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November 29, 2024

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

पुरुषार्थ और परमार्थ का संगम है जर्मनी, इससे जुड़कर उद्योग के नये मार्ग होंगे प्रशस्त : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल।    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत और जर्मनी के आपसी संबंध हमेशा से बेहतर रहे हैं। पुरुषार्थ और परमार्थ से परिपूर्ण जर्मनी ने भारत के साथ हमेशा उद्योग मैत्री का रवैया रखा है। उन्होंने जर्मनी के निवेशकों को उन्नत तकनीकी के साथ मध्यप्रदेश में आमंत्रित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए आये निवेशकों को हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। हमनें निवेशकों के हित में जटिलताओं को समाप्त/सरलीकृत कर प्रक्रियात्मक कठिनाइयों को दूर करने का काम किया है। निवेशकों को प्रदेश में उद्योग लगाने पर बिजली और पानी की कमी नहीं आने दी जायेगी। निवेशक हमारे लिये मेहमान नहीं, हमारे परिवार का एक अंग हैं। हम उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होने देंगे। प्रदेश में ग्रीन एनर्जी के लिये भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरुवार को म्यूनिख (जर्मनी) में अपनी 3 दिवसीय यात्रा के प्रथम दिन इन्टरैक्टिव सेशन को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भोपाल में फरवरी माह में हो रही ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 में आने के लिए जर्मनी के उद्योगपतियों को आमंत्रित किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भारत और जर्मनी के अतीतकाल से बहुत गहरे संबंध है। विशेष रूप से उद्योग और व्यवसाय जगत में भी हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं। हमने इन संबंधों को निभाया भी है। यूरोप के सभी देशों से तुलना की जाए तो जर्मनी मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश करने वाला देश है। मेरी यात्रा इन संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक कदम है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज यहां मैं एक स्पष्ट उद्देश्य से आया हूँ। हम जर्मनी के साथ एक नई तरह की साझेदारी चाहते हैं। साझेदारी केवल व्यापार तक ही सीमित न हो। हम चाहते हैं कि जर्मनी की कम्पनियां अपनी उन्नत तकनीक के साथ मध्यप्रदेश में निवेश करें। मध्यप्रदेश में उपलब्ध प्राकृतिक और मानव संसाधनों के साथ जर्मनी की तकनीक का संगम हो। मध्यप्रदेश एक सम्पूर्ण इन्वेस्टमेंट डेस्टीनेशन है। मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिए स्वर्णिम अवसर भी उपल्बध हैं। जब मध्यप्रदेश की क्षमताओं की बात की जाती है, तो आंकड़े स्वयं बोलते हैं। मध्यप्रदेश आज भारत की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारी अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक में तीन गुना बढ़ी है। हमारी विकास दर दोहरे अंक में है। लेकिन यह तो शुरूआत है। हम एक पॉवर सरप्लस स्टेट हैं। सिर्फ यही नहीं, प्रदेश में बिजली देने के लिए वैकल्पिक साधनों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ग्रीन एनर्जी की दिशा में मध्यप्रदेश काफी आगे बढ़ा है। इसके साथ ही पर्याप्त जल और भूमि की उपलब्धता भी मध्यप्रदेश की विशेषता है। हमारी यूएसपी है

मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि जर्मनी के उद्योगपति जर्मनी ही नहीं, विश्व के कई देशों में ख्याति प्राप्त कर रहे हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जर्मन विद्वान मैक्स मूलर का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय ग्रंथों और वेदों का जर्मनी सहित अन्य भाषाओं में अनुवाद किया। वे संस्कृत के भी विद्वान थे। स्वामी विवेकानंद भी उनकी प्रतिभा की प्रशंसा करते थे। जर्मनी ने विश्व युद्ध सहित अनेक कठिनाईयों का सामना किया है। लेकिन जर्मनी के नागरिकों की जीवटता सराहनीय है।

