय है एक्शन का” अभियान शुरु किया

रायपुर।  भारत में ब्रेन स्ट्रोक के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस, CGAP रायपुर चैप्टर और SEMI ने मिलकर “ब्रेन स्ट्रोक: अब समय है एक्शन का” नाम का एक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस अभियान का मकसद है – डॉक्टरों और आम लोगों को स्ट्रोक के लक्षण जल्दी पहचानने और समय पर इलाज करने के लिए जागरूक करना।

भारत में हर 20 सेकंड में एक स्ट्रोक होता है और हर साल 18 लाख से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आते हैं। इस वजह से अब पूरे देश में एक मजबूत स्ट्रोक एक्शन प्लान बनाना ज़रूरी हो गया है।

अभियान के तहत डॉक्टरों के लिए ट्रेनिंग (CME), कार्यशालाएं और आम जनता के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं, ताकि लोग स्ट्रोक को लेकर सतर्क रहें और समय पर इलाज पा सकें।

भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ पी. विजय ने कहा की, “ब्रेन स्ट्रोक होने पर तुरंत इलाज बहुत ज़रूरी है। अगर स्ट्रोक खून के थक्के से हुआ हो, तो उसे ठीक करने के लिए एक इंजेक्शन (IV थ्रोम्बोलिसिस) दिया जाता है। लेकिन यह इलाज लक्षण शुरू होने के 4.5 घंटे के अंदर ही काम करता है। हर मिनट में 20 लाख ब्रेन सेल्स (न्यूरॉन्स) नष्ट हो जाते हैं, इसलिए हर सेकंड कीमती है।”

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए स्थानीय डॉक्टरों को यह सिखाया गया कि कैसे स्ट्रोक मरीजों को जल्दी पहचानें और समय रहते इलाज दें।

दोपहर में हुए जागरूकता कार्यक्रम में “Check BP – Stop Stroke” अभियान चलाया गया जिसमें ब्लड प्रेशर कंट्रोल, BEFAST फॉर्मूला और “Time is Brain” जैसे आसान संदेश दिए गए ताकि लोग समय पर सही अस्पताल पहुंच सकें।

भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा की, यह अभियान देशभर में चलाया जाएगा। स्ट्रोक अब भारत में मौत और अपंगता की एक बड़ी वजह बन चुका है। कई गांव और छोटे शहरों में लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। हमें एंबुलेंस स्टाफ को ट्रेनिंग देना होगी, और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाएं बढ़ानी होंगी, ताकि हर किसी को समय पर इलाज मिल सके – चाहे वो कहीं भी रहते हों। हमें एक मजबूत स्ट्रोक केयर सिस्टम बनाना होगा जिसमें लोगों की शिक्षा, बेहतर अस्पताल सुविधाएं और इमरजेंसी इलाज हो।

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में कई बच्चों को सिकल सेल एनीमिया की वजह से स्ट्रोक होता है। अगर समय रहते इन बच्चों की जांच की जाए, तो स्ट्रोक से बचा जा सकता है।

इमरजेंसी डॉक्टर डॉ. संतोष सिंह ने कहा की, “स्ट्रोक के मरीज को जितनी जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाए, उतना अच्छा इलाज मिल सकता है। इमरजेंसी में सही जांच और जल्दी ब्रेन स्कैन से इलाज की शुरुआत तुरंत हो सकती है।”

विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि कैसे डॉक्टर स्ट्रोक के मरीजों को जल्दी पहचान कर इलाज कर सकते हैं। उन्होंने स्ट्रोक की दोबारा होने से बचाव और बच्चों में होने वाले स्ट्रोक के बारे में भी जानकारी दी।

स्ट्रोक के लक्षण पहचानने के लिए BEFAST तरीका बताया गया:

B – संतुलन बिगड़ना

E – आंखों की रोशनी धुंधली होना

F – चेहरे का एक हिस्सा टेढ़ा होना

A – एक हाथ में कमजोरी

S – बोलने में परेशानी

T – तुरंत एम्बुलेंस या इमरजेंसी सेवा को बुलाएं

“ब्रेन स्ट्रोक एक इमरजेंसी है। लक्षण जल्दी पहचानें, फौरन एक्शन लें और सही अस्पताल पहुंचें – यही जान बचा सकता है।”