क्वांटिफाइबल डाटा आयोग पर तकरार : भाजपा ने राजनीति के लिए आयोग बनाने का लगाया आरोप, कांग्रेस ने किया पलटवार…
रायपुर- क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को लेकर आज सदन में भाजपा के विधायक पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए. इसके साथ ही आयोग की रिपोर्ट को लेकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सवाल भी किए. केवल सदन ही नहीं, बल्कि सदन के बाहर भी भाजपा विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर क्वांटिफायबल डाटा आयोग पर राजनीति करने का आरोप लगाया.
क्वांटिफायबल डाटा आयोजन को लेकर वरिष्ठ भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि किस डाटा का क्या उपयोग किया, भूपेश बघेल के अलावा कोई नहीं जानता. इसलिए संक्षिप्त प्रश्न किया था. डाटा को सार्वजनिक करने मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया है. प्रदेश की जनता को जानने का अधिकार है कि क्वांटिफाइबल डाटा की क्या वस्तु स्थिति है. यह कोई राजनीति का विषय नहीं है. यह भूपेश बघेल का एक डाटा करप्शन है.
वहीं क्वांटिफाइबल डाटा आयोग को लेकर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस ने क्वांटिफाइबल डाटा आयोग केवल अपने चुनावी फायदे के लिए बनाया, इसके रिपोर्ट को न तो विधानसभा के पटल पर रखा, न ही सार्वजनिक किया. न जनता और न ही विपक्ष के विधायकों को उपलब्ध कराया. अनुसूचित जाति भी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है.
वरिष्ठ भाजपा विधायक ने कहा कि जानकारी ठीक नहीं है. हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में नहीं दिखा पाएंगे. उन्होंने कोर्ट में भी क्वांटिफाइबल डाटा रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराया. सरकार में रहकर फर्जी बात करना भूपेश बघेल सरकार और कांग्रेस सरकार का संग्रह बन गया था. आने वाले समय में डाटा क्या था, कैसे था, क्यों था, किसलिए बनाया गया था, यह जांच उजागर होगी.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस विधायक संगीता सिन्हा ने क्वांटिफाइबल डाटा को लेकर कहा कि पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार क्वांटिफायबल डाटा आयोग बनाया गया था. आज अजय चंद्राकर ने बात रखी और शांतिपूर्वक तरीके से खत्म कर दिया गया. जब इस आयोग का काम आरक्षण को लेकर था, जिसे राज्यपाल ने रोक दिया, जबकि बहुत आवश्यक था. सरकार से आग्रह है कि आरक्षण के काम को जारी रखें. हो सकता है इसमें संशोधन हो, लेकिन जारी रखें.
वहीं कांग्रेस विधायक रामकुमार यादव ने क्वांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट को लेकर कहा कि भाजपा हमेशा से आरक्षण विरोधी है. यह छत्तीसगढ़ के हित में है, और छत्तीसगढ़ के हित के लिए ही आपको यहां बैठाया गया है. उसे ना कर गोल-गोल जवाब देते हैं . जब हम विधेयक पास किया, तब राज्यपाल ने जैसे ही विधेयक आएगा, दस्तखत करने की बात कही थी, लेकिन जब राज्यपाल के पास विधेयक गया तो महीनों बीत जाने के बाद दस्तखत नहीं हुआ. अगर आरक्षण पास हो गया होता, तो आज अंतिम वर्ग के व्यक्ति है, उन्हें लाभ मिलता. भाजपा गरीब और आरक्षण विरोधी है.