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बदमाशों का तांडव : कार और अन्य वाहनों को किया आग के हवाले, CCTV कैमरे में कैद हुई घटना

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ShivFeb 24, 20251 min read

बिलासपुर। शहर में अपराधियों के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे…

देश-विदेश के निवेशकों और जीआईएस प्रतिभागियों के समक्ष विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की सराहना

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ShivFeb 24, 20251 min read

भोपाल। राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में आयोजित दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट…

निवेश, उद्योग और व्यापार अब भोपाल की पहचान : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivFeb 24, 202510 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र…

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मध्यप्रदेश की विद्युत कंपनियों के साथ चार एमओयू हस्ताक्षरित

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ShivFeb 24, 20253 min read

भोपाल। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 में 24 फरवरी को मध्यप्रदेश के…

मध्यप्रदेश: सड़क अधोसंरचना में ऐतिहासिक निवेश, एक लाख करोड़ रूपये के एमओयू पर हस्ताक्षर

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ShivFeb 24, 20252 min read

भोपाल। राजधानी भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट-2025 के प्रथम…

सबसे सस्ती बिजली बनाने में मध्यप्रदेश ने बनाया रिकॉर्ड: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

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ShivFeb 24, 20254 min read

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश…

February 25, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हाईकोर्ट में फर्जी ओआईसी का मामला: जल संसाधन विभाग के 2 अधिकारी फंसे, महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

बिलासपुर। हाईकोर्ट में एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां एक अधिकारी ने अपनी जगह दूसरे व्यक्ति को ओआईसी (प्रभारी अधिकारी) बनाकर जवाब प्रस्तुत करने भेज दिया. महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने इस पर नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है.

दरअसल, हाईकोर्ट की नोटिस के बाद महाधिवक्ता कार्यालय ने जल संसाधन विभाग के ओआईसी को जवाब फाइल कराने बुलाया था. अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब जरूरी दस्तावेजों के संबंध में जानकारी मांगी, तो यह गड़बड़ी सामने आई. इससे नाराज महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने कहा है. साथ ही एजी आफिस में जवाब दावा बनवाने के लिए अब शासन द्वारा नियुक्त ओआईसी को ही भेजने को कहा है.

बता दें कि सुरेश कुमार पांडे, ईई जल संसाधन विभाग, तांदुला डिवीजन, दुर्ग को राज्य शासन ने हाईकोर्ट के विभाग संबन्धी मामलों में प्रभारी अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए अधिकृत किया. 25 जनवरी 2024 को संबंधित प्रभारी अधिकारी को फ़ाइल आवंटित की गई थी और उसके बाद, 25 सितंबर 2024 को जवाब-दावा तैयार किया गया था. 26 सितंबर 2024 को प्रदीप कुमार वासनिक, ईई, डब्ल्यूआरडी, कोरबा सुरेश कुमार पांडे बनकर जवाब-दावा बनवाने महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे. महाधिवक्ता कार्यालय के लॉ अफसरों ने ओआईसी सुरेश पांडेय समझकर फाइल प्रदीप वासनिक के हवाले कर दी. कोर्ट के लिए जवाब तैयार करने के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जब जरूरी दस्तावेजों और शासन के दिशा निर्देशों के बारे में पूछा तो प्रदीप वासनिक जवाब नहीं दे सके. आखिरकार उन्होंने स्वीकार किया कि वे जवाब फाइल कराने के लिए सुरेश कुमार पांडेय बनकर महाधिवक्ता कार्यालय पहुंचे हैं. वास्तव में वह प्रदीप वासनिक हैं.

महाधिवक्ता ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि यह गंभीर चूक है. इससे राज्य शासन को नुकसान भी हो सकता है. दो जिम्मेदार अफसरों द्वारा की गई इस धोखाधड़ी के कारण जवाब भी फाइल नहीं हो सका है. एजी ने लिखा है कि जल संसाधन विभाग के दोनों अफसर सुरेश कुमार पांडेय और प्रदीप वासनिक का कृत्य न केवल न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के बराबर है बल्कि धोखाधड़ी भी है. जो भारतीय न्याय संहिता-2023 के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध है.