उद्योग स्थापना की महत्वपूर्ण स्वीकृतियाँ 30 दिन में

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उद्योग स्थापना में आने वाली मुश्किलों को दूर करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने विशेष प्रयास किये हैं। मध्यप्रदेश को देश का इकलौता प्रदेश कहा जा सकता है, जहाँ उद्योग संबंधी सभी प्रकार की अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ मात्र 30 दिन में दी जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण विभाग की मॉनीटरिंग उत्साही, जिज्ञासु और कर्मठ अधिकारियों के हाथों में है। इसके अतिरिक्त वे स्वयं निरंतर इस विभाग की मॉनीटरिंग करते हैं।

मेहमान नहीं, परिवार बनकर आयें

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जर्मनी के निवेशकों को आमंत्रित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश की धरती पर मेहमान की बजाये परिवार बनकर आये हैं। सभी को सुखद औद्योगिक माहौल मिलेगा।

भारत के भावी आर्थिक लक्ष्यों का भी हृदय प्रदेश है मध्यप्रदेश

‘इन्वेस्ट अपोर्चुनिटीज इन एमपी’ के लिए गुरुवार को जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित इंटरैक्टिव सेशन को जर्मनी में भारत के कौंसुलेट जनरल शत्रुघन सिन्हा ने कहा कि मध्यप्रदेश भारत का भौगोलिक हृदय प्रदेश तो है ही, साथ ही यह भारत के आर्थिक विकास का भी प्रमुख गंतव्य बन रहा है। श्री सिन्हा ने जर्मनी के निवेशकों से मध्यप्रदेश में निवेश का आव्हान कर उन्हें आश्वस्त करते हुए बताया कि यहां 5 पूर्ण विकसित हवाई अड्डे, 4 हजार किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग और विस्तृत रेलवे नेटवर्क है। मध्यप्रदेश के शहरों से देश के उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक किसी भी स्थान पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से देश भर के पोर्ट्रस तक सुगम पहुंच इसे देश की सप्लाई चेन के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र बनाती है।

श्री सिन्हा ने मध्यप्रदेश में निवेश की अपार संभावनाओं पर जोर देते हुए मध्यप्रदेश सरकार की इंडस्ट्री फ्रैंडली नीतियों की तारीफ की। उन्होंने जर्मन निवेशकों को बताया कि मध्यप्रदेश में कृषि, नवकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में निवेश न सिर्फ मध्यप्रदेश, बल्कि निवेशकों के लिए भी विकास के नए द्वार खोल सकता है।

जर्मन निवेशकों के लिए मध्यप्रदेश आइडियल डेस्टिनेशन

डॉ. टोबियास रोसेन्थाल, चेयरमेन, बेयरलोशर ने कहा कि जर्मन निवेशकों के लिये मध्यप्रदेश आइडियल डेस्टिनेशन है। मध्यप्रदेश में एडिटिव प्लास्टिक उत्पादक कंपनी बेयरलोशर के चेयरमेन डॉ. रोसेन्थाल ने मध्यप्रदेश में उद्यमिता के अपने 25 वर्ष के अनुभव साझा करते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में उनका इतना अच्छा अनुभव रहा कि उनकी कंपनी ने दुनिया भर के 15 प्लांट्स में सबसे बड़ा प्लांट मध्यप्रदेश में स्थापित किया। डॉ. रोसेन्थाल ने जर्मन निवेशकों को बताया मध्यप्रदेश निवेश के लिये आइडियल डेस्टिनेशन है, क्योंकि यहाँ अच्छे व कुशल मानव संसाधन, उपयुक्त इन्फ्रॉस्ट्रक्चर असिस्टेंस और प्रदेश सरकार की ओर से प्रोत्साहन के रूप में बहुत अच्छे इंसेटिव्स मिलते हैं।

“ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” नीति में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है

अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने कहा कि मध्यप्रदेश, भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में योगदान देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। रणनीतिक भौगोलिक स्थिति, प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों और प्रगतिशील प्रशासन के साथ राज्य इस राष्ट्रीय दृष्टिकोण में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

“ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” नीति में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाया है, जो प्रदेश की नीतियों और बुनियादी ढांचे में उनकी निवेश क्षमता को दर्शाता है। मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्युटिकल्स, आईटी/आईटीईएस उद्योग और ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरिंग में उभरता क्षेत्र है। विश्वस्तरीय सोलर पावर परियोजनाओं के साथ मध्यप्रदेश ग्रीन ऊर्जा के उपयोग में अग्रणी है। इसके अलावा, मध्यप्रदेश आईटी/आईटीईएस, वस्त्र, वस्त्र उद्योग, रसायन, फार्मा, एग्रीटेक, खाद्य प्रसंस्करण और खनन क्षेत्रों में भी अग्रणी है। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से, मैं यहां उपस्थित सभी का दिल से धन्यवाद करता हूँ और आशा करता हूँ कि आज की चर्चा हमें आपसे प्रभावशाली सहयोगों के लिए मार्गदर्शन करेगी।

मध्यप्रदेश देश में एआई हब के रूप में उभर रहा है

अपर मुख्य सचिव सूचना एवं प्रौद्योगिकी संजय दुबे ने कहा कि भारत में डिजिटल और टेक इनोवेशन का विकास हुआ है। भारत में प्रतिदिन 550 मिलियन डिजिटल ट्रांजैक्शन प्रोसेस किए जाते हैं। भारत के 5.5 मिलियन टेक एमप्लाइज में से लगभग डेढ़ लाख मध्यप्रदेश से हैं, जो भारत की तकनीकी प्रगति को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। राज्य आईटी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। मध्यप्रदेश भारत में प्रमुख एआई हब के रूप में उभर रहा है। भारत के टियर टू शहर आईटी के क्षेत्र में प्रमुख केन्द्र बनकर उभर रहे हैं, जिनमें से भोपाल एवं इंदौर मध्यप्रदेश में स्थित हैं। राज्य सरकार की नीतियाँ जैसे आईटी, आईटीएस, ईएसडीएम पॉलिसी, स्टार्ट-अप पॉलिसी इस विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। राज्य में एवीजीसी नीति लागू की जा रही है एवं जीसीसी पॉलिसी लागू करने की तैयारी की जा रही है। मध्यप्रदेश में निवेशकों के लिये आकर्षक वित्तीय एवं गैर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किये जाते हैं।

मध्यप्रदेश से जर्मनी को 162 मिलियन डॉलर का निर्यात

प्रमुख सचिव औद्योगिक नीति एवं निवेश संवर्धन राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के साथ ही आधारभूत सुविधाओं के मामले लगातार प्रगति कर रहा है। यहाँ बिजली, पानी, सड़क, कुशल मेन पॉवर की पर्याप्त उपलब्धता है और 88 मिलियन उपभोक्ता हैं। साथ ही 5.1 लाख किलोमीटर सड़क नेटवर्क है। म.प्र. में 31 गीगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता, 77.5 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है। म.प्र., भारत का गेहूँ का सबसे बड़ा निर्यातक प्रदेश है। यह हीरा, ताँबा, मैग्नीज का प्रमुख उत्पादक है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मध्यप्रदेश से जर्मनी को 162 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ, जिसमें टेक्सटाइल, कृषि, ऑटोमोबाइल, जैविक, यौगिक एवं प्लास्टिक जैसे क्षेत्र शामिल हैं। राज्य में 300 से अधिक बड़े एवं एमएसएमई औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहाँ पर 43 प्रतिशत कार्यशील जनसंख्या हैं। वर्तमान में 1700 से अधिक जर्मन कम्पनियाँ भारत में कार्यरत हैं। जबकि 200 से अधिक भारतीय कम्पनियाँ जर्मनी में कार्यरत हैं। भारत से जर्मनी को 10.13 बिलियन का निर्यात किया जाता है। जबकि जर्मनी से भारत को 15.93 बिलियन डॉलर का निर्यात किया जा रहा है। दोनों देशों के बीच 26.06 बिलियन डॉलर का व्यापार होना भारत और जर्मनी के मजबूत आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को प्रमाणित करता है। राज्य में एमएसएमई और स्टार्ट-अप ईको-सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है। वर्तमान में यहाँ 1.40 मिलियन एमएसएमई स्थापित हैं, जिनसे लगभग 7.3 मिलियन लोगों को रोजगार मिल रहा है। यहाँ 2200 से अधिक महिलाएँ स्टार्ट-अप का नेतृत्व कर रही हैं। यहाँ 300 से अधिक फार्मा कम्पनीज 160 से अधिक देशों में दवाईयों का निर्यात करती हैं।