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May 6, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

करोड़ों की सरकारी भूमि का बंदरबांट : शिक्षक, पटवारी और जमीन दलाल ने मिलकर वेशकीमती जमीन का कौड़ियों के दाम में किया खरीद फरोख्त, अब बना रहे व्यवसायिक दुकान, प्रशासन और वन विभाग बेखबर

महासमुंद।    जिले में शासकीय भूमि का फर्जीवाड़ा सामने आया है। करोड़ों की वेशकीमती जमीन को भू माफिया और जमीन दलालों ने मिलकर कौड़ियों में खरीदी फरोख्त की है। महज 100 रुपये के स्टांप पेपर पर जिस खसरे की नोटरी से लिखा-पढ़ी कराई है वो बड़े झाड़ का जंगल निकला। खरीदने वाला और कोई नहीं तीन शिक्षाकर्मी है, तो वहीं एक पटवारी है। इससे जिला प्रशासन और वन विभाग बेखबर है।

महासमुंद जिला मुख्यालय में इन दिनों भू माफिया और जमीन दलालों की नजरें सरकारी जमीनों पर है और इसमें राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर तमाम बड़े अधिकारियों की संलिप्तता साफ तौर पर देखा जा सकता है। बीटीआई रोड गौरवपथ वन विद्यालय से लगे खसरा नंबर 102/5 1898 वर्ग फुट जमीन बड़े झाड़ का जंगल है। सालों पहले इस जमीन पर उषा देवांगन पति केशव देवांगन ने कब्जा कर घर बनाकर रहते थे, लेकिन उस दौरान जिला प्रशासन और ना ही वन विभाग ने कोई कार्रवाई की।

करोड़ों की शासकीय भूमि कौड़ियों के दाम

उषा देवांगन से कुर्मीपारा निवासी पटवारी अरविंद चंद्राकर ने अपनी पत्नी भूमिका चंद्राकर और भाभी भारती पति मोहित चंद्राकर के नाम पर 16 सितंबर 2024 को खसरा नंबर 102/4 का 598 वर्ग फुट जमीन की 100 और 20 रुपये के स्टांप पेपर पर नोटरी लिखा – पढ़ी करा कर कौड़ियों के भाव 10 लाख रुपए में खरीदा, लेकिन शासकीय कर्मचारियों और जमीन दलाल ने दुकानों का निर्माण खसरा नंबर 102/5 बड़े झाड़ के जंगल में किया है।

जमीन दलाल और शासकीय कर्मचारियों की मिलीभगत

इसी तरह जमीन दलाल महासमुंद कौशिक काॅलोनी निवासी कृष्णा कुमार साहू पिता स्व. जेठूराम साहू और महासमुंद नेमचंद गार्डन के पीछे रहने वाला विकास कुमार साहू पिता टिकाराम साहू के साथ मिलकर 17 सितंबर 2024 को सौदा पत्रक तैयार कराया. इसके बाद 21 सितंबर 2024 को उषा देवांगन से खसरा नंबर 102/4 का भाग में 1300 वर्ग फुट जमीन का 100 रुपये के स्टांप पेपर पर 30 लाख में जमीन खरीदी फरोख्त का नोटरी द्वारा लिखा-पढ़ी हुई है, लेकिन इन दोनों अब खसरा नंबर 102/5 भूमि पर व्यवसायिक दुकान का निर्माण करा रहा है।

ऐसे दिया गया फर्जीवाड़ा को अंजाम

जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू, पटवारी अरविंद चंद्राकर, विकास साहू और महासमुंद हल्का पटवारी ने मिलकर इस फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया। इन्होंने खसरा नंबर 102/4 को आबादी भूमि बताकर स्टांप पेपर में नोटरी से सौदा पत्रक तैयार कराया। इन्हें पता था कि शासकीय भूमि की नियमानुसार रजिस्ट्री नहीं हो सकती तो सभी ने सुनियोजित तरीके से खसरा नंबर 102/4 के बजाए दुकानों का निर्माण खसरा नंबर 102/5 में करने लगा। इन सभी को पता था कि, खसरा नंबर 102/4 नहीं बल्कि 102/5 है और जो राजस्व मद में बड़े झाड़ का जंगल दर्ज है।

