Special Story

छत्तीसगढ़ को ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ में राष्ट्रीय सम्मान: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई

छत्तीसगढ़ को ‘प्रकृति परीक्षण अभियान’ में राष्ट्रीय सम्मान: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दी बधाई

ShivFeb 25, 20252 min read

रायपुर।    छत्तीसगढ़ ने भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग, नई…

भारत के विकास को गति दे रहा है मध्यप्रदेश : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

भारत के विकास को गति दे रहा है मध्यप्रदेश : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

ShivFeb 25, 20257 min read

भोपाल।      केन्द्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह…

सिविल लाइन रायपुर में क्रिश्चियन समुदाय के साथ शांति समिति की बैठक हुई आयोजित

सिविल लाइन रायपुर में क्रिश्चियन समुदाय के साथ शांति समिति की बैठक हुई आयोजित

ShivFeb 25, 20253 min read

रायपुर।  पुलिस उपमहानिरीक्षक एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रायपुर डॉ. लाल उमेद…

February 25, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

Diwali 2024: छत्‍तीसगढ़ में दिवाली पर धान की बाली से बने झालर, झूमर लगाने की है सदियों पुरानी परंपरा

Diwali 2024: धनतेरस के साथ ही देशभर में दिवाली का त्योहार शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी धनतेरस की सुबह से ही बाजारों में भीड़ लगी हुई है। प्रदेश में धान की झालरें घरों में सजाने की परंपरा सदियों पुरानी है। धनतेरस के साथ ही बाजारों में झालरों की बिक्री भी शुरू हो जाती है। बाजारों में इस तरह की झालर की काफी डिमांड है।

छत्तीसगढ़ में दिवाली की सांस्कृतिक परंपरा आज भी बरकरार है। अपने घरों के गेट पर धान की झालर लगाकर इस रस्म को निभाया जा रहा है। दिवाली के दौरान, जब खेत नई फसलों से पक जाते हैं, तो ग्रामीण नरम धान की बालियों से कलात्मक चूड़ियाँ बनाते हैं। आजकल बाजारों में रेडीमेड चीजें उपलब्ध हैं। हालाँकि शहरी क्षेत्रों में यह परंपरा धीरे-धीरे कम हो रही है, फिर भी धान के झूमरों का आकर्षण बना हुआ है। बाजार में छोटे आकार के झूमर भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 50 से 200 रुपये तक है। व्यापारियों का कहना है कि इन झूमरों की मांग खासतौर पर शहरी बच्चों के बीच ज्यादा है, जो इस परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ की परंपरा के अनुसार, लोग अपने घरों को धान की झालरों से सजाते हैं और अपनी सुख-समृद्धि के लिए आभार व्यक्त करने के लिए देवी लक्ष्मी को पूजा करने के लिए आमंत्रित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह निमंत्रण पक्षियों के माध्यम से देवी तक पहुंचता है, जो धान के दाने चुगने के लिए आंगनों और द्वारों पर उतरते हैं।

लोगों का मानना है कि इस तरह राज्य की लोक संस्कृति प्रकृति के साथ अपनी खुशियाँ बांटती है और उसे संरक्षित करती है। छत्तीसगढ़ में बस्तर से लेकर सरगुजा तक घरों के आंगन और दरवाजों पर धान की झालर लटकाने की परंपरा है। इसे पहटा या पिंजरा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में दिवाली पर धान से बने झूमर की यह परंपरा नई फसल के स्वागत और अन्न पूजन का प्रतीक मानी जाती है, जो सदियों से ग्रामीण और शहरी इलाकों में अपनी पहचान बनाए हुए है।