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नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव 2025: कांग्रेस ने प्रदेश स्तरीय कंट्रोल रूम का किया गठन, जानिए किसे मिली क्या जिम्मेदारी

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ShivJan 20, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों…

January 21, 2025

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मंदिर भूमि की अवैध बिक्री: राजस्व मंत्री ने कलेक्टर को एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के दिए निर्देश, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई

रायपुर। राजधानी के चंगोराभांठा स्थित मंदिर को दान में दी गई भूमि को कूटरचना कर भू-माफिया को बेचने के मामले में राजस्व मंत्री टंक राम वर्मा ने संज्ञान लिया है. मंत्री ने कलेक्टर रायपुर को एक सप्ताह के भीतर जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.

राजस्व मंत्री के समक्ष डॉ. खूबचंद बघेल वार्ड क्र. 68 के चंगोराभांठा महादेव तालाब पर स्थित सीरवेश्वर नाथ महादेव मंदिर व उसकी 4.40 एकड़ जमीन भूमाफिया को नियम विरूद्ध बेचने और अवैध प्लाटिंग से संबंधित प्रकरण पर आवश्यक कार्रवाई के लिए क्षेत्र के निवासियों की ओर आवेदन प्रस्तुत किया गया है. यह भूमि पटवारी हल्का नं. 105 खसरा नं. 84 में स्थित है. यह भूमि रिंगरोड पर श्याम पेट्रोल पंप के पीछे और अभिनंदन पैलेस के बाजू की है.

गौरतलब है कि महादेव तालाब के किनारे जमींदार गोविंदधर ने महादेव तालाब के किनारे 11 एकड़ जमीन (पांच एकड़ कृषि के लिए, साढ़े चार एकड़ तालाब के लिए तथा डेढ एकड़ तालाब के चारों ओर आने जाने का मार्ग) ग्राम समाज को मंदिर के लिए दान में दी गई थी. भू-स्वामी गोविंदधर की वर्ष 1976 में मौत के बाद मंदिर के सेवक जयलालपुरी वल्द नरोत्तम पुरी ने कूटरचना कर स्वयं को मंदिर और मंदिर से लगी जमीन का सर्वराकार बना लिया.

जयलाल पुरी ने यह जमीन अवैध रूप से 1989 में भूमाफिया संजय अग्रवाल को बेच दी जबकि ट्रस्ट के प्रबंधक तत्कालीन कलेक्टर थे. कूटरचना कर यह बताने का प्रयास किया गया कि, वास्तविक भूस्वामी गोविंदधर निहंग साधु था और उसके कोई संतान नहीं हैं. जबकि रायपुर ब्राह्मणपारा निवासी गोविंदधर के पुत्र बलरामधर तथा उनके पुत्र प्रणव कुमार दीवान उनके वारिस हैं. भूमि को भू-माफिया को बेचने की जानकारी होने पर ग्रामीणों ने न्यायालय में वाद दायर किया था. स्थानीय न्यायालय, सेशन न्यायालय तथा उच्च न्यायालय जबलपुर से केस जीतने के बाद भी मंदिर की भूमि भू-माफिया के कब्जे में है.

उक्त भूमि पर भू-माफिया अवैध रूप से प्लाटिंग कर बेचने की शिकायत 7 जून 2022 को कलेक्टर रायपुर और नगर निगम आयुक्त से की गई थी. क्षेत्र के निवासियों ने जनहित में उक्त भूमि की अवैध प्लाटिंग पर रोक, रजिस्ट्री पर रोक और कूटरचना कर नामांतरण करवाने वालों पर अपराध दर्ज कराया था. जिसके बाद 4.40 एकड़ भूमि और तालाब पर आने-जाने के बंधक रास्ते को मुक्त करवाने के आवेदन पर नगर निगम ने उक्त अवैध प्लाटिंग पर 16 जून 2022 को बुलडोजर चलाया था.