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विकसित भारत के सपने को साकार करने में युवाओं की है महत्वपूर्ण भूमिका: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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ShivJan 21, 20253 min read

रायपुर।     उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज राजधानी रायपुर के…

छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष के खिलाफ हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस, जानिए क्या है मामला

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ShivJan 21, 20251 min read

रायपुर।   छत्तीसगढ़ स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण मिश्रा के…

अमर शहीद हेमू कालाणी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया माल्यार्पण

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ShivJan 21, 20253 min read

भोपाल।   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को उज्जैन की…

January 21, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

“सामाजिक बहिष्कार और फोटो वायरल करने वालों को आयोग अध्यक्ष की दो टूक”, कहा- या तो माफी मांगो या फिर जेल जाने को रहो तैयार

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की. आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 263 वी. सुनवाई हुई. रायपुर जिले में कुल 128 वी. जनसुनवाई.

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि 2013 में आवेदिका का अपहरणकर्ता ने नशे की हालत में उसे धमका कर शादी किया था. इसके बाद आवेदिका उस लड़के के खिलाफ थाना में शिकायत करके अपने माता-पिता के घर आ गई थी और नये सिरे से अपना जीवन यापन करना चाहती थी. अनावेदकगणों के द्वारा अपराधी लड़के के द्वारा ली गई फोटो के आधार पर आवेदिका को समाज के सोशल मीडिया ग्रुप में डालकर बदनाम कर आवेदिका की निजता भंग कर रहे है. आवेदिका समाज की रजा मंदी से अपना विवाह कर नया जीवन बसाना चाहती है. जिसपे अनावेदकगणों के द्वारा पिछले 1 वर्ष से लगातार रोक-टोक किया जा रहा है.

अनावेदकगणों ने यह बात आयोग के समक्ष स्वीकार किया. अनावेदकगणों का कहना है कि समाज की राय लेना पडेगा. लेकिन उनकी इस हरकत के कारण आवेदिका का जीवन दुभर हो गया है. अनावेदकगणों का यह अपराध साइबर क्राईम धारा 66 ई के तहत 3 साल की सजा और 2 लाख रू. जुर्माना का प्रावधान है यह बताये जाने पर अनावेदकगणों ने आवेदिका से आयोग के समक्ष माफी मांगी. दिनांक 22/08/2024 को कोण्डागांव जनसुनवाई में अनावेदकगण व हल्बा समाज के सभी पदाधिकारियों को लेकर उपस्थित होंगे व सार्वजनिक तौर पर आवेदिका से माफी मांगेंगे कि आवेदिका की फोटो वायरल करने में सभी की सहभागिता थी. अन्यथा आवेदिका को यह अधिकार दिया जायेगा कि वह सभी अनावेदकगणों के खिलाफ थाना साइबर क्राईम में रिपोर्ट दर्ज करावे.

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के ससुर ने आयोग को बताया कि उसने पूर्व में आवेदिका के स्व, पति को जमीन दिया था, जिसे उसने बेचा कथन के समर्थन में दलाल भी लाया गया लेकिन दोनो पक्षों की बात सुनने पर कोई तालमेल नही पाया गया और जमीन उस समयअनावेदक ससुर के नाम पर थी जिसे उन्होंने बेचा. अतः कथन झूठा पाया गया. अन्य अनावेदकगणों ने यह प्रस्ताव रखा कि वर्तमान में जो जमीन है वह आवेदिका के नाम पर रजिस्ट्रड या दानपत्र के माध्यम से दिया जायेगा, जिसमें आवेदिका का नाम दर्ज होगा लेकिन आवेदिका के ससुर व सास के जीवनकाल में जमीन की उपज का उपभोग सास ससुर ही करेंगे. दोनों की मृत्यु के बाद आवेदिका उस हिस्से पर काबिज रहेगी. आयोग ने समझाईश दी कि यदि अनावेदक पक्ष आयोग के समक्ष दी गई सहमति के खिलाफ कार्य करते हैं तो आवेदिका को अधिकार होगा कि वह मानसिक व आर्थिक प्रताड़ना की रिपोर्ट दर्ज करा सकेगी.

पूर्व के प्रकरण की तरह ही एक अन्य प्रकरण में भी आवेदिका के पति की मृत्यु 2021 को हुई. उसके पूर्व हक और स्वामित्व की भूमि पर मकान और दुकान बनाया गया था. आवेदिका का वर्तमान में 1 नाबालिक पुत्र 16 वर्ष का है. आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद दुर्ग में स्थित मकान में आवेदिका व उसके पुत्र का नाम दर्ज हो चुका है. जिसमें आवेदिका रहती थी किंतु अनावेदकगणों के द्वारा दबाव डाले जाने पर आवेदिका अपने मायके के घर पर रहने चली गई. दोनो पक्षों को विस्तार से सुना गया.

अनावेदक पक्ष ने यह बात रखी की आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद माता- पिता का भरण-पोषण करने आवेदिका की भी जिम्मेदारी है. इस पर आयोग द्वारा यह समझाइश दिया गया कि माता-पिता का पालन पोषण सभी बच्चे की जिम्मेदारी है. अनावेदकगणों ने सहमति व्यक्त किया कि आवेदिका के मकान व दुकान पर किसी तरह का हक या दावा नहीं कर रहे है ना ही करेंगे. आवेदिका जिस दिन भी उस घर में आकर रहना चाहेगी सभी सहयोग करेंगे. आवेदिका अपने मकान में रहने के दौरान तथा उसके बाद से अपने स्वामित्व की संपत्ति पर हक अधिकर रखेगी. आवेदिका को समझाईश दिया गया कि यदि आवेदिका के घर में रहने के दौरान अनावेदकगणों द्वारा किसी प्रकार की आपत्ति किया जाता है तब काउंसलर व अधिवक्ता की रिपोर्ट के आधार पर आयोग आवेदिका को अनुमति देगा कि वह अनावेदकगणों के खिलाफ प्रताडना की रिपोर्ट दर्ज करा सके.