पटवारी का कारनामा

भारती चंद्राकर पति मोहित और भूमिका पति अरविंद चंद्राकर ने वर्तमान हल्का पटवारी 42 खम्मनलाल साहू से नजरी – नक्शा की मांग की। पटवारी ने खरीदी फरोख्त के तीसरे महीने में यानी 11 नवंबर 2024 को खसरा नंबर 102/4 का भाग आबादी भूमि बताकर 598 वर्ग फुट जमीन का नजरी – नक्शा बनाकर दिया। ऐसे ही जमीन दलाल कृष्णा कुमार साहू और शिक्षाकर्मी विकास साहू को 1300 वर्ग फुट जमीन की खरीदी बिक्री के एक महीने बाद 15 अक्टूबर 2024 ठीक उसी जमीन का भाग और आबादी भूमि का कब्जेदार की मांग पर नजरी – नक्शा दिया गया। जब वन विभाग ने उक्त भूमि पर हो रहे निर्माण की जांच के लिए राजस्व विभाग के अधिकारी से कहा तो पटवारी खम्मनलाल साहू और आरआई मनीष श्रीवास्तव मौका स्थल की नाप-जोख किया तो खसरा नंबर 102/5 बड़े झाड़ का जंगल निकला।

शासकीय जमीन का बंदरबांट करने वाले सरकारी मुलाजिम

अरविंद चंद्राकर हल्का पटवारी लभराकला में पदस्थ हैं। अरविंद चंद्राकर की भाभी भारती चंद्राकर सहायक शिक्षकी वर्ग – 3, प्राथमिक शाला साराड़ीह में पदस्थ हैं। इसी तरह भारती के पति मोहित चंद्राकर शिक्षक वर्ग -2 प्राथमिक शाला खिरसाली और विकास साहू वर्ग -1 एल बी शिक्षक बागबाहरा ब्लॉक के ग्राम मोंगरापाली के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत हैं।

सत्ता से जुड़े सफेदपोश की संलिप्तता

सत्ताधारी के सफेदपोश के रिस्तेदरा और छुटभैया नेता भी जमीन दलाली का काम कर रहे हैं। सफेदपोश के संरक्षण में ऐसे जमीनों का फर्जीवाड़ा हो रहा है। बाकायदा इसके लिए अफसरों पर दबाव भी बनाया जाता है। सफेद पोश के रिश्तेदार और छुटभैए नेताओं का डेरा अक्सर राजस्व विभाग के दफ्तरों में देखा जा सकता है। राजस्व विभाग में इनका इतना दबदबा है कि इनके इशारें में जमीन का डायवर्सन से लेकर खरीदी बिक्री हो या फिर शासकीय भूमि का कब्जा हो सभी में हिस्सा तय है। इन सबके कारण पूर्व में एक राजस्व अधिकारी ने सफेदपोश नेता के दबाव से तंग आकर अपना ट्रांसफर करा लिया।

राजस्व टीम भेजकर जांच कराएंगे : डीएफओ

इस मामले में महासमुंद डीएफओ पंकज राजपूत ने कहा, संबंधित भूमि राजस्व की है, जो लंबे समय से वन विद्यालय के लिए आरक्षित है। कुछ समय से एक कब्जाधारी निवास कर रहे थे। अभी वहां कंस्ट्रक्शन होता पाया गया है, जो पूरी तरह अवैध है। एसडीएम को इसकी सूचना दे दी गई है। राजस्व टीम भेजकर जांच कराई जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद हमारे और एसडीएम मिलकर कार्रवाई करेंगे। छोटे झाड़ जंगल पाया जाता है तो वन संरक्षण अधिनियम लागू होगा।