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ट्रांसफार्मर में डीओ चढ़ाने का काम कर रहा था ठेका श्रमिक, 33 केवी की सप्लाई अचानक हो गई चालू, गंभीर रूप से घायल

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ShivJun 2, 20252 min read

गरियाबंद। जिले के फिंगेश्वर नगर में ट्रांसफार्मर पर डीओ (ड्रॉपआउट फ्यूज) चढ़ाने के दौरान…

डॉक्टर की दबंगई और अस्पताल की बदहाली : ड्यूटी छोड़ निजी क्लिनिक पहुंचे डॉक्टर, पत्रकार से की अभद्रता

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ShivJun 1, 20252 min read

खैरागढ़। खैरागढ़ जिला मुख्यालय स्थित सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं…

हमारी सरकार बस्तर में शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय

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ShivJun 1, 20254 min read

रायपुर।  छत्तीसगढ़ ने बौद्ध धर्म से जुड़ी सुंदर स्मृतियों को…

मुख्यमंत्री ने भोंगापाल में बांस नौका विहार केंद्र का किया शुभारंभ

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ShivJun 1, 20251 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कोंडागांव जिले के भोंगापाल…

June 2, 2025

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पूर्व विस अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल की मौत के मामले में अपोलो के फर्जी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज…

बिलासपुर। अपोलो अस्पताल में 2006 में इलाज के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पं. राजेन्द्र शुक्ल की मौत हो गई थी. अब मामले में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जान केम के खिलाफ सरकण्डा थाने में धारा 420, 465, 466, 468, 471, 304, 34 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया है.

बता दें कि दमोह के मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत के मामले में खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया गया है. कथित डॉक्टर की वजह से अपोलो अस्पताल में भी 7–8 मरीजों की जान गई थी, जिनमें दिग्गज कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल थे.

करीब 32 साल तक विधायक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र शुक्ल का 20 अगस्त 2006 को तबीयत बिगड़ने पर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई. उनका ऑपरेशन भी कथित डॉक्टर नरेंद्र ने किया था.

दमोह की घटना सामने आने के बाद राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के परिजनों ने मामले की जांच की मांग की थी. आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वायएस दुबे ने इसकी जांच करवाई. जांच में पाया गया कि नरेंद्र के दस्तावेज फर्जी थे. उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी, वह कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था. वहीं अपोलो हॉस्पिटल प्रबन्धन ने अपने मुख्यालय से डॉक्टर से जुड़े दस्तावेज मंगाए थे. जांच में फर्जी डॉक्टर का नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम का अलग-अलग पाया गया था.