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गजराज का आतंक… किसान के घर में की तोड़फोड़, ग्रामीणों में दहशत का माहौल

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ShivJun 15, 20251 min read

बलरामपुर।  वाड्रफनगर वन क्षेत्र के कैलाशपुर गांव में फिर से…

स्कार्फ बांधकर स्कूटी चलाने पर जुर्माने की कार्रवाई, दुर्ग पुलिस ने काटा चालान

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ShivJun 15, 20251 min read

दुर्ग। यातायात पुलिस द्वारा जिले की यातायात व्यवस्था को सुगम…

रफ्तार का कहर : बालोद, कोंडागांव और सरगुजा में सड़क हादसे, 4 लोगों की मौत

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ShivJun 15, 20252 min read

रायपुर। प्रदेश में रफ्तार का कहर थमने का नाम नहीं…

रायपुर में टीम इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच होगा टी-20 मैच

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ShivJun 15, 20251 min read

रायपुर।  क्रिकेट प्रेमियों के लिए बड़ी खुशखबरी है. रायपुर के…

खनिज माफियाओं में कानून का डर नहीं, गांव में बीच चौराहे पर युवक की मुखबिरी के आरोप में की पिटाई

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ShivJun 15, 20251 min read

बलौदाबाजार। गुंडागर्दी का ताजा मामला जिले से सामने आया है।…

केपीएस सरोना के विद्यार्थियों ने नीट 2025 में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन

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ShivJun 14, 20252 min read

रायपुर। कृष्णा पब्लिक स्कूल (केपीएस), सरोना के विद्यार्थियों ने एनटीए…

June 15, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

गृहमंत्री विजय शर्मा का आदेश, थानों में हिंदीं भाषा बनेगी जनभाषा

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने पुलिस व्यवस्था को आम जनता के लिए और अधिक सहज और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा के निर्देश के बाद अब पुलिस की कार्यप्रणाली में प्रयुक्त कठिन उर्दू-फारसी शब्दों को हटाकर उनकी जगह पर सरल और प्रचलित हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आम नागरिक जब किसी शिकायत, अपराध सूचना अथवा अन्य कार्य से थाने जाता है, तो वह अक्सर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर या अन्य दस्तावेजों की भाषा को लेकर असमंजस में रहता है। अन्य भाषाओं के शब्द आम लोगों के लिए अनजाने होते हैं, जिससे वे न तो अपनी बात ठीक से समझा पाते हैं और न ही पूरी प्रक्रिया को ठीक से समझ पाते हैं। उन्होंने कहा कि यदि पुलिस का उद्देश्य नागरिकों की सहायता और सुरक्षा है, तो उसकी भाषा भी ऐसी होनी चाहिए जो नागरिकों की समझ में आए और उनके विश्वास को बढ़ाए।

उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार पुलिस महानिदेशक द्वारा सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक आधिकारिक पत्र जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से निर्देशित किया गया है कि पुलिस की व्यवहारिक कार्यवाहियों में प्रयुक्त कठिन, पारंपरिक शब्दों को सरल और स्पष्ट हिंदी में बदला जाए। इसके लिए एक शब्द सूची भी तैयार की गई है, जिसमें पुराने कठिन शब्दों के स्थान पर उपयोग किए जाने योग्य सरल विकल्प सुझाए गए हैं।

इस पत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि सभी अधीनस्थ अधिकारियों को इस विषय में अवगत कराया जाए तथा यह सुनिश्चित किया जाए कि यह आदेश केवल औपचारिकता भर न रहे, बल्कि इसका वास्तविक कार्यान्वयन प्रदेश की प्रत्येक पुलिस चौकी, थाने और कार्यालय में दिखे।

छत्तीसगढ़ पुलिस अब केवल कानून का पालन कराने वाली संस्था न होकर जनसंवाद का माध्यम भी बनेगी। भाषा के इस सरलीकरण से शिकायतकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने, सुनने और समझने में सुविधा होगी। एफआईआर जैसी प्रक्रिया, जो अब तक केवल अधिवक्ताओं या पुलिस कर्मियों की समझ में आती थी, वह अब आम नागरिक के लिए भी बोधगम्य हो सकेगी।