व्यावसायिक शिक्षा के नाम पर समग्र शिक्षा के द्वारा बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़, नौकरशाहों ने जला दिया लाखों बच्चों का भविष्य
रायपुर। राज्य में व्यवसायिक शिक्षा का पाठ्यक्रम ९ वर्षों से संचालित है तथा केंद्र की अत्यंत महत्वूर्ण योजना होने के नाते तथा नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इस परिप्रेक्ष्य में ध्यान दिया गया है लेकिन इसके उलट समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ द्वारा लाखो बच्चो के भविष्य का बेड़ा गर्क किया जा रहा है।
सत्र समाप्त होने की ओर है तथापि 592 नए स्कूलों में प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है प्राचार्यों पर दबाव बनाते हुए उन्हें छात्र छात्राओं का बिना किसी अध्यापन कार्य कराए व विषय वस्तु के अर्धवार्षिक परीक्षा ( व्यवसायिक शिक्षा) लेने के लिए आदेशित किया गया है व्यावसायिक शिक्षा चयनित करने वाले छात्र छात्राओ का इस विषय में परीक्षा परिणाम कुछ कहा नहीं जा सकता है, राज्य में शिक्षा मंत्री नहीं होने के कारण आँखे मूँदे हुए नौकरशाह केंद्र की बहुउदेशीय योजना का बाँटधार करने पर तुले हुए हैं ।
नियमानुसार मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन से नए स्कूलों में व्यवसायिक शिक्षा ट्रेड के आबंटन के पश्चात रुचि की अभिव्यक्ति निकाल कर ट्रेनिंग पार्टनर्स के माध्यम से प्रशिक्षिकों की नियुक्ति की जानी थी जिसके स्थान पर वर्तमान के कार्यरत प्रशिक्षकों को एडीपीओ के माध्यम से निकट के विद्यालयों में प्रशिक्षण देने का आदेश दिया गया है जबकि उनका विषय उस ट्रेड से संबंधित भी नहीं है जिसके लिए उन्हें किसी प्रकार का अतिरिक्त वेतन भी नहीं दिया जाएगा ।
निरंकुश नौकरशाही का दूसरा उदाहरण- वर्तमान में पदस्थ सहायक संचालिका मति मंजुलता साहू का प्रभाव छत्तीसगढ़ शिक्षा के अपर सचिव व समग्र शिक्षा प्रबंध संचालक से भी अधिक है छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा मंत्रायल द्वारा आदेश पर उन्हें प्रतिनियुक्ति पर सहायक कार्यक्रम समन्वयक के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया गया परन्तु मंत्री की कृपा पात्र रिश्तेदार को सहायक संचालक के पद पर नियुक्ति दी गई ,सत्र 24-25 में निरन्तर उनके द्वारा किए गए कार्य विवादस्पद रहे है, आज पर्यन्त शालाओं में व्यावसायिक शिक्षा संबंधित अध्यन सामग्री एवं पुस्तकें अप्राप्त है जिससे छात्रों का नुक़सान हो रहा है और नवीन व्यवसायिक शिक्षा मात्र काग़ज़ो में क्रियान्वित है। वर्तमान सहायक संचालक ने नियमों को धत्ता बताते हुए नवीन 652 व्यावसायिक शिक्षा के विद्यालयों को सैद्धांतिक स्वीकृति ले ली है तथा संबंधित विद्यालयों के प्राचार्यों को प्रवेश संबंधित ट्रेड्स में छात्र छात्राओं का प्रवेश लेने का आदेश जारी करवा लिया है परन्तु आज पर्यन्त तक प्रशिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई जिससे लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में है जो पूर्णतः अव्यवहारिक है।
व्यवसायिक शिक्षा सत्र 24-25 की किताबों में भ्रष्टाचार का कीड़ा लग गया है और पूरे राज्य के बच्चों के भविष्य को घुन की तरह खा रहा लेकिन प्रबंध संचालक और शिक्षा सचिव के कान में जूँ तक नहीं रेंग रही , मंत्री की कृपा पात्र रिश्तेदार के दबाव में ग़लत पाठ्यक्रम वाली किताबें व्यवसायिक शिक्षा के छात्रो की प्रदान कर दी गई। बैंकिग ट्रेड का पूरा पाठ्यक्रम बदला दिया गया साथ ही साथ हेल्थकेयर व टेलीकॉम के किताबों में पाठ्यक्रम में उल्लेखित बिंदुओं को नहीं छापा गया ।
सहायक संचालिका के सहयोग से कंपनियों की भराशाही भी चरम पर है 4-4 महीनो का वेतन प्रशिक्षकों को अप्राप्त है कोरोना पेंडमिक के बाद ऐसी परिस्थिति भाजपा सरकार में हो रही है और कंपनियों के अधकारियों से बात करने पर उनके द्वारा रीइंबरमेंट नहीं प्राप्त होने की बात कही गई । तथा इस प्रकार रीइंबरमेंट रोक कर कंपनियों को टर्मिनेट किया जा रहा है
हाल ही में रेंबरसमेंट नहीं मिलने के कारण के कंपनी सैलरी न देने के कारण टर्मिनेट हुई है जिसके बिना किसी निविदा के 121 स्कूल्स का आबंटन एक ही कंपनी के दो को दे दिए गए , नियमों को धत्ता बताते हुए जो कि संदेहास्पद है व्यवसायिक शिक्षा का बाँटधार करने पर तुले नौकरशाहों से प्रश्न पूछने के लिए सूबे में कोई शिक्षा मंत्री भी नहीं है जिसका फ़ायदा संबधित अधिकारी उठा रहे है और राजनीतिक रसूक हो तो अपात्र भी छात्रो के भविष्य को आग में झोंक के हाथ सेंकते है, किन्तु ऐसा ज्ञात उक्त कारणों को देखते हुवे बिना व्यावसायिक प्रशिक्षक की नियुक्ति किए बिना कोर्स का संचालन कैस और किस लिए किया जा रहा जबकि शैक्षणिक सत्र लगभग समाप्ति पे है किसकी गलती से राज्य के लाखों बच्चों का भविष्य खतरे में डाला गया है कृपया इस कृत्य पर जाँच करवाएं क्योंकि यह देश के भविष्य का सवाल है, यदि उचित जाँच एवं कार्यवाही नहीं की जाती तो भविष्य में लाखों बच्चो का भविष्य ख़तरे में है