Special Story

“संकल्प से सिद्धि तक” एक भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण को समर्पित अभियान: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

“संकल्प से सिद्धि तक” एक भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण को समर्पित अभियान: सांसद बृजमोहन अग्रवाल

ShivJun 7, 20253 min read

रायपुर।  कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति और कश्मीर के प्रति इसके भ्रमित…

नशे में धुत कार चालक ने लोगों को रौंदा, 1 की मौके पर ही मौत, 3 की हालात गंभीर…

नशे में धुत कार चालक ने लोगों को रौंदा, 1 की मौके पर ही मौत, 3 की हालात गंभीर…

ShivJun 7, 20251 min read

बिलासपुर। तोरवा थाना क्षेत्र के दर्रीघाट के पास एक नशे में…

जशपुर पुलिस ने 48 घंटे में किया मोटरसाइकिल चोर गिरोह का पर्दाफाश

जशपुर पुलिस ने 48 घंटे में किया मोटरसाइकिल चोर गिरोह का पर्दाफाश

ShivJun 7, 20252 min read

जशपुर। जिले में हाल ही में लगातार हो रही मोटरसाइकिल…

खात्मे की ओर नक्सलवाद : नेशनल पार्क इलाके में 7 माओवादी ढेर, 2 बड़े नक्सली लीडर भी मारे गए

खात्मे की ओर नक्सलवाद : नेशनल पार्क इलाके में 7 माओवादी ढेर, 2 बड़े नक्सली लीडर भी मारे गए

ShivJun 7, 20252 min read

बीजापुर।  नेशनल पार्क इलाके में लगातार तीसरे दिन नक्सलियों के…

June 7, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. पनगढ़िया नारायणपाल मंदिर की वस्तुकला देखकर प्रभावित हुए, 11वीं शताब्दी के वास्तु शिल्प का उत्कृष्ट उदाहरण है नारायणपाल मंदिर

रायपुर।     केंद्रीय वित्त आयोग का दल आज जगदलपुर पहुंचने के बाद बस्तर जिले के लोहांडीगुड़ा विकासखंड में स्थित नारायणपाल मंदिर का अवलोकन करने पहुंचा। वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया मंदिर की वस्तुकला देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्होंने मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी ली, जिस पर स्थानीय गाइड धनुर्जय बघेल ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर चक्रकोट के छिंदक नागवंशी शासकों द्वारा 11वीं शताब्दी में बनाया गया है, क्षेत्र के नागरिकों में मंदिर के प्रति गहरी आस्था है, नारायणपाल मंदिर वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। इस दौरान सदस्यों ने मंदिर में दर्शन कर समूह फोटो भी खिंचवाई।

ज्ञात हो कि चक्रकोट के छिंदक नागवंशी शासकों द्वारा निर्मित पूर्वाभिमुख यह प्रस्तर मन्दिर मध्यम ऊँचाई की जगति पर अवस्थित वस्तुतः शिव मन्दिर है। किन्तु परवर्ती काल में इस मन्दिर के गर्भगृह में विष्णु की प्रतिमा प्रतिष्ठापित कराई गई, जिसके कारण इसे अतीत में नारायण मन्दिर कहा जाने लगा। मंदिर की भू-संयोजना में अष्टकोणीय मण्डप, अन्तराल एवं गर्भगृह की व्यवस्था है, मंदिर का द्वार अलंकृत एवं बेसर शैली का सप्तस्थ योजना का उच्च साधारण शिखर है। मंदिर में प्रदक्षिणापथ का अभाव है। इस मंदिर में दो शिलालेख सुरक्षित हैं जिसमें प्रथम शंक संवत् 1033 (ईस्वी सन् 1110) के छिंदक नागवंशीय शासक सोमेश्वर की माता गुण्ड महादेवी का शिलालेख है, जिसमें भगवान नारायण की नारायणपुर नामक ग्राम तथा भगवान लोकेश्वर को कुछ भूमि दान करने का उल्लेख है जबकि दूसरे एक खण्डित शिलालेख में अदेश्वर (शिव) के मन्दिर का उल्लेख है। यह मन्दिर 11वीं शताब्दी के वास्तु शिल्प का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर के विभिन्न हिस्सों में शिलालेख भी हैं जिस पर संस्कृत के शब्द उकेरे गए हैं।