Special Story

क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं रहेगी : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

क्षेत्र के विकास के लिए कोई कोर कसर नहीं रहेगी : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivMay 15, 20254 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारी…

बहनों के लिए राज्य सरकार के द्वार सदैव हैं खुले : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

बहनों के लिए राज्य सरकार के द्वार सदैव हैं खुले : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

ShivMay 15, 20254 min read

भोपाल।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य…

नक्सलियों की साजिश नाकाम, सुरक्षाबलों ने 10 प्रेशर कुकर समेत कई विस्फोटक सामग्री बरामद

नक्सलियों की साजिश नाकाम, सुरक्षाबलों ने 10 प्रेशर कुकर समेत कई विस्फोटक सामग्री बरामद

ShivMay 15, 20251 min read

धमतरी। धमतरी के चमेंदा जंगल में जारी नक्सल विरोधी सर्च…

छत्तीसगढ़ के पेंशनरों को बड़ी राहत: साय सरकार ने महंगाई राहत दरों में की वृद्धि, आदेश जारी

छत्तीसगढ़ के पेंशनरों को बड़ी राहत: साय सरकार ने महंगाई राहत दरों में की वृद्धि, आदेश जारी

ShivMay 15, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पेंशनरों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है।…

May 15, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हिंदू हाई स्कूल में मिली किताबों पर डीईओ का बयान

रायपुर। हिन्दू हाई स्कूल में मिली हजारों किताबों पर अब जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से बयान सामने आया. जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेवाल की माने तो पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने जो खुलासा किया वो पूरी तरह गलत है.

बता दें कि पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने सबसे पहले सिलायरी स्थित पेपर मिल में किताब मिलने का मामला उजागर किया था, उसके बाद अभनपुर स्वामी आत्मानंद स्कूल और आज हिंदू हाई स्कूल में किताबें मिलने उजागर किया है.

कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय का आरोप है कि प्रदेशभर में इसी तरह लाखों किताबें रद्दी में डाल दी गई है. खास बात यह है कि किताबें इसी साल की है. जिन किताबों को गरीब बच्चों के बीच होना चाहिए था, वो कबाड़ में मिल रहा. कहीं न कहीं यह खेल करोड़ों के भ्रष्टाचार का है. इस भ्रष्टाचार में नीचे से ऊपर सभी की मिलीभगत है.

हिंदू हाई स्कूल में मिली किताबों पर DEO का बयान

जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. खंडेलवाल के अनुसार, निरीक्षण के दौरान पाई गई ये पुस्तकें छत्तीसगढ़ राज्य ओपन बोर्ड की हैं, जिन्हें वितरण के लिए रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये किताबें पात्र छात्रों को वितरित की जाने वाली हैं और यह प्रक्रिया अभी जारी है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि कुछ किताबें समग्र शिक्षा से संबंधित हैं, जिन्हें पूर्व प्रकाशकों द्वारा सैंपल के रूप में स्कूल में रखा गया है, और ये बच्चों के लिए वितरण के लिए नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ किताबें सत्र 2022-23 के व्यावसायिक पाठ्यक्रम की हैं, जो बच्चों से वितरण के बाद बच गई थीं और नवीन पाठ्यक्रम आने के कारण अब ये अनुपयोगी हो गई हैं।

डॉ. खंडेलवाल ने यह स्पष्ट किया कि यह विद्यालय ओपन परीक्षा बोर्ड का समन्वय केंद्र और संकुल केंद्र भी है, जहां कक्षा 1 से 12 तक के अध्यापन के लिए विभिन्न शासकीय प्रयोजनों के लिए पुस्तकें रखी जाती हैं। उन्होंने कहा कि शासन की किताबें शासकीय परिसर में रखना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें किसी भी शासकीय नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है। हालांकि, डॉ. खंडेलवाल के इस बयान के बाद भी कई सवाल उठ रहे हैं।

सवाल यह है कि अगर पुस्तक वितरण का कार्य जारी है, तो क्या यह साल भर चलता है ? बगैर पुस्तक के बच्चे पढ़ाई कैसे करते हैं? शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार पुस्तक वितरण का प्रावधान स्कूल खुलने से पहले का है। ऐसे में यदि वितरण में लापरवाही हुई है, तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? ये मुद्दे शिक्षा विभाग के लिए चिंताजनक बने हुए हैं।