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पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने पहलगाम आतंकी हमले को झीरम कांड से जोड़ा, कहा- दोनों जगह सुरक्षा नहीं थी, वहां भी नाम पूछकर मारा गया था

दुर्ग। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज एक प्रेस वार्ता कर कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि इस हमले ने न सिर्फ 27 परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे देश को शोक में डुबो दिया है. बघेल ने इस आतंकी घटना को ‘झीरम घाटी की घटना’ से जोड़ते हुए केंद्र सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए. वहीं संविधान बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से आयोजित की जा रही ‘संविधान बचाओ रैली’ पर भी विस्तृत चर्चा की और भाजपा की आलोचना की.

भिलाई के एक निजी होटल में आज पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए पहलगाम की दुखद घटना पर गहरी पीड़ा व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस आतंकी हमले से देश की 140 करोड़ जनता व्यथित है.उन्होंने कहा कि इस आतंकी हमले में 27 परिवार उजड़ गए. जो लोग खुशी के पल बिताने गए थे, वे अब दुखी होकर लौटे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की ओर से इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कल ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा एक निंदा प्रस्ताव पारित किया गया है.

भूपेश बघेल ने कहा कि आज की इस वार्ता में ‘पहलगाम की घटना’ और ‘संविधान बचाओ रैली’ पर बात करने आए हैं. उन्होंने कहा कि एक पहलू यह है कि धर्म पूछ-पूछ कर हत्याएं की गई, कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया गया. दूसरा पहलू यह है कि जो लोग घोड़ा चला रहे थे, उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर पर्यटकों को बचाया. इन दोनों घटनाओं में समानता यह है कि हमने भी झीरम में अपनों को खोया था. वहां भी सुरक्षा नहीं थी और पहलगांव में भी सुरक्षा नहीं थी.

भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम में भी नाम पूछ-पूछ कर मारा गया था. वहां भी 33 लोग मारे गए थे और पहलगाम में भी 27 लोगों की जान गई. पहलगाम में भी पुलिस बल और अर्धसैनिक बल मदद के लिए सामने नहीं आया. इस घटना ने झीरम घाटी की घटना की याद ताज़ा कर दी. हमारे सभी नेताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की, शोक व्यक्त किया और केंद्र सरकार को समर्थन देने की बात कही. लेकिन भाजपा की सोशल मीडिया टीम ने सिर्फ ‘धर्म पूछ-पूछ कर मारा’ को ही मुख्य मुद्दा बना दिया.

पूर्व सीएम ने सवाल उठाते हुए कहा कि वहां सहायता क्यों नहीं पहुंची? इसका जिम्मेदार कौन है? इंटेलिजेंस फेलियर का जिम्मेदार कौन है?

संविधान बचाओ रैली को लेकर पूर्व सीएम बघेल ने कहा कि आज राष्ट्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है. संविधान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है. महंगाई लगातार बढ़ रही है और सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की तैयारी की जा रही है. रायपुर में कांग्रेस के अधिवेशन से पहले ईडी ने कई कांग्रेस नेताओं के घर छापे मारे. अहमदाबाद में भी राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई.

नेशनल हेराल्ड को लेकर बघेल ने कहा कि देश की आज़ादी में नेशनल हेराल्ड से निकलने वाली पत्रिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. यह एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में है. उस संस्था पर आरोप लगाए जा रहे हैं, जो सेक्शन 8 के तहत संचालित है.

भाजपा के नेता ने 5 हजार करोड़ रुपये के मामले का झूठा हल्ला मचाया, जबकि इस परिवार ने सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति दान कर दी है. भाजपा के नेता लगातार अफवाह फैलाने और कांग्रेस नेताओं को दुर्भावना से फंसाने की कोशिश की जा रही है. इसके विरोध में हमें निर्देश मिला है कि 40 दिनों तक लगातार कार्यक्रम आयोजित किए जाएं, जिसमें ‘संविधान बचाओ रैली’ का आयोजन भी शामिल है.

क्या है झीरम घाटी हत्याकांड

झीरम घाटी हत्याकांड 25 मई 2013 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के झीरम घाटी में हुआ था. यह घटना नक्सली हिंसा का हिस्सा थी और इसमें कांग्रेस पार्टी के कई प्रमुख नेताओं की हत्या हुई थी. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2013 के पहले कांग्रेस ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए परिवर्तन यात्रा की शुरुआत की थी. उस दौरान राज्य में भाजपा सरकार थी. इस परिवर्तन यात्रा के जरिए कांग्रेस सत्ता पर काबिज होना चाह रही थी, लेकिन इसी बीच 25 मई 2013 को एक नक्सली हमले ने छत्तीसगढ़ को ही नहीं, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया. इस हमले में नक्सलियों ने एक साथ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को मौत के घाट उतार दिया. मरने वालों में तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित लगभग 30 से अधिक नेता, कार्यकर्ता और कई जवान शामिल थे. इतना बड़ा राजनीतिक नरसंहार देश में इससे पहले नहीं हुआ था.