Special Story

बारातियों से भरी बस पलटी, तीन लोगों की मौत, कई घायल, मौके पर मची चीख-पुकार

बारातियों से भरी बस पलटी, तीन लोगों की मौत, कई घायल, मौके पर मची चीख-पुकार

ShivMay 15, 20252 min read

बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में दर्दनाक सड़क हादसा हुआ है.…

May 15, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण पर विवाद : पंचायत राज अधिनियम में संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती, जिला पंचायत उपाध्यक्ष ने लगाई याचिका

बिलासपुर।    छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण का विवाद बढ़ता जा रहा है. प्रदेश की विष्णुदेव साय सरकार ने पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया है. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में जिला पंचायत सूरजपुर के उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने याचिका लगाई है. इस मामले पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई हो सकती है.

सूरजपुर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने हाईकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से ओबीसी आरक्षण शून्य किए जाने के खिलाफ याचिका दायर किया है. रजवाड़े ने मामले को लेकर हाइकोर्ट में अधिवक्ता शक्ति राज सिन्हा के माध्यम से याचिका पेश की है. याचिकाकर्ता के मुताबिक, पांचवी अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को आरक्षण प्रदान करने वाली छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को लोप करने के लिए पिछले साल 3 दिसंबर को राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश -2024 को लाया. भारत के संविधान की अनुच्छेद 213 में निहित प्रावधान के तहत कोई भी अध्यादेश अधिकतम छह माह की अवधि तक ही क्रियाशील होता है अथवा विधानसभा के आगामी सत्र में अनिवार्य रूप से प्रस्ताव पारित कर अधिनियम का रूप दिलाना होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ शासन ने गंभीर चूक की है.

उक्त अध्यादेश जारी होने के बाद 16 से 20 जनवरी 2024 तक आयोजित छत्तीसगढ़ विधान सभा के आहूत सत्र में इस महत्वपूर्ण अध्यादेश को पारित नहीं कराते हुए मात्र विधानसभा के पटल पर रखा गया है, जिसके कारण उक्त अध्यादेश वर्तमान में विधिशून्य/औचित्यविहीन हो गया है. ऐसी स्थिति में वर्तमान में उक्त संशोधन के आधार पर छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) में 24 दिसंबर 2024 को किया गया संशोधन पूर्णतः अवैधानिक हो गया है. हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में कहा गया कि इस प्रकार अवैधानिक हो चुके संशोधित छत्तीसगढ़ पंचायत निर्वाचन नियम (5) के आधार पर प्रदेश के संचालक पंचायत एवं सभी जिलों में कलेक्टर द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन के लिए जारी किया गया आरक्षण रोस्टर पूर्णतः अवैधानिक हो गया है. इसे निरस्त कर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम के पूर्व प्रावधान के आधार पर आरक्षण रोस्टर निर्धारित कर वैधानिक रूप से पंचायत चुनाव कराया जाए.