Special Story

छत्तीसगढ़ में ओलावृष्टि: बारिश के साथ आकर्षक जादुई पेड़, सड़कों पर बिछी बर्फ की चादर, वीडियो देखें…

छत्तीसगढ़ में ओलावृष्टि: बारिश के साथ आकर्षक जादुई पेड़, सड़कों पर बिछी बर्फ की चादर, वीडियो देखें…

ShivApr 28, 20252 min read

कोरबा/कवर्धा/गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही।  छत्तीसगढ़ में मौसम ने करवट ली है. आज गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही,…

तीर्थ दर्शन कर लौट रहे बुजुर्ग यात्री की ट्रेन में बिगड़ी तबियत, 2 घंटे तक नहीं मिला इलाज, रेलवे स्टेशन में तोड़ा दम

तीर्थ दर्शन कर लौट रहे बुजुर्ग यात्री की ट्रेन में बिगड़ी तबियत, 2 घंटे तक नहीं मिला इलाज, रेलवे स्टेशन में तोड़ा दम

ShivApr 28, 20251 min read

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही।  मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत यात्रा कर रहे…

April 28, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

वेंटिलेटर पर ‘हेल्थ सिस्टम’: अस्पताल की बिजली गुल हुई तो डॉक्टर ने मोबाइल की रौशनी में कराया प्रसव, जनरेटर की नहीं है सुविधा, सोलर सिस्टम पड़ा ठप

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत एक बार फिर उजागर हुई है। जिले के अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सामने आई एक तस्वीर ने न केवल सिस्टम पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि कैसे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझ रही है। दो दिन पहले दाबरीगुड़ा से आई एक महिला का प्रसव डॉक्टरों और स्टाफ ने मोबाइल की रोशनी में कराया, जिसके बाद अब अस्पताल की स्थिति सवालों के घेरे में आ गई है।

प्रभारी चिकित्सक डॉ. इंद्रजीत ने बताया कि उस दिन करीब 8 घंटे तक इलाके की बिजली गुल थी और कम क्षमता के सोलर सिस्टम भी बंद हो चुका था, ऐसे में इमरजेंसी की स्थिति को देखते हुए मोबाइल की रोशनी में ही महिला का सफल प्रसव कराया गया। उन्होंने यह भी बताया कि 5 घंटे से ज्यादा बिजली गुल रही तो अस्पताल में ब्लैकआउट निर्मित हो जाता है।

अस्पताल के उन्नयन के बावजूद सुविधाओं की कमी

बता दें कि 2022 में अमलीपदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को उन्नयन कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया था, लेकिन अब तक इसे आवश्यक सुविधाएं नहीं दी गईं। अस्पताल में न तो जनरेटर है और न ही कोई वैकल्पिक बिजली व्यवस्था, जिससे इलाज में कठिनाई आती है। यहां के 40 से अधिक गांवों की करीब 80,000 आबादी इस अस्पताल पर निर्भर है, लेकिन अस्पताल में न तो 102 एम्बुलेंस सेवा है, न प्रसव कक्ष और इमरजेंसी कक्ष में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था।

अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ की भी कमी है, जिसके चलते सुविधा के अभाव में यहां के ग्रामीणों को झोला छाप डॉक्टरों और निजी क्लीनिकों का सहारा लेना पड़ता है। अस्पताल की अन्य बुनियादी सुविधाएं, जैसे कि बाउंड्री वॉल, सीसीटीवी कैमरे और स्टाफ की पर्याप्त संख्या भी नहीं है। इस कारण न सिर्फ अस्पताल में मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा होता है।

फंड नहीं आता, मैनपुर बीएमओ के अंडर में है डीडीओ पावर

गौरतलब है कि अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मिलने वाला फंड पहली बार इसी साल मिला, पर खर्च नहीं किया जा रहा। जेडीएस में पैसे हैं लेकिन डीडीओ पावर मैनपुर मुख्यालय के बीएमओ के पास होता है। पर जिम्मेदार यहां की जरूरत को अनदेखी कर देते हैं। जिसके कारण अब भी अनिवार्य छोटी-बड़ी कई सुविधाएं अस्पताल से नदारद हैं।