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ShivMay 11, 20252 min read

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ठेका निरस्त होते ही सैंकड़ों स्वास्थ्य मितान हुए बेरोजगार, सरकार से समायोजन की कर रहे मांग

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रात 12 के बाद भी हाइपर क्लब में चल रही थी पार्टी, पुलिस ने तत्काल कराया बंद

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May 11, 2025

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IDBI बैंक में ‘कछुआ चाल’ KYC प्रक्रिया से ग्राहक परेशान: रोज़ाना सैकड़ों लोग ब्रांच के चक्कर लगाने को हो रहे मजबूर

आरंग। शादी और त्योहार के इस व्यस्त मौसम में जहां लोगों को पैसों की ज़रूरत सबसे ज़्यादा होती है, वहीं आरंग स्थित IDBI बैंक शाखा के ग्राहक बैंक की सुस्त कार्यप्रणाली से बेहद परेशान हैं। बैंक की ‘कछुआ चाल’ जैसी केवाईसी (KYC) प्रक्रिया के चलते सैकड़ों खाताधारक पिछले कई दिनों से बैंक के चक्कर काटने को मजबूर हैं। एक स्थानीय विधवा महिला का कहना है कि उनके बेटे की शादी अगले हफ़्ते है। पैसे निकालने बैंक पहुंचीं, तो पता चला खाता फ्रीज़ है! 2 अप्रैल को उन्होंने केवाईसी के लिए दस्तावेज़ जमा कर दिए, लेकिन 6 दिन बाद भी खाता चालू नहीं हुआ। बैंक वाले सिर्फ़ ‘प्रबंधक से मिल लो’ कहकर टाल देते हैं।

ग्राहकों को नहीं मिल रहा संतोषजनक जवाब

दरअसल, इस शाखा में जिन खातों में नियमित लेन-देन नहीं हुआ है, उन्हें फ्रीज़ कर दिया गया है। अब KYC अनिवार्य हो गया है, और हर रोज़ सैकड़ों लोग बैंक जाकर फॉर्म भर रहे हैं। लेकिन दिक्कत ये है कि फॉर्म तो ले लिए जाते हैं, लेकिन प्रोसेस नहीं हो रहे। शाखा में फॉर्म का ढेर लग गया है, पर ग्राहकों को यह नहीं बताया जा रहा कि उनका नंबर कब आएगा। ग्राहकों का आरोप है कि बैंक कर्मचारी न तो सही जवाब देते हैं, न ही व्यवहार ठीक है। हर सवाल का एक ही जवाब: “प्रबंधक से पूछिए।”

प्रबंधक बोले – हेड ऑफिस से लगता है टाइम

जब शाखा प्रबंधक जगत प्रसाद से बात की गई तो उनका जवाब था, “हमारा KYC हेड ऑफिस से प्रोसेस होता है, इसमें 15 दिन लगते हैं।” जब उनसे पूछा गया कि दूसरे बैंकों में तो 24 घंटे में KYC हो जाता है, तो उन्होंने एक नेशनल बैंक में कॉल कर डाला – और फिर गोलमोल जवाब देने लगे। उन्होंने माना कि बहुत सारे फॉर्म मार्च से लंबित हैं, इसलिए भीड़ ज़्यादा है। लेकिन इसका मतलब ये भी है कि कई ग्राहक हफ्तों से बैंक के चक्कर काट रहे हैं।

अब सवाल ये है…

क्या IDBI बैंक के आला अधिकारी इस समस्या पर ध्यान देंगे? क्या बैंक अपने सिस्टम में सुधार करेगा या फिर लोग इसी तरह परेशान होते रहेंगे? शादी हो या बीमारी, पैसे की ज़रूरत हो और बैंक जवाब न दे, तो हालात वाकई गंभीर हो जाते हैं। अब देखना ये है कि इस ‘कछुआ चाल’ बैंक को रफ्तार कब मिलेगी।