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अटल निर्माण वर्ष में सुशासन की नई ऊंचाइयां छूने को तैयार छत्तीसगढ़: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

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ShivJun 8, 20254 min read

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में…

अंतर्राष्ट्रीय समपार (फाटक) दिवस के अवसर पर चलाया जा रहा है सघन जागरुकता अभियान

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ShivJun 8, 20252 min read

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भाजपा नेत्री ने दिखायी दबंगई, सरेराह किसान को पीटा, जमकर बरसाये लात-घूंसे…

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ShivJun 8, 20251 min read

कोरबा। भाजपा नेत्री का मारपीट करते हुए एक वीडियो सोशल…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मुस्लिम समाज ने दी ईदुल अज़हा की बधाई

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ShivJun 8, 20251 min read

रायपुर। मुस्लिम समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री निवास में प्रदेश…

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आईआईएम रायपुर परिसर में किया सुशासन वाटिका का शुभारंभ

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ShivJun 8, 20252 min read

रायपुर।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज यहां भारतीय प्रबंध…

June 9, 2025

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जो कहेंगे सच कहेंगे

मुख्यमंत्री श्री साय विश्व वानिकी दिवस पर विधानसभा में आयोजित संगोष्ठी में हुए शामिल

रायपुर।    मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज विधानसभा के समिति कक्ष में आयोजित विश्व वानिकी दिवस संगोष्ठी में शामिल होकर प्रदेशवासियों को वन संरक्षण और संवर्धन का संदेश दिया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ देश का ‘ऑक्सिजोन’ बनकर पूरे भारत को ऑक्सीजन प्रदान कर रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश का 44 प्रतिशत भू-भाग वनों से आच्छादित है, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और आर्थिक विरासत का अभिन्न हिस्सा भी है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि वर्ष 2025 का विश्व वानिकी दिवस ‘फारेस्ट एंड फूड’ थीम पर आधारित है, जो इस बात पर बल देता है कि वन केवल ऑक्सीजन ही नहीं, बल्कि पोषण, रोजगार और संस्कृति का भी स्रोत हैं। इसी अवसर पर मुख्यमंत्री ने ‘वाइल्ड एडिबल प्लांट्स इन छत्तीसगढ़ स्टेट’ पुस्तक का विमोचन किया तथा पुदीना-मिंट फ्लेवर के बस्तर काजू प्रोडक्ट को लॉन्च भी किया।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 32 प्रतिशत आबादी जनजातीय भाई बहनों की है जो वनों के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार वनों में निवासरत जनजातीय भाई-बहनों को वनाधिकार पट्टे प्रदान कर रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और खेती की दिशा में आगे बढ़ें। उन्होंने बताया कि बस्तर की इमली, जशपुर का महुआ, चिरौंजी, हर्रा-बहेड़ा जैसे सैकड़ों लघु वनोत्पाद छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान हैं, जिनका वैल्यू एडिशन कर आदिवासी परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ की नैसर्गिक सुंदरता की सराहना करते हुए कहा कि यहां के जलप्रपात, वनवासी संस्कृति और समृद्ध जैव विविधता पूरे देश के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। बस्तर का धूड़मारास अब विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थान बना चुका है। पर्यटन का विस्तार हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में लगभग चार करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा कि नवा रायपुर में पीपल फॉर पीपल कार्यक्रम के अंतर्गत हर चौराहे पर पीपल का रोपण किया गया है, जो भविष्य में शुद्ध ऑक्सीजन का सशक्त स्रोत बनेंगे। पीपल का पेड़ वैज्ञानिक रूप से सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला वृक्ष है, और यह पहल शहरी हरियाली की दिशा में एक प्रभावी कदम है।

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के वन विश्व के सबसे सुंदर वनों में गिने जाते हैं। साल और सागौन के वृक्ष यहां की प्राकृतिक शोभा हैं। साल के वनों में एक अनूठा सम्मोहन है और यह गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ में वन क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जब तक जंगल हैं, तब तक जीवन है।

वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदायों का पूरा जीवन वनों पर आधारित है। उनका जीवनस्तर ऊँचा उठाना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों से जूझ रही है, और इसका सबसे कारगर उपाय वन क्षेत्र का विस्तार है। उन्होंने कहा कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों के पास प्रकृति का अनुभवजन्य ज्ञान है – उसका समुचित उपयोग कर हम विकास और संरक्षण दोनों को संतुलित कर सकते हैं।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव, विधायकगण धरमलाल कौशिक, धर्मजीत सिंह, योगेश्वर राजू सिन्हा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव तथा वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।