Special Story

खनिज के अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रशासन सख्त

खनिज के अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रशासन सख्त

ShivJun 17, 20252 min read

बलौदाबाजार। कलेक्टर दीपक सोनी की अध्यक्षता में मंगलवार क़ो संयुक्त…

मुख्यमंत्री ने परिवहन सुरक्षा बेड़े में शामिल 48 वाहनों को झंडी दिखाकर किया रवाना

मुख्यमंत्री ने परिवहन सुरक्षा बेड़े में शामिल 48 वाहनों को झंडी दिखाकर किया रवाना

ShivJun 17, 20252 min read

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि हमारी…

लूटपाट और उगाही का मामला : छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के 6 पदाधिकारियों को 7-7 साल की सजा

लूटपाट और उगाही का मामला : छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के 6 पदाधिकारियों को 7-7 साल की सजा

ShivJun 17, 20252 min read

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में वर्ष 2021 में हुई…

June 17, 2025

Apni Sarkaar

जो कहेंगे सच कहेंगे

छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाषा: अंतस को सींचती है, आत्मा को एक दूसरे से जोड़ती है: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय

रायपुर।   छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाषा है। छत्तीसगढ़ी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, यह हमारे अंतस को सींचने और हमारी आत्मा को एक दूसरे से जोड़ने वाली भाषा है। हमें अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा पर गर्व है। मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के दो दिवसीय आठवें प्रान्तीय सम्मेलन 2025 के शुभारंभ अवसर पर यह बात कही।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर हमारे पुरखों के सपनों को साकार किया। अलग राज्य बनने के बाद अपनी महतारी की भाषा छत्तीसगढ़ी को सम्मान दिलाने की जिम्मेदारी हम सब की है। यह खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ी में बढ़िया किताबें लिखी जा रही है। इनमें से आज भागमानी, छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी, छतनार, चल उड़ रे पुचुक चिरई, एक कहानी हाना के, गंगा बारू अउ माटी के दीया सहित छत्तीसगढ़ी भाषा की 11 पुस्तकों का विमोचन किया गया। आयोग के आठवें प्रांतीय सम्मेलन के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर वैष्णव, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र, डॉ. विनय कुमार पाठक, संचालक संस्कृति एवं राजभाषा विवेक आचार्य, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा अब तक डेढ़ हजार पुस्तकों का प्रकाशन

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि हमारी भाषा, बोली का मान बढ़े, लोगों का अपनी भाषा से जुड़ाव रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध इतिहास है, हमारी यह भाषा शिलालेख में भी दर्ज है। अनेक कवि और लेखक अपनी लेखनी से छत्तीसगढ़ी को समृद्ध कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा अपने गठन के बाद अब तक डेढ़ हजार पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। उन्होंने कहा प्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है, इस नीति में बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जाती है। छत्तीसगढ़ में भी बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जा रही है। बच्चे अपनी मातृभाषा में कठिन से कठिन विषय भी आसानी से समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने में सफल होगा।

मुख्यमंत्री श्री साय ने साहित्यकारों के आग्रह पर छत्तीसगढ़ी रचनाकारों की किताबें स्कूलों की लाइब्रेरी में भेजने की घोषणा की, ताकि स्कूली बच्चे इनका अध्ययन कर सकें।

वरिष्ठ साहित्यकारों का सम्मान

मुख्यमंत्री श्री साय ने सम्मेलन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवधर दास महंत, जिला जांजगीर, काशीपुरी कुन्दन जिला गरियाबंद, सीताराम साहू ’’श्याम’’जिला बालोद,  राघवेन्द्र दुबे, जिला बिलासपुर, कुबेर सिंह साहू जिला राजनांदगांव और डॉ. दादूलाल जोशी  जिला राजनांदगांव को शाल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।

11 किताबों का विमोचन –

मुख्यमंत्री ने सम्मेलन में 11 साहित्यकारों की पुस्तक का विमोचन किया। इनमें देवचरन धुरी की पुस्तक ‘‘देवचरन के कहमुकरी’’, डॉ. दीनदयाल साहू की पुस्तक ‘‘भागमानी’’ ( छत्तीसगढ़ी उपन्यास), मुकेश कुमार के उपन्यास ‘‘मंजरी पाती’’ (छत्तीसगढ़ी उपन्यास), कन्हैया साहू ’ अमित की पुस्तक ‘‘छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी’’,  राजकुमार चौधरी के काव्य संग्रह ‘‘छतनार (काव्य संग्रह)’’, टीकेश्वर सिन्हा की ’गब्दीवाला’ की पुस्तक ‘‘चल उड़ रे पुचुक चिरई’’, हरिशंकर प्रसाद देवांगन की पुस्तक ‘‘एक कहानी हाना के’’, मिनेश कुमार साहू की पुस्तक ‘‘गंगा बारू’’ डॉ. लूनेश कुमार वर्मा के काव्य संग्रह ‘‘माटी के दिया’’, रामनाथ साहू – गीतांजली (गुरूदेव रविन्द्रनाथ टेगोर के गीताजंली काव्य के छत्तीसगढ़ी अनुवाद) और दुर्गा प्रसाद पारकर की पुस्तक प्रतिज्ञा (मुंशी प्रेमचंद कृत प्रतिज्ञा के छत्तीसगढ़ी अनुवाद) शामिल हैं।

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के आठवें प्रांतीय सम्मेलन के अध्यक्ष रामेश्वर वैष्णव ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ी समृद्ध भाषा है। अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाने वाली छत्तीसगढ़ी का मानकीकरण करने और एकरूपता लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। संचालक संस्कृति एवं राजभाषा विवेक आचार्य ने राजभाषा आयोग के कार्यों पर प्रकाश डाला। आयोग की सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार ने स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर प्रदेश भर से आए गणमान्य साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।