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आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में फर्जीवाड़ा : 13 नियुक्ति प्रक्रिया में मिली कई गड़बड़ियां, चयन समिति को नोटिस जारी

गरियाबंद।    देवभोग ब्लॉक में आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती में फर्जीवाड़ा मामले की जांच में कई गड़बड़ी मिलने के बाद चयन समिति के खिलाफ एक्शन लिया गया है. अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय के नेतृत्व में गठित कमिटी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ. 24 में से 13 की नियुक्ति प्रक्रिया में कई विसंगतिया पाई गई. इसके बाद चयन समिति को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

जांच कमेटी ने पाया कि 24 पदों में से 13 की भर्ती प्रकिया में कई विसंगतियां हैं। 24 पदों में भर्ती के लिए सिंगल ज्ञापन जारी किया गया था, लेकिन नियुक्ति आदेश पृथक जारी किया जाना, मूल्यांकन पंजी में दर्ज अंक और नियुक्ति में लगाए गए अंक सूची के कुल योग में अंतर, ग्रेडिंग के बदले निर्धारित किए गए अंकों में अलग-अलग अंक दर्शित कराया जाना जैसे अनियमितता के कई बिंदु पाए गए। 13 केंद्रों की भर्ती में कुछ अपात्र अभ्यर्थियों को नियम ताक में रख लाभ पहुंचाने कूटरचना करना पाया गया.

चयन समिति को नोटिस जारी

जांच अधिकारी अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय ने कहा कि मामले की जांच में मिले तथ्यों के आधार पर चयन समिति में शामिल सीईओ, सीडीपीओ, बीईओ और बीएमओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जवाब संतोष प्रद नहीं पाए जाने पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. वहीं जिन नियुक्तियों में अनियमितता मिली है, उन्हें रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

एसडीएम के जांच में मिला था क्लीन चिट

पूंजीपारा में सहायिका नियुक्ति का मामला थाने तक पहुंचा। मामले में नियुक्त पा चुकी अभ्यर्थी और अंक सूची जारी करने वाले प्रधान पाठक को आरोपी बनाया गया था। इन पर प्राथमिकी दर्ज भी हुई। इसके बाद कोदोभाठा, कुम्हड़ाई कला के अभ्यर्थी भी जेल भेजे गए। लेकिन पूरे मामले में आंख मूंद कर अंक सूची जारी करने वाले या फिर त्रुटिपूर्ण आवेदन करने वाले बचकर निकल रहे थे।

मामले की जांच जब देवभोग एसडीएम तुलसी दास से कराई गई तब भी जिम्मेदार और अपराध के भागीदारी हाथ नहीं आ रहे थे। लेकिन इस तरह की गड़बड़ियों को पकड़ने में माहिर अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय ने जांच शुरू की तो गड़बड़ी के असली आरोपी भी कार्रवाई के दायरे में आ चुके हैं।

दर्ज है अपराध, सह आरोपी बनाए जा सकते हैं

फर्जी सहायिका भर्ती मामले में देवभोग थाने में दो अलग-अलग प्रकरण दर्ज है. जांच में अब जिन्हें दोषी पाया गया है, उन्हें दर्ज अपराध का सह आरोपी बनाया जा सकता हैं.