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दिव्यांगों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है हमारी सरकार – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivApr 25, 20252 min read

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NIA की टीम पहुंची मृतक दिनेश मिरानिया के घर, पहलगाम आतंकी हमले की जुटाई जनाकारी

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रायपुर। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले…

रेलवे ठेकेदार के घर CBI का छापा, 10 सदस्यीय टीम कर रही है दस्तावेजों की जांच

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ShivApr 25, 20251 min read

बिलासपुर। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक टीम ने रेलवे…

April 25, 2025

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आय से अधिक संपत्ति का मामला : पंचायत विभाग के निलंबित ज्वॉइंट डायरेक्टर को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

बिलासपुर।  पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के निलंबित ज्वॉइंट डायरेक्टर अशोक चतुर्वेदी की याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। उन्होंने एसीबी की ओर से दर्ज आय से अधिक संपत्ति के केस को निरस्त करने के लिए याचिका लगाई थी। मामले की सुनवाई के दौरान एसीबी ने बताया कि सेवाकाल के दौरान अफसर की कुल आय 68 लाख रुपए थी, जबकि उनसे 31 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के दस्तावेज और सबूत मिले हैं।

पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर अशोक चतुर्वेदी के खिलाफ एसीबी ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया है। इससे पहले एसीबी ने उनकी संपत्ति की जांच की थी, जिसके बाद उनके ठिकानों में छापेमारी भी की थी। जांच के बाद 28 अगस्त 2023 को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(बी) और 13(2) के तहत अंतिम रिपोर्ट दाखिल की। यह मामला विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट), रायपुर की अदालत में ट्रायल पर है। आरोपी अफसर के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर राज्य शासन ने उसे सस्पेंड कर दिया है। साथ ही एसीबी की टीम उसकी तलाश भी कर रही थी। इस बीच आरोपी अफसर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसमें अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को निरस्त करने की मांग की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

बदले की भावना से दर्ज किया केस : याचिकाकर्ता

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि उनका रिकॉर्ड साफ है। वह जांच का सामना करने को तैयार है। आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने राजनीतिक दुर्भावना के चलते कार्रवाई की थी। पत्नी को एफआईआर में आरोपी नहीं बनाया गया था, लेकिन अंतिम रिपोर्ट में शामिल किया गया है। यह भी कहा गया कि बिना वैध पूर्व स्वीकृति के रिपोर्ट दाखिल की गई, जो कानून के खिलाफ है। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप गंभीर है। आरोप पत्र दाखिल हो चुका है। जांच को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाना जरूरी है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।