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20 टन अवैध कबाड़ लदा ट्रक पकड़ाया, चालक गिरफ्तार

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ShivJun 12, 20252 min read

रायगढ़। छाल पुलिस ने अवैध रूप से लाया जा रहा…

रायपुर कोर्ट ने दुष्कर्म के दो मामलों में सुनाई 20-20 साल की सजा

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ShivJun 12, 20251 min read

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पिता के साथ पी शराब, फिर विवाद होने पर बेटे ने किया खून

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ShivJun 12, 20251 min read

सूरजपुर। जिले से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने…

आकाशीय बिजली गिरने से मजदूर की मौत

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ShivJun 12, 20251 min read

राजनांदगांव। छुरिया ब्लाक के आमगांव में बिजली गिरने से इसके…

कांग्रेस नेत्री बीजेपी में शामिल, हाल ही में जीती है पार्षद चुनाव

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ShivJun 12, 20251 min read

दुर्ग। रिसाली नगर निगम में कांग्रेस पार्षदों के पार्टी बदलने…

June 12, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

22 दिन बाद फिर चला डोंगरगढ़ का रोपवे

डोंगरगढ़।  24 अप्रैल को हुए रोपवे हादसे के 22 दिन बाद डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर का रोपवे एक बार फिर शुरू कर दिया गया है. तकनीकी सुधार और सुरक्षा जांच की औपचारिकताओं के बाद संचालन तो शुरू हो गया, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी हवा में झूल रहा है कि आखिर ट्रॉली पलटी क्यों? और गलती किसकी थी?

हादसे के वक्त बीजेपी प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा समेत कई लोग ट्रॉली में सवार थे. जैसे ही ट्रॉली स्टेशन पहुंची, वह अचानक पलट गई. भरत वर्मा गंभीर रूप से घायल हुए और अब भी रायपुर के अस्पताल में उनका इलाज जारी है. घटना के बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए रोपवे बंद करवा दिया, जांच के आदेश दिए, एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन 22 दिन बीत जाने के बाद भी कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि हादसे की असली वजह क्या थी.

मंदिर ट्रस्ट, रोपवे संचालक कंपनी और जिला प्रशासन सभी ने एक स्वर में कहा कि तकनीकी जांच हुई, सुधार किए गए और रोपवे अब सुरक्षित है. ट्रस्ट की मानें तो एनआईटी रायपुर और दामोदर रोपवे कंपनी की टीम ने मिलकर जांच की और जिन बिंदुओं पर खामियां मिलीं, उन्हें ठीक कर दिया गया. लेकिन जब सवाल दोषियों पर आता है, तो जवाब में सिर्फ खामोशी मिलती है. पुलिस भी अब तक सिर्फ सीसीटीवी फुटेज देखने और कर्मचारियों के बयान लेने तक ही सीमित है. कोई चार्जशीट नहीं, कोई गिरफ्तारी नहीं. वहीं एसडीएम साहब का कहना है कि “रिपोर्ट ऊपर भेज दी गई है.” यानि हादसे की जिम्मेदारी अब ‘ऊपरवाले’ के भरोसे छोड़ दी गई है. ऊपरवाले से मतलब प्रशासनिक ‘ऊपर’ है या भगवान, ये समझना जनता के जिम्मे है.

22 दिन बाद भले ही रोपवे दोबारा शुरू हो गया हो, लेकिन जनता के मन में डर और सवाल दोनों अब भी जिंदा हैं. हादसे के बाद जो सुधार किए गए, वे तकनीकी होंगे मगर सिस्टम में जो सुस्ती और जिम्मेदारी से भागने की आदत है, उसमें सुधार कब होगा? बहरहाल डोंगरगढ़ का रोपवे तो फिर से चल पड़ा है पर क्या इंसाफ की ट्रॉली अब भी कहीं अटकी हुई है?