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तीन नर कंकाल मामले में एसपी की बड़ी कार्रवाई, थाना प्रभारी लाइन अटैच

तीन नर कंकाल मामले में एसपी की बड़ी कार्रवाई, थाना प्रभारी लाइन अटैच

ShivNov 16, 20242 min read

बलरामपुर।  छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में 15 नवंबर को एक खेत…

November 16, 2024

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सहकारी समिति में लाखों का गबन, धान खरीदी प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर, जानिए पूरा मामला…

मुंगेली। जिले के ग्राम अखरार के सेवा सहकारी समिति में 39 लाख रुपए से अधिक की धोखाधड़ी एवं गबन का मामला सामने आया है. धान खरीदी प्रभारी दिलीप जायसवाल और कम्प्यूटर ऑपरेटर राजेन्द्र जायसवाल के विरूद्ध थाना चिल्फी में एफआईआर दर्ज कराई गई है. बता दें कि कलेक्टर ने समितियों से शेष बचे धान का शीघ्र उठाव करने और किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर संबंधितों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए है. सहायक आयुक्त सहकारिता हितेश कुमार श्रीवास ने बताया कि सेवा सहकारी समिति मर्यादित अखरार में भौतिक सत्यापन के दौरान कुल 1268.10 क्विंटल धान की कमी पाई गई, जिसकी कुल राशि 39 लाख 31 हजार 110 रुपए है. उन्होंने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर जिले में धान उठाव के लिए विभागीय टीम लगी हुई हैं. उसी क्रम में अखरार खरीदी केंद्र की शिकायत मिलने पर सहकारिता विस्तार अधिकारी एनके कश्यप एवं पर्यवेक्षक विजय कुमार रात्रे ने मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन व जांच की. इसमें अनियमितता की शिकायत सही पाई गई और लगभग 1268.10 क्विंटल धान की अनियमितता के लिए खरीदी प्रभारी और ऑपरेटर को दोषी पाया गया. इसके बाद एफआईआर दर्ज कराने के लिए आदेश जारी किया गया. शाखा प्रबंधक डिंडौरी गौकरण सिंह चतुर्वेदी के लिखित आवेदन पर धान खरीदी प्रभारी एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर के विरूद्ध धोखाधड़ी एवं गबन करने के संबंध में थाना चिल्फी में अपराध पंजीबद्ध कराया गया है।

विपणन विभाग जिम्मेदार नहीं ?

समिति कर्मचारियों का कहना है कि विपणन विभाग की ओर से 72 घंटे के भीतर धान का उठाव कराने संबंधित अनुबंध किया जाता है लेकिन ऐसा होता बिल्कुल नही है. महीनों बीत जाने के बावजूद डीएमओ की ओर से धान का उठाव नही कराया जा सका. यहां तक जब हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल तक हाल में धान उठाव कराने निर्देश दिए इसके बावजूद अप्रैल और पूरा महीना गुजर गया लेकिन अभी भी जिले के 77 उपार्जन केंद्रों में करीब 90 हजार क्विंटल धान उठाव के लिए शेष है. उनका कहना है कि शॉर्टेज की भरपाई केवल समिति कर्मचारियों से कराई जा रही है जबकि धान उठाव कराने में लेटलतीफी करने वाले डीएमओ की क्या कोई जवाबदेही तय नही होती.

मिलर्स पर शिकंजा नहीं ?

समिति कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया है डीएमओ की ओर से बीच मे तीन-से चार माह डीओ ही नही काटा गया. इसके अलावा कुछ राइस मिलरों ने डीओ कटने के बावजूद निर्धारित समय पर गाड़ी नहीं लगाई, जिससे भी धान जाम होने की बात कही जा रही है. ऐसे में जिम्मेदार अफसरों को चाहिए कि राइस मिलरों पर निर्धारित समय अवधि के भीतर गाड़ी लगवाई जाए,यदि ऐसा नहीं कर मनमानी की जाती है और मनमाफिक गाड़ी लगाई गई हो तो दोषियों पर नियमानुसार कार्रवाई जरूर हो.