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एंटी नक्सल ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने वाले कॉन्स्टेबल को मिलेगा ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन ! हाईकोर्ट ने निराकरण के लिए किया निर्देशित

रायपुर। प्रधान आरक्षक पद पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डीजीपी को इस मामले का निराकरण करने निर्देशित किया है.

ग्राम-पंडरीडांड, उदयपुर, जिला-सरगुजा निवासी नरेश पैंकरा पुलिस विभाग में एस.टी.एफ., बघेरा, जिला-दुर्ग में आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। उनकी पदस्थापना के दौरान जून-2024 में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल एवं जिला पुलिस बल द्वारा संयुक्त रूप से पुलिस थाना-कोहकामेटा, जिला-नारायणपुर में एक एण्टी नक्सल आपरेशन किया गया. उक्त एंटी नक्सल ऑपरेशन के बाद नक्सलियों को मारा गया. साथ ही भारी मात्रा में हथियार जब्त किया गया. आरक्षक नरेश पैंकरा की ओर से उक्त ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के बाद भी उसे प्रधान आरक्षक के पद पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान न किये जाने से क्षुब्ध होकर नरेश पैंकरा ने हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं पी.एस. निकिता के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की थी.

हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं पी.एस. निकिता द्वारा हाईकोर्ट के सामने ये तर्क रखा कि छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल अधिनियम-1973 की धारा 56(3) और पुलिस रेगुलेशन 1861 के रेगुलेशन 70 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी/कर्मचारी किसी साहसिक कार्य या एंटी नक्सल ऑपरेशन में शामिल होकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है तो उस पुलिस अधिकारी/कर्मचारी को उच्च पद पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा. याचिकाकर्ता जून-2024 में कोहकामेटा, जिला-नारायणपुर में किये गए एंटी नक्सल आपरेशन में शामिल होकर 8 नक्सलियों को मार गिराया इसके साथ ही भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद जब्त किया गया.

इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता को प्रधान आरक्षक पद पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान नहीं किया गया. उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के बाद रिट याचिका को स्वीकार कर पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) पुलिस मुख्यालय, रायपुर को यह निर्देशित किया गया कि वे छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल अधिनियम-1973 की धारा 56 (3) एवं पुलिस रेगुलेशन 1861 के रेगुलेशन 70 के तहत याचिकाकर्ता को प्रधान आरक्षक पद पर ऑउट ऑफ टर्न प्रमोशन प्रदान किये जाने के लिए प्रस्तुत अभ्यावेदन का निराकरण करें.