Special Story

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरलता और आत्मीयतापूर्ण वार्तालाप ने रेलयात्रियों का जीता दिल

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरलता और आत्मीयतापूर्ण वार्तालाप ने रेलयात्रियों का जीता दिल

ShivNov 24, 20242 min read

रायपुर।     मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की रायपुर से बिलासपुर ट्रेन…

रायपुर में इस साल फरवरी से अब तक 7970 अपराध दर्ज, क्राइम के आंकड़े घटे

रायपुर में इस साल फरवरी से अब तक 7970 अपराध दर्ज, क्राइम के आंकड़े घटे

ShivNov 24, 20241 min read

रायपुर।  इस वर्ष फरवरी से अब तक रायपुर जिले में…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने काशी स्पाइन हॉस्पिटल का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने काशी स्पाइन हॉस्पिटल का किया लोकार्पण

ShivNov 24, 20241 min read

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज राजधानी रायपुर…

मुख्यमंत्री ओपन चैलेंज ट्रॉफी फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन समारोह में हुए शामिल

मुख्यमंत्री ओपन चैलेंज ट्रॉफी फुटबॉल प्रतियोगिता के समापन समारोह में हुए शामिल

ShivNov 24, 20242 min read

रायपुर।   मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय आज जशपुर जिले के पत्थलगांव तहसील…

November 24, 2024

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

हसदेव जंगल बचाने सड़क पर उतरे बच्चे, कहा – आज भी जंगल पर निर्भर हैं आदिवासी

कांकेर- छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही हसदेव के जंगल में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई है. जंगल को बचाने वहां के आदिवासी, हसदेव बचाओ संगठन और कई सामाजिक कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे हैं. वहीं हसदेव के आंदोलन की चिंगारी अब बस्तर पहुंच गई है. बस्तर के कांकेर जिला मुख्यालय में पोस्ट मैट्रिक छात्रवास के बच्चे हसदेव के जंगल को बचाने के लिए आज सड़क पर उतर आए हैं.

पीएमटी छात्रवास के छात्रों ने आज कांकेर पीजी काॅलेज से घड़ी चौक तक रैली निकालकर तहसलीदार को एसडीएम के नाम हसदेव में जंगल कटाई रोकने के लिए ज्ञापन सौंपा. इस दौरान छात्रों ने कहा कि हम कांकेर छग के संयुक्त पीएमटी छात्रावास के आदिवासी विद्यार्थी हैं. सरकार से विनम्र अपील करते हैं कि हसदेव अरण्य मध्य भारत का समृद्ध जंगल है, जो जैव विविधता से परिपूर्ण है और कई विलुप्त वनस्पति और जीव जंतुओं का रहवास है.

छात्रों ने कहा, यह जंगल हसदेव नदी और उस पर बने मिनीमाता बागों बांध का खोत है, जिससे रायगढ़, कोरबा और बिलासपुर जिले के किसानो की जमीन सिंचित होती है. हसदेव के जल, जंगल, जमीन पर वहां के आदिवासियों की कई पीढ़यों से आजीविका होती है और उनकी आज भी जंगल पर निर्भरता है. हसदेव अरण्य क्षेत्र पांचवी अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वहां के ग्राम सभाओं ने पिछले एक दशक से कोयला खनन परियोजना का विरोध किया है. ग्राम सभाओं के विरोध के बावजूद आदिवासियों के जल जंगल जमीन को कोयला खनन परियोजन के लिए गैर कानूनी रूप से पेड़ों की कटवाई की जा रही है.