Special Story

टमाटर के दाम सस्ते होने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें, सड़क में फेंके कई क्विंटल टमाटर…

टमाटर के दाम सस्ते होने से किसानों की बढ़ी मुश्किलें, सड़क में फेंके कई क्विंटल टमाटर…

ShivFeb 24, 20253 min read

जशपुर।  छत्तीसगढ़ में टमाटर की खेती करने वाले किसान खून…

पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग का JNU में व्याख्यान, छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति पर है विशेषज्ञता

पूर्व आईएएस डॉ. संजय अलंग का JNU में व्याख्यान, छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति पर है विशेषज्ञता

ShivFeb 24, 20251 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास और संस्कृति के विशेषज्ञ पूर्व आईएएस डॉ.…

सड़क दुर्घटना में तीन युवकों में से एक की मौत, तो इधर धान से भरे ट्रक में लगी आग

सड़क दुर्घटना में तीन युवकों में से एक की मौत, तो इधर धान से भरे ट्रक में लगी आग

ShivFeb 24, 20252 min read

सक्ती/दुर्ग। छत्तीसगढ़ के सक्ति और दुर्ग जिले में रविवार को…

हार्डवेयर दुकान में लगी भीषण आग, 50 से 60 लाख रुपये का सामान जलकर खाक

हार्डवेयर दुकान में लगी भीषण आग, 50 से 60 लाख रुपये का सामान जलकर खाक

ShivFeb 24, 20251 min read

सरगुजा। अंबिकापुर में बीती रात एक हार्डवेयर और पेंट की…

February 24, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ में भूखंड पर निर्माण पड़ेगा महंगा: लेआउट शुल्क में हुई भारी वृद्धि, मध्यम वर्ग पर पड़ेगा असर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब भूखंड पर निर्माण कराने के लिए लेआउट पास कराना महंगा हो गया है। राज्य के आवास एवं पर्यावरण विभाग ने लेआउट शुल्क में कई गुना वृद्धि करते हुए इसे लागू कर दिया है। यह शुल्क अब भूखंड के क्षेत्रफल के आधार पर लिया जाएगा।

बता दें कि पहले किसी भी भूखंड के लिए लेआउट पास कराने पर 3,750 रुपये का शुल्क लिया जाता था। नई दरों के अनुसार, यह शुल्क न्यूनतम 60,000 रुपये कर दिया गया है। यह बदलाव राज्य सरकार के लिए बड़े राजस्व का साधन बनेगा, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह अतिरिक्त आर्थिक बोझ लेकर आएगा।

नियमों में किया गया संशोधन

आवास एवं पर्यावरण विभाग ने छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 में संशोधन किया है। अब लेआउट पास कराने के लिए आवेदन के साथ शुल्क जमा करने की पावती लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। पावती के बिना किसी भी आवेदन को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसे अमान्य घोषित कर दिया जाएगा।

आवेदन प्रक्रिया और शुल्क संरचना में बदलाव

आवास एवं पर्यावरण विभाग ने छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम, 1973 के तहत छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम, 1984 में संशोधन किया है। संशोधन के तहत प्रत्येक लेआउट आवेदन के साथ शुल्क की पावती संलग्न करना अनिवार्य होगा। बिना पावती के किसी भी आवेदन को विधिमान्य नहीं माना जाएगा और उसे खारिज कर दिया जाएगा।

आवेदन शुल्क की नई दरें इस प्रकार हैं

विकास अनुज्ञा शुल्क: ₹5000 प्रति हेक्टेयर। भूखंड क्षेत्रफल को निकटतम पूर्णांक में राउंड फिगर कर गणना की जाएगी। उदाहरण के लिए, 1.499 हेक्टेयर को 1 हेक्टेयर और 1.5 हेक्टेयर को 2 हेक्टेयर माना जाएगा।
भवन अनुज्ञा शुल्क: प्रस्तावित निर्मित क्षेत्र के लिए ₹1 प्रति वर्ग मीटर।
शुल्क वापसी: किसी भी स्थिति में आवेदन शुल्क वापस नहीं किया जाएगा।
अनुज्ञा निलंबन और प्रतिसंहरण: नगर निवेशक को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी अनुज्ञा को निलंबित या रद्द कर सकता है, यदि उसे विश्वास हो कि –

  • अनुज्ञा मिथ्या कथन या गलत जानकारी के आधार पर प्राप्त की गई है।
  • अनुज्ञा में निर्धारित शर्तों का उल्लंघन किया गया है।
  • अधिनियम या नियमों का पालन नहीं किया गया है।

हालांकि, निलंबन या प्रतिसंहरण का आदेश जारी करने से पहले संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर देना अनिवार्य होगा। यदि आवेदक शर्तों का पालन कर लेता है, तो आदेश रद्द किया जा सकता है। लेकिन मिथ्या कथन के आधार पर प्राप्त अनुज्ञा स्थायी रूप से रद्द होगी।

भूखंड क्षेत्र और शुल्क में कितनी हुई वृद्धि ?

भूखंड क्षेत्रफल के मामले में बदलाव करते हुए 12.5 मीटर और 21 मीटर को अब राउंड फिगर में 15 मीटर और 24 मीटर कर दिया गया है। इसके साथ ही शुल्क 30% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।

सामुदायिक खेल और मनोरंजन स्थल के लिए नियम

नए नियमों के तहत नगर विकास योजना या अन्य विकास नियमन में सामुदायिक खेल स्थल और मनोरंजन प्रयोजन के लिए क्षेत्र आरक्षित रखा जाएगा।

औद्योगिक क्षेत्रों के लिए हुए ये बदलाव

औद्योगिक क्षेत्रों में अब किसी प्लॉट, लेआउट, या उपखंड में छात्रावास और डॉरमेट्री के निर्माण की अनुमति होगी। नियम 50 के अनुसार, एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) और भूतल आच्छादित क्षेत्र (ग्राउंड कवरेज) को पूरी भूमि पर लागू किया जाएगा।

विशेष वाणिज्यिक प्रावधान

100 मीटर या उससे अधिक चौड़ाई वाले पहुंच मार्गों पर स्थित 5 एकड़ या उससे अधिक क्षेत्रफल के वाणिज्यिक भूखंडों में 5.0 एफएआर लागू होगा। यदि ऐसे भूखंड केंद्रीय व्यापारिक जिला (CBD) या ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (TOD) क्षेत्र में स्थित हैं, तो 2.0 अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा।

उल्लंघन पर होगी सख्त कार्रवाई

नियमों का उल्लंघन या विचलन करने पर भवनों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी। खुले क्षेत्रों में 9/15 मीटर की दूरी पर नालों की सीमा या उच्चतम बाढ़ चिन्ह से ऊपर मार्ग और खुली पार्किंग की अनुमति होगी। हालांकि, कवर्ड पार्किंग की अनुमति नहीं दी जाएगी।

गौरतलब है कि इन संशोधनों से सरकार को राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी। लेकिन बढ़े हुए शुल्क और सख्त नियमों से मध्यम वर्गीय भूखंड मालिकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। खासतौर पर छोटे भूखंड मालिकों को इस नई व्यवस्था से बड़ी परेशानी हो सकती है।