अबूझमाड़ मुठभेड़ में DRG जवानों को मिली बड़ी कामयाबी, 2010 और 17 में लूटी गई AK-47 समेत भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार किए बरामद

सुकमा। नारायणपुर के अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों के सबसे सुरक्षित माने जाने वाले अड्डे पर सुरक्षा बलों ने बीते दिनों अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस ऐतिहासिक मुठभेड़ में कुल 27 नक्सली मारे गए हैं, जिनमें 10 करोड़ के इनामी और बहुचर्चित माओवादी नेता बसव राजू उर्फ केशव राव भी शामिल हैं। DRG जवानों ने मुठभेड़ के बाद तलाशी अभियान में बड़ी मात्रा में हथियार बरामद किए। बरामद हथियारों में वे राइफलें भी शामिल हैं जो 2010 के ताड़मेटला (दंतेवाड़ा), 2010 गवादि (नारायणपुर) और 2017 बुरकापाल (सुकमा) हमलों के दौरान नक्सलियों द्वारा लूटी गई थीं।
बरामद हथियारों में शामिल हैं
- AK-47 राइफल – 3
- SLR – 4
- INSAS राइफल – 6
- कार्बाइन – 1
- .303 राइफल – 6
- BGL लॉन्चर – 1
- सुरका (रॉकेट लॉन्चर) – 2
- 12 बोर बंदूक – 2
- पिस्तौल – 1
- भरमार – 2
- अन्य भारी मात्रा में गोला-बारूद
बसव राजू समेत कई प्रमुख नक्सलियों को किया ढेर
गौरतलब है कि इस भीषण मुठभेड़ में नक्सल संगठन के शीर्ष नेता और महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजु समेत 27 सशस्त्र नक्सलियों को ढेर कर दिया गया। बसव राजु पर छत्तीसगढ़ सरकार ने इनाम घोषित कर रखा था, वहीं अन्य राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों ने भी उस पर कुल मिलाकर 10 करोड़ का इनाम घोषित घोषित किया। बसव राजु के अलावा मारे गए नक्सलियों में 1 महासचिव/पोलित ब्यूरो सदस्य, 1 दक्षिण सब जोनल ब्यूरो प्रमुख, 4 क्षेत्रीय सचिव, 3 प्लाटून कमांडर, पीएलजीए कंपनी नंबर-7 के 18 सदस्य शामिल हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने मारे गए इन नक्सलियों पर कुल ₹3.33 करोड़ का इनाम घोषित किया था।
आदिवासियों के खून से सना है बसवराजु का इतिहास
बसवराजु, जो 10 नवंबर 2018 से सीपीआई (माओवादी) का महासचिव था, सुरक्षा बलों पर कई बड़े हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। इससे पहले वह संगठन की सेंट्रल मिलिट्री कमेटी का प्रमुख था। वह हजारों निर्दोष आदिवासियों और जवानों की हत्या, और नाबालिग बच्चों को जबरन संगठन में भर्ती कराने जैसे गंभीर अपराधों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अब तक 258 से अधिक मामलों में उसकी संलिप्तता की जांच की जा रही है।
विधिसम्मत तरीके से शवों का किया गया अंतिम संस्कार
मुठभेड़ के बाद बरामद 27 शवों में से 20 की पहचान कर उनके परिजनों को सौंप दिया गया। इनमें से माओवादी कैडर कोसी उर्फ हुंगी के परिजन 26 मई को नारायणपुर पहुंचे और शव की स्थिति को देखते हुए स्थानीय प्रशासन से वहीं अंतिम संस्कार की अनुमति मांगी। शेष 7 शवों – जिनमें बसवराजु का शव भी शामिल था – का अंतिम संस्कार कार्यपालक मजिस्ट्रेट के आदेशानुसार विधिसम्मत तरीके से नारायणपुर में किया गया।