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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मूँदी में माँ नर्मदा सेवा परिक्रमा यात्रा में हुए सम्मलित

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ShivMar 15, 20251 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खंडवा ज़िले के मूँदी में…

जनता के लिये पुलिस करती है सभी चुनौतियों का सामना : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivMar 15, 20253 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि पुलिस…

झाबुआ में शीघ्र आरंभ होगा मेडिकल कॉलेज : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivMar 15, 20251 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि शीघ्र…

भाजपा की सख्त कार्रवाई, वनवासी मौर्य 6 साल के लिए निष्कासित

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ShivMar 15, 20251 min read

जगदलपुर।  भारतीय जनता पार्टी ने बस्तर जिले में हुए त्रिस्तरीय…

सीएम विष्णदेव साय को शिक्षक ने भेंट किया विज्ञान जागरूकता अभियान का एल्बम

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ShivMar 15, 20252 min read

रायपुर।  होली के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से…

बगिया में बच्चों संग मुख्यमंत्री श्री साय ने मनाया होली का त्यौहार

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ShivMar 15, 20252 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज गांव के बच्चों के…

March 15, 2025

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आंगनबाड़ी में फल और दूध नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, महिला एवं बाल विकास विभाग से शपथ पत्र में मांगा जवाब

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी में बच्चों को फल, दूध आदि नहीं दिए जाने पर स्वतः संज्ञान लिया है. मामले की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से सचिव महिला बाल विकास विभाग के शपथ पत्र का तुलनात्मक मिलान करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

बता दें कि दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फल और दूध नहीं दिए जाने की खबर मीडिया में आई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई शुरू की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने इसके लिए एडवोकेट अमिय कांत तिवारी , सिध्दार्थ दुबे, आशीष बेक, ईशान वर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. कोर्ट कमिश्नरों ने इन केन्द्रों में जाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.

कोर्ट कमिश्नरों को सबंधित अधिकारियों ने बताया कि फल दूध की जगह पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है. रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के संबंधित प्राधिकारी से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था. मामले में राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अफसरों को पक्षकार बनाया गया. इसके कुछ समय बाद सूरजपुर, कवर्धा और बस्तर से भी यही मामला सामने आया. इन जगहों पर जाकर भी कमिश्नरों ने निरीक्षण कर फिर अपनी रिपोर्ट तैयार की. इस बीच सचिव महिला बाल विकास ने कोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया. आज मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उपस्थित कोर्ट कमिश्नर से कोर्ट ने कहा कि वे अपनी रिपोर्ट से इस शपथपत्र को तुलना कर लें ताकि मालूम हो सके कि अदालत के आदेश का पालन हुआ है या नहीं.