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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सेवा समाप्ति का आदेश किया निरस्त

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ShivApr 19, 20252 min read

बिलासपुर।  न्यायधानी बिलासपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कथित…

भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने सुप्रीम कोर्ट पर की अभद्र टिप्पणी ! फेसबुक पोस्ट वायरल होते ही दी सफाई…

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रायपुर।   सुप्रीम कोर्ट पर अभद्र टिप्पणी करके भाजपा विधायक ईश्वर…

April 19, 2025

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पति ने की पत्नी की कौमार्य परीक्षण की मांग, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, जानिए पूरा मामला…

बिलासपुर।    हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है, कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी के कौमार्य परीक्षण की मांग को असंवैधानिक ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की मांग न केवल महिलाओं की गरिमा के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के भी विपरीत है।

दरअसल रायगढ़ के पारिवारिक न्यायालय में जुलाई 2024 को दर्ज एक मामले में पत्नी ने ₹20,000 प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण की मांग की थी। दोनों की शादी 30 अप्रैल 2023 को हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी, लेकिन जल्द ही संबंधों में दरार आ गई। पत्नी ने अपने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया, जबकि पति ने पत्नी के अपने बहनोई से अवैध संबंध होने की बात कही और उसके कौमार्य परीक्षण की मांग की। पति की इस याचिका को पारिवारिक न्यायालय ने खारिज कर दिया, जिसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील दायर की।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की बेंच ने क्रिमिनल रिवीजन की सुनवाई के दौरान इस पर गंभीर टिप्पणी की। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक है और महिला की गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है, अगर पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है तो वह खुद का मेडिकल परीक्षण करा सकता है, लेकिन पत्नी पर ऐसा आरोप थोपना अवैध है।