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अंतर्राष्ट्रीय समपार (फाटक) दिवस के अवसर पर चलाया जा रहा है सघन जागरुकता अभियान

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ShivJun 8, 20252 min read

रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय समपार फाटक जागरूकता दिवस के अवसर पर दिनांक…

भाजपा नेत्री ने दिखायी दबंगई, सरेराह किसान को पीटा, जमकर बरसाये लात-घूंसे…

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ShivJun 8, 20251 min read

कोरबा। भाजपा नेत्री का मारपीट करते हुए एक वीडियो सोशल…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मुस्लिम समाज ने दी ईदुल अज़हा की बधाई

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ShivJun 8, 20251 min read

रायपुर। मुस्लिम समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री निवास में प्रदेश…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आईआईएम रायपुर परिसर में किया सुशासन वाटिका का शुभारंभ

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ShivJun 8, 20252 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज यहां भारतीय प्रबंध…

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जनदर्शन में सुनी जनता की समस्याएं

स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जनदर्शन में सुनी जनता की समस्याएं

ShivJun 8, 20253 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आज…

June 8, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग का JNU में व्याख्यान, छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति पर है विशेषज्ञता

रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति के विशेषज्ञ पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग फरवरी माह के अंत में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय नई दिल्ली में व्याख्यान देंगे. डॉ. अलंग छत्तीसगढ़ से संबंधित विषयों पर व्याख्यान देने के लिए बड़े मंचों पर बुलाए जाते रहे हैं. 

डॉ संजय अलंग हाल में अरुणाचल प्रदेश साहित्य महोत्सव, ईटानगर; विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली; आज तक साहित्य महोत्सव, नई दिल्ली; बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी: रायपुर साहित्य महोत्सव जैसे सुप्रसिद्ध मंचों पर छत्तीसगढ़ पर व्याख्यान दे चुके हैं, या कविता पाठ कर चुके हैं.

डॉ. अलंग द्वारा लिखी गई शोध पुस्तक छत्तीसगढ़ : इतिहास और संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ शोध शिक्षा लेखन के लिए भारत सरकार का सर्वोच्च सम्मान एक लाख रुपए के साथ प्रदान किया गया था. उन्होंने छत्तीसगढ़ की रियासतें और जमींदारियां, छत्तीसगढ़ की जनजातियां और जातियाँ सहित दस से अधिक पुस्तकें लिखी हैं. उन्हें शोध के लिए कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.

उनकी तीन कविता संग्रह- शव, पगडंडी छिप गई थी (छत्तीसगढ़ पर एकाग्र) और नदी उसी तरह सुन्दर थी जैसे कोई बाघ- हिन्दी में और एक कविता संग्रह- मउहा कान म बोलय बांस – छत्तीसगढ़ी में प्रकाशित हो चुके हैं. उन्हें कविताओं के लिए भी कई सम्मान मिल चुके हैं.