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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सांदीपनी और जवाहर नवोदय विद्यालय भवन का किया लोकार्पण

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ShivJun 6, 20254 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा आज रतलाम जिले को…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की मुलाकात

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ShivJun 6, 20254 min read

नई दिल्ली।  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने शुक्रवार को…

संवेदनशील फिल्मकार अभिनेता चम्पक बैनर्जी द्वारा की गई”लाल पहाड़….बोस द मिसिंग फाईल्स’ की रचना

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ShivJun 6, 20253 min read

मुंबई।  “लाल पहाड़….बोस द मिसिंग फाईल्स” एक संवेदनशील कहानी और पटकथा…

खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने की विभागीय कार्यों की समीक्षा

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ShivJun 6, 20253 min read

रायपुर। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने आज मंत्रालय महानदी भवन…

June 7, 2025

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डॉक्टर की दबंगई और अस्पताल की बदहाली : ड्यूटी छोड़ निजी क्लिनिक पहुंचे डॉक्टर, पत्रकार से की अभद्रता

खैरागढ़। खैरागढ़ जिला मुख्यालय स्थित सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत बद से बदतर होती जा रही है। एक ओर जहां अस्पताल के डॉक्टर ड्यूटी के समय अपने आवासों में निजी क्लिनिक संचालित कर रहे हैं, वहीं पत्रकार से दुर्व्यवहार और रिश्वतखोरी जैसे गंभीर मामले भी सामने आ रहे हैं। रविवार शाम को मिशन संडे टीम ने अस्पताल में निरीक्षण के दौरान पाया कि डॉक्टर प्रवीण सिंह परिहार ड्यूटी समय में अस्पताल में न होकर अपने सरकारी आवास में संचालित निजी क्लिनिक में मरीजों का इलाज कर रहे थे। यही नहीं, जब पत्रकार इस स्थिति की कवरेज कर रहे थे, तो डॉ. परिहार ने पत्रकार से मोबाइल छीनने की कोशिश की, गाली-गलौच की और धमकी देकर वहां से जाने को कहा।

उसी समय यह भी सामने आया कि डॉ. पंकज वैष्णव और अस्पताल के प्रभारी बीएमओ डॉ. विवेक बिसेन भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे। जब जिला मुख्यालय के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही हो, तो जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है।

घटना से आक्रोशित पत्रकारों ने खैरागढ़ थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद खैरागढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक लक्ष्य शर्मा स्वयं खैरागढ़ थाने पहुंचे। उन्होंने डॉक्टर परिहार को फटकार लगाते हुए चेताया और डॉक्टर ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी।

गौरतलब है कि अभी हाल ही में इसी अस्पताल में एक और गंभीर मामला सामने आया था, जहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने के बदले रिश्वत मांगने का आरोप लगा था।

इस मामले में भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते दिखाई दिए। इन घटनाओं से साफ है कि अंग्रेजों के जमाने का यह सिविल अस्पताल अब खुद बीमार हो चला है। हालत यह है कि इसे अब केवल मरहम-पट्टी नहीं, बल्कि एक बड़े सर्जिकल ऑपरेशन की जरूरत है, जिसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और सिस्टम की शुद्धि प्राथमिक उपचार बनें।