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उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने नगरीय निकायों के कार्यों की समीक्षा की

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ShivFeb 28, 20252 min read

रायपुर।    उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री…

भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में गढ़े हैं नए कीर्तिमान : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivFeb 28, 20254 min read

भोपाल।    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि विज्ञान…

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरूगन और श्री आठवले ने की भेंट

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ShivFeb 28, 20251 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से शुक्रवार की शाम समत्व…

मध्यप्रदेश में बनेगी साइंस सिटी : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivFeb 28, 20251 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में…

February 28, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल महिला नक्सली ने किया आत्मसमर्पण, 20 लाख रुपए का था इनाम

रायपुर।  छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में शामिल 20 लाख की इनामी नक्सली मंजुला उर्फ निर्मला ने आज तेलंगाना के वारंगल में पुलिस के पास आत्म समर्पण कर दिया है. मंजुला ने वारंगल में पुलिस कमिश्नर के पास जाकर सरेंडर कर दिया है. मंजुला कुख्यात नक्सली लीडर कोडी कुमार स्वामी उर्फ आनंद एवं कोडी वेंकन्ना उर्फ गोपन्ना की बहन है और साथ ही दंडकरण स्पेशल जोनल कमिटी, साउथ सब डिविजन ब्यूरो की मेंबर है. वह 1994 में माओवादी संगठन में शामिल हुई थी और आज 15 नवंबर 2024 को उसने पुलिस के सामने आत्म समर्पण कर दिया है.

बता दें, यह घटना 25 मई 2013 की है, जब छत्तीसगढ़ में एक खौ़फनाक और भयावह हत्याकांड हुआ था, जिसे राज्य का सबसे बड़ा राजनीतिक हत्याकांड माना जाता है. इस हमले में दिग्गज कांग्रेस नेता नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार सहित 30 कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी. इस हमले के बाद, भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों के कार्यकाल में जांच का सिलसिला चलता रहा, लेकिन इस हत्याकांड के अपराधियों का पर्दाफाश और इसके पीछे के रहस्यों को अब तक नहीं सुलझाया जा सका है.

इस जघन्य हत्याकांड की जांच के लिए अलग-अलग विभागों ने अपनी-अपनी जांच की, जिसमें सुरक्षा में चूक और आपराधिक कृत्य की जांच शामिल थी. हालांकि, इन सब के बावजूद, झीरम घाटी में हुई इस दर्दनाक घटना के बारे में अब तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आ सकी है. 30 कांग्रेस नेताओं की इस हत्या की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने 27 मई 2013 को दो दिन बाद एनआईए को सौंप दी थी, लेकिन इसके बाद भी यह मामला अनसुलझा ही बना रहा.