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सिस्टम के आगे साष्टांग किसान, समाधान शिविर में एसडीएम से लगाई गुहार, ‘साहब! बंटवारा करा दो’

गरियाबंद। सिस्टम के आगे सब बेबस हैं, फिर किसान क्या चीज है. इसका एक नजारा मंगलवार को देवभोग विकासखंड में निष्ठीगुड़ा में आयोजित अंतिम समाधान शिविर में देखने को मिला, जहां किसान मंच पर मौजूद एसडीएम के सामने साष्टांग हो गया. किसान सिर्फ एक बात ही बात कह रहा था कि साहब! बंटवारा करा दो.

सरकार के सुशासन तिहार अभियान में गुहार लगाने के बाद भी काम नहीं बनता देख लाटापारा का कृषक अशोक कुमार कश्यप अपने लंबित मांग को फिर से दोहराने के निष्ठीगुड़ा में आयोजित अंतिम समाधान शिविर में पहुंच गया. इस बार आवेदन देने के साथ मंच में चढ़कर एसडीएम तुलसी दास के समक्ष साष्टांग होकर जमीन बंटवारा के लिए गिड़गिड़ाने लगा. इस बार भी अफसर उसे आश्वासन देकर निराकरण करने का भरोसा दिलाया.

अशोक ने बताया कि लाटापारा हल्का में उनकी पुरखौती जमीन 4.28 एकड़ मौजूद है. जमीन अशोक के नाम पर है, पर कब्जा बड़े भाई का है. साल भर पहले बंटवारा के लिए आवेदन दे चुका है. पूरे अभियान के दरमियान सभी जगह बंटवारा की मांग करते रहा, लेकिन आज तक नहीं सुनवाई हुई. मामले में एसडीएम तुलसी दास ने कहा कि मौके पर रकबा कम है, फिर भी अशोक को उनके हिस्से का कब्जा दिलाया गया था. अगला पक्ष फिर से काबिज हो गया है, जिस पर स्थल निरीक्षण कर अब स्थाई समाधान निकाला जाएगा.

बता दें कि देवभोग के तीनों राजस्व न्यायालय में 93 राजस्व ग्राम में 394 राजस्व मामले लंबित है. निराकरण के पायदान में जिले की स्थिति चौथे नंबर पर है. ऑनलाइन दर्ज आंकड़ों के मुताबिक, नायब तहसीलदार के समक्ष 129, तहसीलदार न्यायालय में 185 और एसडीएम न्यायालय में 80 मामले लंबित हैं. इन लंबित मामलों में सीमांकन के104, क्षतिपूर्ति के 72 और खाता विभाजन के 31 मामले शामिल हैं.

बंदोबस्त त्रुटि के मामले ज्यादा

तहसीलदार चितेश देवांगन ने बताया कि अशोक के खाते में ही 2 एकड़ जमीन दर्ज है, पुराने रिकॉर्ड के आधार पर दावा भले वह 4 एकड़ का कर रहा है. देवांगन ने बताया कि बंदोबस्त सुधार के 13 मामले दर्ज है, जिसे निराकृत किया जा रहा है. दरअसल, 1991 में अंतिम बंदोबस्त हुआ है,तब की हुई त्रुटि के चलते देवभोग तहसील में जमीन विवाद से जुड़े मामले अक्सर आते हैं.बोनी के समय प्रति वर्ष तहसील और थाने में जमीन विवाद के 20 से ज्यादा मामले पहुंच जाते हैं.जब तक बंदोबस्त प्रकिया दोबारा नहीं किया जाता,जमीन विवाद के मामले आते रहेंगे.

आधे पटवारी पर निर्भर है विभाग

देवभोग तहसील में महज 93 राजस्व ग्राम हैं. प्रशासनिक सेट अप के लिहाज से इतने गांव के लिए एक एसडीएम, एक तहसीलदार पदस्थ हैं. नायब तहसीलदार का पद रिक्त पड़ा है. तीन आरआई सर्कल हैं, लेकिन पदस्थ एक आरआई है. इस तरह से 27 हल्के में महज 14 पटवारी हैं. राजस्व मामले के रीढ़ माने जाने वाले पटवारी की कम संख्या भी लंबित मामले का प्रमुख कारण है.