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कंबोडिया के साइबर ठग को छत्तीसगढ़ पुलिस ने किया गिरफ्तार, अबतक कर चुका है 10 करोड़ की ठगी

रायपुर/डोंगरगढ़।    छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव पुलिस ने अंतराष्ट्रीय साइबर ठगी मामले में बड़ी सफलता हासिल की है. कंबोडिया के शातिर सायबर ठग को समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है. अबतक आरोपी ने तकरीबन 10 करोड़ रुपए की ठगी को अंजाम दिया है. जिसे हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए विदेश भेजा रहा था. इतना ही नहीं पैसे ट्रांसफर करने के लिए म्यूल बैंक अकाउंट का इस्तमाल हो रहा था.

गुजरात से पकड़ाया मुख्य आरोपी

जानकारी के मुताबिक, 23 जनवरी को रूपेश साहू ने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है. जांच में पता चला कि उसके खाते में 90,000 रुपये जमा हुए थे, जो ठगी के पैसे थे. पुलिस को आशुतोष शर्मा नाम के शख्स पर शक हुआ, पूछताछ में इस इंटरनेशनल साइबर ठगी रैकेट को लेकर बड़ा राज उजागर हुआ. 

छत्तीसगढ़ पुलिस ने गुजरात के वल्साड में पहुंचकर श्रेणिक उर्फ अजय मेहेर को बैंक अकाउंट देने के बहाने रेलवे स्टेशन पर बुलाया. जैसे ही वह अकाउंट लेने पहुंचा, पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेर लिया और धर दबोचा. अजय मेहेर बेहद शातिर बताया जाता है, जो पहचान छुपाने के लिए फर्जी नाम, नंबर और पहचान पत्रों का इस्तेमाल करता था. 

कंबोडिया में सीखा ठगी का तरीका

पुलिस की पूछताछ में आरोपी श्रेणिक ने बताया कि वह 2024 में कंबोडिया गया था और वहां के स्कैम कॉल सेंटर्स में ठगी करने का तरिका सीखा था. भारत लौटने के बाद उसने अपने साथियों की मदद से कई लोगों के बैंक अकाउंट इकट्ठे किए और कंबोडिया भेजे. जिसके बदले में उसे ठगी की रकम का 8-9% कमीशन मिलता था. 

ऐसे बनाया जाता था शिकार

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हाईटेक ठगी का मास्टरमाइंड श्रेणिक कुमार सांघवी नाम का युवक है, जिसे पुलिस ने गुजरात के वल्साड से गिरफ्तार किया है. जांच में सामने आया कि श्रेणिक कंबोडिया के स्कैम कॉल सेंटर्स से जुड़ा था, जहां से भारतीयों को ठगने का खेल चल रहा था. ठगी का पैसा भारत में मौजूद म्यूल बैंक अकाउंट्स में डलवाया जाता था, जिसे बाद में हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से कंबोडिया भेजा जाता था.

आरोपी शुभम तिवारी और दीपक नरेडी, जो राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ के रहने वाले हैं, म्यूल बैंक अकाउंट्स मुहैया कराने का काम करते थे. ये लोग भोले-भाले नागरिकों को लालच देकर उनके बैंक खातों की डिटेल लेते और ठगों को बेचते थे.

ठगी के लिए इन तरीका का इस्तमाल

1. फर्जी इनवेस्टमेंट और ट्रेडिंग ऐप

साइबर ठग फर्जी ट्रेडिंग और इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म बनाकर लोगों को पैसे निवेश करने का झांसा देते थे.

2. शादी और सोशल मीडिया स्कैम

डेटिंग और मैट्रिमोनियल साइट्स पर नकली प्रोफाइल बनाकर लोगों को प्यार के जाल में फंसाते, फिर पैसों की मांग करते.

3. फर्जी जॉब और लॉटरी स्कीम

लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने या लॉटरी जीतने का झांसा देकर उनसे पैसे ऐठे जाते.

तकरीबन 10 करोड़ रुपये की ठगी

राजनांदगांव पुलिस अब इस ठगी रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश कर रही है. जांच में पता चला है कि गिरोह ने अबतक तकरीबन 10 करोड़ रुपये की ठगी की है और इसके तार देशभर के कई राज्यों से जुड़े हो सकते हैं.

क्या होता है ‘म्यूल बैंक अकाउंट’?

मनी म्यूल यानी ऐसा बैंक अकाउंट जो साइबर ठगों द्वारा अवैध पैसों के लेन-देन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कई बार ये अकाउंट मालिक जानबूझकर या अनजाने में ठगों की मदद कर बैठते हैं और जब पुलिस जांच करती है, तो वे खुद अपराध में फंस जाते हैं.

राजनांदगांव पुलिस की अपील:

सावधान रहें, वरना आप भी फंस सकते हैं!
• किसी को भी अपना बैंक अकाउंट, एटीएम, चेकबुक या मोबाइल नंबर न दें.
• अगर कोई ज्यादा पैसे देने का वादा कर अकाउंट मांगता है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें.
• अगर आपके अकाउंट में संदिग्ध रकम आती है, तो उसे तुरंत बैंक और पुलिस को बताएं.

याद रखें! म्यूल अकाउंट देना भी अपराध है, और आप भी ठगों के साथ जेल जा सकते हैं!