Special Story

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

SP जितेंद्र यादव ने बताई कर्रेगुट्टा पहाड़ी पर चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन की सफलता

ShivMay 14, 20252 min read

बीजापुर।  कर्रेगुट्टा की पहाड़ी पर 21 दिनों तक चलाए गए…

बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

बांस नहीं मिलने से संकट में बांसवार जाति, कार्डधारी प्रशासन से कर रहे मुआवजे की मांग…

ShivMay 14, 20252 min read

महासमुंद। महासमुंद जिले की पारंपरिक रूप से बांस पर निर्भर…

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

डीएमएफ घोटाला मामले में रानू साहू, सौम्या चौरसिया, समेत 4 आरोपियों की जमानत खारिज

ShivMay 14, 20252 min read

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में DMF घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने आज पूर्व…

रेलवे प्रोजेक्ट से बढ़ी किसानों की मुसीबत: रायपुर और दुर्ग के 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक

रेलवे प्रोजेक्ट से बढ़ी किसानों की मुसीबत: रायपुर और दुर्ग के 58 गांवों में जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक

ShivMay 14, 20254 min read

रायपुर/दुर्ग। केंद्र सरकार की खरसिया-नवा रायपुर-परमलकसा रेल लाइन परियोजना अब किसानों…

छत्तीसगढ़ की ट्रेनों में अब रिश्वत लेकर सेटिंग नहीं कर पाएंगे टीटीई…

छत्तीसगढ़ की ट्रेनों में अब रिश्वत लेकर सेटिंग नहीं कर पाएंगे टीटीई…

ShivMay 14, 20251 min read

रायपुर।  छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनों में अब टीटीई रिश्वत…

May 14, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हसदेव अरण्य में ‘संजीवनी’ तलाश रही कांग्रेस: हार के बाद कांग्रेस को आयी कोल ब्लॉक के विरोध की याद, खनन कंपनी का दावा, अब तक किए गए 42 लाख पौधरोपण

रायपुर।      छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में पेड़ों की कटाई को लेकर राजनीति तेज हो गयी है। काँग्रेस और भाजपा दोनों आरोप प्रत्यारोप में लगे हैं। यहाँ कोल ब्लॉक शुरू किए जाने को लेकर सरकार में रहते हुये अब तक चुप्पी साधी कॉंग्रेस अब विरोध में उतर आई है। ऐसा लगता है विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अब आम चुनाव के लिए कॉंग्रेस हसदेव अरण्य में संजीवनी की तलाश में है। यही वजह है कि कॉंग्रेस के नेता अब मुखर होकर कोल ब्लॉक का विरोध कर रहे हैं।

विडंबना है कि हसदेव अरण्य में खोले जाने वाले परसा ईस्ट केते बासन कोल ब्लॉक की अनुमति केंद्र में कॉंग्रेस की सरकार द्वारा ही दी गयी थी। सबसे पहले इस खदान के लिए 1898.328 हे. वन भूमि के डायवर्सन की स्वीकृति 15/03/2012 को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई, जब केंद्र में कॉंग्रेस की सरकार थी।

परसा ईस्ट केते बासेन कोल ब्लाक राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, जयपुर (RRVUNL) को आबंटित किया गया।


राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड, जयपुर (RRVUNL) द्वारा कोल ब्लाक हेतु एम.डी.ओ. परसा केते कोल लिमिटेड (मेसर्स अदाणी इंटरप्राईजेस का उपक्रम) को नियुक्त किया गया है।

परसा ईस्ट केते बासन पर खनन पट्टा स्वीकृति, पर्यावरण स्वीकृति, वन व्यपवर्तन स्वीकृति, जैसे भी आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के पश्चात, बिना किसी स्थानीय विरोध के वर्ष 2012 से खनन का कार्य प्रारंभ हुआ।
वहीं, परसा ईस्ट केते बासन फेज-2 के तहत 1136 हे. की स्वीकृति पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 02/02/2022 को दी। वन भूमि डायवर्सन के लिए अंतिम चरण की स्वीकृति वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 25/03/2022 प्रदान की गई, जब राज्य में काँग्रेस की ही सरकार थी।

अब जब काँग्रेस विपक्ष में बैठ चुकी है, तब हसदेव अरण्य के रूप में वापसी के लिए एक मुद्दा नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं द्वारा कॉंग्रेस पर दोमुंही राजनीतिक आचरण करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कांग्रेस पार्टी जिस हसदेव अरण्य को लेकर राजनीति कर रही है उसका पूरा पेपर कार्य कांग्रेस के समय में हुआ है और आज जब सत्ता से उतर गए तो पूरा ठीकरा भाजपा के ऊपर थोप रहे हैं। 23 जून 2022 को राजस्थान सरकार को वनमण्डल सरगुजा छत्तीसगढ़ द्वारा डीजीपीएस सर्वेक्षण रिपोर्ट उप मंडलाधिकारी उदयपुर एवं परिक्षेत्राधिकारी उदयपुर द्वारा सत्यापन किया गया तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की सरकार ही कोयला उत्खनन के लिए परमिशन देना चाहती थी।

42 लाख पौध रोपण का दावा

परसा केते कोल लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि कोयला खदान परियोजना अंतर्गत वन भूमि व्यपवर्तन के एवज में कुल 3822 क्षेत्र में वैकल्पिक वृक्षारोपण के तहत 42,04,200 पौधों का रोपण किया गया है। इसी तरह भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा अधिरोपित शर्तों के अनुसार डम्प तथा रिक्लेमेशन क्षेत्र में कुल 8,20,700 पौधों का रोपण किया गया है। इस तरह परियोजना अंतर्गत 50,24,900 वृक्ष का रोपण अब तक किया गया है। इसके अतिरिक्त माइन रिक्लेमेशन प्लान के अनुसार रिक्लेम की गई भूमि पर भी लगभग 1 लाख पौधे प्रति वर्ष लगाए जायेंगे।