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बिजली कंपनी द्वारा पारेषण-वितरण तंत्र में नवीन अधोसंरचना का होगा विस्तार: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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ShivFeb 26, 20253 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ऊर्जा विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा…

छात्राओं के साथ बैड टच, निलंबित हुए प्रधान पाठक और सहायक शिक्षक…

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ShivFeb 26, 20251 min read

बिलासपुर।  छत्तीसगढ़ में छात्राओं के साथ बेड टच मामले में…

CG के CM साय ने बागेश्वर धाम में लिया नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प, धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगाने की कही बात

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ShivFeb 26, 20251 min read

रायपुर/छतरपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज बागेश्वर धाम…

छत्तीसगढ़ को ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ में राष्ट्रीय सम्मान: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई

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ShivFeb 25, 20252 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ ने भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई…

February 26, 2025

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पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को नहीं मिली हाई कोर्ट से राहत, ACB से मांगा जवाब…

बिलासपुर। पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिली है. मामले में हाई कोर्ट ने निचली अदालत के अग्रिम जमानत नहीं देने के फैसले को बरकरार रखते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जवाब तलब किया है. मामले की अगली एक हफ्ते बाद होगी.

जस्टिस रविंद्र अग्रवाल के सिंगल बेंच में आज सुनवाई हुई. पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा की ओर से मामले में ईओडब्ल्यू पर झूठे आपराधिक केस में फंसाने का आरोप लगाया गया है, जिस पर उन्होंने अग्रिम जमानत याचिका लगाई है. जस्टिस ने एफआईआर पर स्टे देने से इंकार करते हुए एसीबी-ईओडब्ल्यू से जबाव तलब किया है.

बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने डॉ. आलोक शुक्ला, अनिल टुटेजा, सतीश चंद्र वर्मा और अन्य पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धाराओं 7, 7क, 8, और 13(2) और भारतीय दंड संहिता की धाराएं 182, 211, 193, 195-ए, 166-ए, और 120बी के तहत अपराध दर्ज किया था.

ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज एफआईआर के अनुसार, पूर्व आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से पद का दुरूपयोग करते हुए लाभ लिया. दोनों अफसरों ने तत्कालीन महाअधिवक्ता वर्मा को लोक कर्तव्य को गलत तरीके से करने के लिए प्रेरित किया था.

ईओडब्ल्यू का आरोप है कि इसके बाद तीनों ने मिलकर एजेंसी (ईओडब्ल्यू) में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाया, ताकि नागरिक आपूर्ति निगम के खिलाफ 2015 में दर्ज एक मामले में अपने पक्ष में जवाब तैयार कर हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रख सकें और उन्हें अग्रिम जमानत मिल सके.