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नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता हुई गर्भवती: जान पर बन आई तो डॉक्टरों ने मांगी अबॉर्शन की अनुमति, हाई कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

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ShivMay 14, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले में दुष्कर्म की शिकार…

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

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ShivMay 14, 20252 min read

बीजापुर।  कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 21 दिनों तक चलाए गए…

बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

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ShivMay 14, 20252 min read

महासमुंद। महासमुंद जिले की पारंपरिक रूप से बांस पर निर्भर…

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

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ShivMay 14, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने आज पूर्व…

रेलवे प्रोजेक्ट से बढ़ी किसानों की मुसीबत: रायपुर और दुर्ग के 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक

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ShivMay 14, 20254 min read

रायपुर/दुर्ग। केंद्र सरकार की खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेल लाइन परियोजना अब किसानों…

May 14, 2025

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ठेका निरस्त होते ही सैंकड़ों स्वास्थ्य मितान हुए बेरोजगार, सरकार से समायोजन की कर रहे मांग

रायपुर।   आयुष्मान भारत योजना में अहम भूमिका निभा चुके छत्तीसगढ़ के सैकड़ों स्वास्थ्य मितान ठेका समाप्त होने के बाद बेरोजगार हो गए हैं. नाराज मितानों ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्री से उन्हें डाटा एंट्री ऑपरेटर के पदों पर समायोजित करने की मांग की है. सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

स्वास्थ्य मितानों ने बताया कि वे पिछले 10 से 12 वर्षों से थर्ड पार्टी कंपनियों के माध्यम से राज्य के सभी 33 जिलों में आयुष्मान योजना के तहत कार्यरत थे. उन्होंने आयुष्मान कार्ड बनाना, वय वंदन कार्ड प्रोसेस करना, क्लेम वेरिफिकेशन और अपलोडिंग जैसे महत्वपूर्ण कामों में योगदान दिया. लेकिन 30 अप्रैल 2025 को उनका ठेका बिना किसी विस्तार या वैकल्पिक व्यवस्था के समाप्त कर दिया गया.

मितानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ ने आयुष्मान कार्ड जनरेशन में देश के टॉप 5 राज्यों में जगह बनाई है. इसके साथ ही क्लेम प्रोसेसिंग के मामले में भी राज्य ने राष्ट्रीय औसत से दो गुना बेहतर प्रदर्शन कर उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. जिसका बड़ा श्रेय स्वास्थ्य मितानों को जाता है, लेकिन 4-5 महीने तक वेतन नहीं मिला इसके बावजूद सेवा जारी रखा गया.

अब इन कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें स्टेट हेल्थ एजेंसी के अंतर्गत डाटा एंट्री ऑपरेटर जैसे पदों पर समायोजित किया जाए ताकि योजना की निरंतरता बनी रहे और वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें. उनका कहना है कि अगर अब भी सरकार ध्यान नहीं देती, तो वे ज्ञापन अभियान चलाएंगे और जरूरत पड़ी तो आंदोलन करेंगे, जिसकी पूरी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.