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जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत, सेवा समाप्ति का आदेश किया निरस्त

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ShivApr 19, 20252 min read

बिलासपुर।  न्यायधानी बिलासपुर के जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में कथित…

भाजपा विधायक ईश्वर साहू ने सुप्रीम कोर्ट पर की अभद्र टिप्पणी ! फेसबुक पोस्ट वायरल होते ही दी सफाई…

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ShivApr 19, 20252 min read

रायपुर।   सुप्रीम कोर्ट पर अभद्र टिप्पणी करके भाजपा विधायक ईश्वर…

राजधानी में कारोबारी के अपहरण की अफवाह से मचा हड़कंप, निकला धोखाधड़ी का फरार आरोपी

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ShivApr 19, 20251 min read

रायपुर। ओडिशा के झारसुगुड़ा में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले…

April 19, 2025

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RTE में गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के मामले में सुनवाई, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को स्पष्ट नीति बनाने के दिए निर्देश

बिलासपुर।  आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के बच्चों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत नि:शुल्क शिक्षा देने के मामले में पेश जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने राज्य सरकार को इस मामले पर आदेश से छह महीने के भीतर एक स्पष्ट नीति बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह फैसला संविधान के अनुच्छेद 21ए के तहत बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दिया है।

दरअसल सीवी भगवंत राव ने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें 6 से 14 वर्ष के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में भी नि:शुल्क शिक्षा देने की मांग की गई थी। उन्होंने तर्क दिया कि शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत इन बच्चों को भी समान अवसर मिलना चाहिए और राज्य सरकार को इस पर स्पष्ट नीति बनानी चाहिए।

इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में पिछली सुनवाई में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज जारी कर दिया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार के पास इस विषय पर कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं है। इस प्रकार यह न्यायालय राज्य को निर्देश देना उचित समझता है कि वह ‘आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग’ के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के संबंध में नीति तैयार करे, ताकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए में निहित आरटीई अधिनियम की भावना और उद्देश्य को कानून के अनुसार यथाशीघ्र अधिमानतः आज से छह महीने की अवधि के भीतर प्राप्त किया जा सके।