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CGMSC गड़बड़ी: रायपुर-दुर्ग समेत हरियाणा के दर्जनभर से अधिक ठिकानों पर ACB-EOW ने मारा छापा, कई अहम दस्तावेज किए बरामद

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ShivJan 27, 20252 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज़ कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) में हुई गड़बड़ी के…

अंतिम व्यक्ति तक शासन की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए काम करती है भाजपा- डिप्टी सीएम विजय शर्मा

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ShivJan 27, 20253 min read

रायपुर।   हम दीनदयाल के अंत्योदय के सिद्धांत “अंतिम व्यक्ति तक…

निकाय चुनाव 2025: कांग्रेस ने सारंगढ़-बिलाईगढ़ की इन 6 नगर पंचायतों में अपने प्रत्याशियों का किया ऐलान, देखें पूरी लिस्ट

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ShivJan 27, 20251 min read

सारंगढ़-बिलाईगढ़। प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने आगामी नगरीय निकाय चुनावों के लिए…

January 27, 2025

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आंगनबाड़ी में फल और दूध नहीं मिलने पर हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, महिला एवं बाल विकास विभाग से शपथ पत्र में मांगा जवाब

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी में बच्चों को फल, दूध आदि नहीं दिए जाने पर स्वतः संज्ञान लिया है. मामले की जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट से सचिव महिला बाल विकास विभाग के शपथ पत्र का तुलनात्मक मिलान करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

बता दें कि दुर्ग जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को फल और दूध नहीं दिए जाने की खबर मीडिया में आई थी, जिस पर हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज कर सुनवाई शुरू की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डीबी ने इसके लिए एडवोकेट अमिय कांत तिवारी , सिध्दार्थ दुबे, आशीष बेक, ईशान वर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया. कोर्ट कमिश्नरों ने इन केन्द्रों में जाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की.

कोर्ट कमिश्नरों को सबंधित अधिकारियों ने बताया कि फल दूध की जगह पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है. रिपोर्ट आने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन के संबंधित प्राधिकारी से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था. मामले में राज्य के मुख्य सचिव और अन्य अफसरों को पक्षकार बनाया गया. इसके कुछ समय बाद सूरजपुर, कवर्धा और बस्तर से भी यही मामला सामने आया. इन जगहों पर जाकर भी कमिश्नरों ने निरीक्षण कर फिर अपनी रिपोर्ट तैयार की. इस बीच सचिव महिला बाल विकास ने कोर्ट में शपथपत्र प्रस्तुत किया. आज मंगलवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान उपस्थित कोर्ट कमिश्नर से कोर्ट ने कहा कि वे अपनी रिपोर्ट से इस शपथपत्र को तुलना कर लें ताकि मालूम हो सके कि अदालत के आदेश का पालन हुआ है या नहीं.