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गंभीरता से करें लोगों की समस्याओं का निराकरण – उपमुख्यमंत्री अरुण साव

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मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न

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May 3, 2025

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ठंडे बस्ते में डियर पार्क योजना: पानी के तलाश में रिहायशी इलाके में पहुंचा चीतल, कुत्तों ने किया हमला, इलाज के अभाव में हुई मौत…

पथरिया। ग्राम पंचायत कंचनपुर में वन विभाग की लापरवाही और आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक के कारण एक नर चीतल की दर्दनाक मौत हो गई. शुक्रवार सुबह पानी की तलाश में गांव की ओर आया चीतल आवारा कुत्तों के झुंड का शिकार बन गया. भागते हुए वह खेत में लगे कटीले तार में फंस गया और घायल हो गया, जिसके बाद कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया. ग्रामीणों ने बड़ी मुश्किल से उसे बचाया, लेकिन समय पर इलाज न मिलने के कारण चीतल की हार्ट अटैक से मौके पर ही मौत हो गई.

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. एस.एम. पांडेय ने बताया कि मृत चीतल की उम्र लगभग पांच वर्ष थी और उसकी मृत्यु भय व हमले के कारण हृदयघात से हुई है.

डियर पार्क योजना बनी मजाक

ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं है जब हिरन आवारा कुत्तों का शिकार बने हों. पिछले 10–12 वर्षों से वन विभाग को ऐसे मामलों की जानकारी दी जाती रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. वर्ष 2022 में बगबुड़वा और पुछेली में डियर पार्क बनाने की योजना बनी थी, लेकिन यह योजना आज तक कागजों में ही सीमित है.

जंगल में पानी की कमी, जानवरों की जान की दुश्मन

प्राकृतिक जल स्रोतों की कमी के चलते हिरन जैसे वन्यजीव खुले क्षेत्रों और गांव की ओर आने को मजबूर हैं, जहां वे शिकार बन जाते हैं. ग्रामीणों के अनुसार, क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में चीतल विचरण करते हैं, लेकिन वन विभाग को इनके बारे में न तो जानकारी है और न ही वह कोई सर्वे करता है.

ग्रामीणों की मांग: वन्यजीव सुरक्षा और जिम्मेदारी तय करने की ज़रूरत

गांववालों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए त्वरित कार्रवाई की जाए और डियर पार्क जैसी योजनाओं को जल्द से जल्द अमल में लाया जाए. इसके अलावा वन विभाग की निष्क्रियता और रेंजर की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए गए हैं. लोगों का कहना है कि रेंजर कौन है, यह तक उन्हें पता नहीं — और न ही उन्होंने कभी क्षेत्र का दौरा किया है.

पूर्व जिला पंचायत सदस्य वलीउल्ला शेख ने भी वन विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो आने वाले समय में यह क्षेत्र चीतलविहीन हो सकता है.

वन विभाग की चुप्पी: इस मामले में रेंजर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका फोन नहीं उठाया गया. यह भी विभाग की जवाबदेही पर बड़ा सवाल है.